कोनहा मं परे समाज मन के सेती फोटोग्राफी हमेशाच ले दुब्भर रहे हवय, सिरिफ येकरे सेती नई के कैमरा ह वो मन के पहुंच के बहिर के चीज आय. ये लड़ई के चिन्हारी करत, मंय ये अंतर ला भरे ला चाहत रहेंव अऊ फोटोग्राफी ला कोनहा मं परे समाज के जवान पीढ़ी तक लाय ला चाहत रहेंव – खास करके दलित, मछुआरा, ट्रांस समाज, अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज अऊ दीगर जऊन मन कतको पीढ़ी ले अतियाचार ला झेलत आवत हवंय.
मंय चाहत रहेंव के लइका मन अपन थोर-बहुत जाने कहिनी सुनावंय. ये कार्यशाला मं वो मन अपन रोज के जिनगी के फोटू खींचत हवंय. ये वो मन के अपन कहिनी आंय, जऊन ह ओकर मन के दिल ले निकले आय. वो मन ला कैमरा धरे अऊ शूटिंग करे बने लागथे. मंय चाहत हंव के वो मन अइसने करेंव, फ्रेम अऊ एंगल ला बाद मं सोचेंव.
वो अपन जिनगी के जऊन फोटू खिंचत हवंय; वो अलग हवंय.
जब वो मन मोला फोटू दिखाथें, त मंय फोटू खींचे के तरीका अऊ येकर हालत के बारे मं वो मन काय कहिथें, ओकर ऊपर घलो चर्चा करथों. कार्यशाला के बाद वो मन बड़े समाजिक–राजनीतिक समस्या ला जियादा जानथें.
अधिकतर फोटू नजीक ले खींचे जाथें अऊ सिरिफ वो मन अतक नजीक जाय सकथें काबर के ये वो मन के अपन परिवार अऊ घर के आय. बाकी सब्बो बहिर के मइनखे आंय अऊ वो मन ला कुछु दूरी बना के रखे ला परही. वो अपन आप ला दूरिहा मं नई रखे सकंय काबर के पहिलीच ले वो मइनखे के बेस्वास हासिल कर ले रइथें जेकर फोटू लेगे ला चाहथें.
समान सोच वाले लोगन के मदद ले, मंय सिखेईय्या मन बर कैमरा बिसोंय - डीएसएलआर कैमरा जऊन ह पहिली वो मन ला सीखे अऊ आखिर मं पेशा के रूप मं मदद दिही.
वो मन के कुछु काम थीम के तहत हवय, ‘रीफ्रेम्ड- युवा निवासी के नजर मं उत्तरी चेन्नई. येकर उद्देश्य बहिर के लोगन मन ले औद्योगिक केंद्र के रूप मं उत्तरी चेन्नई के रूढ़िवादी छवि ला टोरे अऊ समाज बर येला फिर ले बनाय सेती जागृत करे आय.
10 दिन के कार्यशाला मं 12 झिन (16 ले 21 बछर उमर के) मोर संग शामिल होय रहिन, जऊन मन मदुरै के सफाई कर्मी मन के लइका आंय. कोनहा मं परे समाज के लइका मन के सेती ये ह पहिली कार्यशाला रहिस. कार्यशाला के बखत लइका मन पहिली बेर देखिन के वो मं के दाई-ददा क उन हालत मं बूता करथें. वो मन ला अपन कहिनी दुनिया ला बताय के इच्छा जगिस.
मंय ओडिशा के गंजाम के सात झिन मछुवारा अऊ तमिलनाडु के नागपट्टिनम के आठ मछुवारा सेती तीन महिना के कार्यशाला घलो बलाय रहेंव. गंजाम एक अइसने इलाका आय जिहां समुन्दर के कटाव ले भारी असर परे हवय. नागापट्टिनम समुन्दर तीर के जगा आय जहन बनेच अकन बहिर ले आय मजूर अऊ मछुवारा रइथें जऊन ला श्रीलंका के नौसेना सरलग निशान बनावत रहिथे.
ये कार्यशाला ले वो मन के आगू अवेइय्या कतको दिक्कत के फोटू आगू आइस.
सीएच. प्रतिमा
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22
दक्षिण फाउंडेशन मं फील्ड स्टाफ
पोदमपेटा
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गंजाम
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ओडिशा
फोटू खींचे ले मोला अपन समाज के काम के मान दिखाय के मऊका मिलिस अऊ मंय अपन तीर-तखार के लोगन मन के नजिक आ गेंय.
मोर पसंद के फोटू मन ले एक ठन लईका मन का आय जऊन मं खेल-खेल मं मुहाना के डोंगा ला पलटत हवंय. मोला फोटोग्राफी मं बखत ला एक छिन मं थिर रखे के ताकत के गम होईस.
मंय अपन मछुवारा समाज के एक झिन लोगन के अपन घर के जिनिस मन ला बचावत एक ठन फोटू खिंचेंव, जेन ह समुन्दर के कटाव ला बरबाद गो हे रहिस. ये फोटू बदलत मऊसम सेती कोनहा मं रहेइय्या समाज के आगू अवेइय्या दिक्कत मन बतातह अऊ मोला भारी खुसी हवय के मंय येला लेंय.
जब मोला पहिली बखत कैमरा मिलिस त मंय सोचे नई रहेंव के मंय येला संभाले सकहूँ. मोला लगिस के जइसने मंय कोनो भारी मसीन ले के जावत हवं. ये ह बिल्कुले नवा अनुभव रहिस. मंय अपन मोबाइल ले बिन सोचे समझे फोटू लेवत रहेंव, फेर ये कार्यशाला ले फोटू के जरिया ले रिस्ता बनाय अऊ कहिनी मं बताय के कला ह मोर आंखी खोल दीस. सुरु मं फोटोग्राफी के सिद्धांत मं भरम करेइय्या रहिस, फेर फील्ड कार्यशाला अऊ कैमरा के संग बेवहार के सीखे के बाद, सब्बो कुछु ठीक होय लगिस अऊ क्लास के सिद्धांत ला असल दुनिया ले जोड़े सकेंव.
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पी. इंद्र
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बीएससी फिजिक्स
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डॉ. अम्बेडकर इवनिंग
एजुकेशन सेंटर
अरापालयम
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मदुरै
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तमिलनाडु
“जब वो मन बूता करत होंय त अपन, अपन तीर-तखार अऊ अपन लोगन मन के दस्तावेज़ीकरण करव.”
जब पलानी अन्ना ह मोला कैमरा देय रहिस वो बखत इहीच कहे रहिस. कार्यशाला मं आके मोर उछाह भारी बढ़गे काबर के पहिली मोर ददा ह येकर इजाजत नई देय रहिस. वोला मनाय सेती मोला भारी चिरोरी-बिनती करे ला परे रहिस. आखिर मं वो ह मोर फोटोग्राफी के बिसय बन गे.
मंय सफाई कर्मी मन के संग रइथों. मोर ददा जइसने, वो मन घलो दमनकारी जात बेबस्था सेती अपन ला पीढ़ी ले चलत आवत पेशा मं फंसे पाथें. कार्यशाला मं हिस्सा लेगे के पहिली मोला ओकर मन के बूता अऊ दिक्कत के बारे मं जाने नई रहेंव, भले मोर ददा वो मन ले एक झिन रहिस. मोला एके बात कहे गे रहिस के बने करके पढ़ो अऊ सरकारी नउकरी करो कभू घलो सफाई कर्मी झन बनो – हमर स्कूल के गुरूजी मन हमन ला कहत रहेंव.
आखिर मं मोला अपन ददा के काम ह तब समझ मं आइस जब मंय ओकर संग दू-तीन तक काम मं गे रहेंव अऊ ओकर दस्तावेजीकरण करेंव. मंय कतको खराब हालत ला देखेंव जब सफाई कर्मी बिन दस्ताना अऊ पनही पहिरे घर के कचरा अऊ जहरीला कचरा ला साफ करत भारी मिहनत करथें. वो मन ले कहे जाथे के बिहनिया ठीक छे बजे हबर जावंय, अऊ गर वो मन ला पल भर के घलो देरी हो जाथे त जऊन ठेकदार अऊ अफसर के तरी वो मन काम करथें, वो मन ये मन ला गरियाथें.
मोर कैमरा ह मोला तऊन ला दिखाइस जेन ला मंय अपन जिनगी मं अपन आंखी ले देखे नई सके रहेंव. ये ह मोर तीसर आंखी खुले रहिस. जब मंय अपन ददा के फोटू खींचेंव, त वो ह मोला अपन रोज के जूझे ला बताइस के कइसने वोला अपन बाल उमर ले ये बूता करे ला परिस. ये गोठ बात ले हमर दूनों के रिश्ता अऊ मजबूत होईस.
ये कार्यशाला हम सब्बो के जिनगी मं एक ठन बड़े बदलाव लाइस.
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सुगंती मनिकावेल
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27
मछुवारिन
नागापट्टिनम
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तमिलनाडु
कैमरा ह मोर नजरिया ला बदल दीस. कैमरा धरे ले मोला आजाद होय अऊ मनोबल बढ़े मसूस होईस. ये ह मोला बनेच अकन लोगन मन ले गोठ बात करे के मऊका दीस. वइसे मंय अपन सरी जिनगी नागपट्टिनम मं रहत रहेंव, कैमरा संग बंदरगाह तीर जाय के ये मोर पहिली बखत रहिस.
मंय अपन 60 बछर के ददा मनिकावेल के दस्तावेजीकरण करेंव, जऊन ह पांच बछर के उमर ले मछरी धरत हवय. लंबा बखत तक ले नुनचुर पानी मं रहे सेती ओकर गोड़ के ऊँगली सुनन होगे हवय; अब वो मं खून के दौरा कम होगे हवय, फेर येकर बाद घलो वो ह हमर पेट भरे सेती रोज के मछरी धरे जाथे.
56 बछर के पूपथी अम्मा वेल्लापल्लम ले हवंय. साल 2002 मं, ओकर घरवाला ला श्रीलंका के नौसैनिक मन गोली मारे रहिन. तब ले वो ह जिनगी गुजारे सेती मछरी बिसोय अऊ बेंचे सुरु कर दीस. एक झिन अऊ मछुवारिन के फोटो मंय तंगाम्मल के संग खींचे रहेंव, जेकर घरवाला ला गठिया हवय. ओकर लइका मन स्कूल जावत हवंय येकरे सेती वो ह नागपट्टिनम के सड़क मं मछरी बेंचे सुरु कर दीस. पलंगल्लीमेडु के माइलोगन मन चिंगरी जाल बऊरथें अऊ समुन्दर मं मछरी धरथें : मंय दूनों के जीविका के दस्तावेजीकरण करे हवं.
वइसे मोर जनम मछरी धरेइय्या एक ठन गाँव मं होय रहिस, एक उमर होय के बाद मंय शायदे कभू पार मं जाय रहेंव. जब मंय फोटू ले दस्तावेजीकरण करे सुरु करेंव, त मंय अपन समाज अऊ हमर रोज के जिनगी मं जूझत लड़ई ला समझे के काबिल होंय.
मंय ये कार्यशाला ला अपन जिनगी के सबले बड़े मऊका मन ले एक मानथों.
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लक्ष्मी एम.
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42
मछुवारिन
थिरुमुल्लैवासल
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नागपट्टिनम
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तमिलनाडु
जब फोटोग्राफर पलानी मछुवारिन मन ला सिखाय सेती मछरी धरेइय्या गाँव तिरुमुल्लेवासल मं आइस, त हमन सब्बो घबरा गे रहेन के हमन काय फोटू खिंचबो अऊ हमन येला कइसने करबो. फेर जइसनेच हमर कैमरा अपन हाथ मं धरेन, सब्बो चिंता गायब होगे. अऊ हमन अऊ जियादा भरोसा मं आ गेन अऊ अपन आप मं बेस्वास करे लगेन.
जब हमन पहिली दिन अकास, समंदर तीर अऊ तीर-तखार के दीगर कतको जिनिस के फोटू लेगे ला समंदर तीर मं जाय रहें त गाँव के मुखिया ह हमन ला टोक दीस अऊ खीस के हमन काय करत हवन. वो ह हमन जऊन खत रहेन वो ला सुनत नई रहिस अऊ हमन ला फोटू खींचे ले रोके मं दिखत रहय. जब हमन अगला गाँव चिन्नाकुट्टी जाय रहेन त हमन अइसने रोक ठोक ले बचे सेती गाँव के मुखिया ले पहिली ले इजाजत मन लेन.
पलानी हमेसा ये बात ,मं जोर देथें के हमन धुंधला फोटू मन ला फिर ले खींचन; येल्क्र ले हमन ला अपन गलती समझे अऊ सुधारे मं मदद मिलथे. मंय सिखेंव के मोला जल्दीबाजी मं फ इ सला नई ले ला चाही धन काम नई करे ला चाही. ये ह बनेच बढ़िया सुरता रखे के अनुभव रहिस.
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नूर निशा के.
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17
बी.वोक डिजिटल जर्नलिज्म
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लोयोला कॉलेज
तिरुवोत्रियूर
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उत्तरी चेन्नई
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तमिलनाडु
जब मोला पहिली बखत कैमरा हाथ मं धराय गीईस त मोला पता नई रहिस के ये हा कतक बड़े बदलाव लाही. मंय कहि सकत हवं के मोर जिनगी ला दू हिस्सा मं बाँटे जा सकथे – फोटोग्राफी ले पहिली अऊ बाद के. मंय बनेच कम उमर मं अपन ददा ला गनाव दे रहंय अऊ तब ले मोर दाई हमर पालन-पोसन सेती जूझत हवय.
कैमरा के आंखी ले पलानी अन्ना ह मोला एक अइसने दुनिया दिखाइस जऊन ह मोला बिल्कुले अलग अऊ नवा लगत रहिस. मंय समझ गेंय के जऊन फोटू हमन खिंचथन, वो सिरफ़ फोटू भर नो हे, वो ह दस्तावेज आय जेकर जरिया ले हमन अनियाव ऊपर सवाल करे सकत हवन.
वो ह अक्सर हमन ले एकेच बात कहिथें: “फोटोग्राफी ऊपर बेस्वास रखव्, ये तुमन के जरूरत मं काम आही.” मोला ये ह सच लगिस अऊ अब मंय अपन दाई के मदद कर सकथों जेन ह कभू-कभार काम मं नई जाय सकय.
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एस. नंदिनी
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17
एम.ओ.पी. वैष्णव कॉलेज फॉर वीमेन के पत्रकारिता छात्रा
व्यासरपाड़ी
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उत्तरी चेन्नई
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तमिलनाडु
फोटू खींचे सेती मोर सबले पहिली जिनिस वो लइका मन रहिन जेन मन मोर घर के तीर खेलत रहिन. मंय खेले के बखत वो मन के चेहरा के उछाह ला अपन कैमरा मं लेवंय. मंय सीखें के कैमरा के आंखी ले दुनिया ला कइसने देखे जाय सकथे. मोर समझ मं ये बात घलो आइस के देखे के भाखा ला बनेच असानी ले समझे जा सकथे.
कतको बखत जब हमन फोटू खींचे बर भटकत रइथन त हमर सामना अइसने कऊनो चीज ले हो जाथे जेकर हमन कभू आस घलो करे नई रहन. फ़ोटोग्राफी ह मोर मन मं उछाह-उमंग भर देथे – अइसने उछाह-उमंग जऊन ह हमर के पेट के अऊ परान के होंय.
एक बेर, जब मंय डॉ. आंबेडकर पगुतरिवु पाडसालई मं पढ़त रहेंव, हमन ला डॉ. आंबेडकर मेमोरियल घुमाय ले जाय गे रहिस. उही बखत मंय फोटू मन मोर ले गोठियाइन. पलनी अन्ना ह एक झिन सफाई मजूर के मरे के घटना अऊ दुख ले गुजरत ओकर परिवार के अपन फोटू मन ला दिखाय रहिस. वो सफाई कर्मी के परिवार के लोगन मन के अभाव, दुख अऊ कभू भरे नई जाय सके नुकसान के कहिनी मन रहिस. वो कहिनी ला भाखा मं कहे नई जाय सकय. जब हमन ओकर ले उहाँ भेंट करें, त वो ह ये कहत हमर हौसला ला बढ़ाइन के हमर भीतरी घलो अइसने फोटू खींचे के काबिलियत हवय.
जब वो ह कार्यशाला मं क्लास लेगे ला सुरु करिन, त स्कूल टूर मं होय सेती मंय हाजिर नई होय सकंय. फेर मोर लहूं टे के बाद वो ह मोला अलग ले सिखाइन अऊ फ़ोटोग्राफी सेती उछाह ला बढ़ाइन. मोला त येकर बुनियादी जानकरी घलो नई रहिस के कैमरा क इसने काम करथे, फेर पलनी अन्न ह मोला सिखाइस. वो ह फ़ोटोग्राफी सेती अपन बिसय खोजे के मुद्दा मं घलो हमन ला रद्दा दिखाइन. मंय ये यात्रा मं कतको नवा नजरिया अऊ अनुभव ला हासिल करेंव.
फ़ोटोग्राफी ले जुड़े अपन अनुभव सेती मंय पत्रकारिता ला अपन भविष्य बनाय के फइसला करेंव.
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वी. विनोदिनी
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बैचलर्स ऑफ़ कंप्यूटर ऐप्लिकेशन के छात्रा
व्यासरपाड़ी
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उत्तरी चेन्नई
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तमिलनाडु
मंय अपन अड़ोस-पड़ोस के इलाका ला कतको बछर ले जानत हवंव, फेर जब मंय वोला अपम कैमरा के जरिया ले देखेंव त मोला वो मं नवापन नजर आइस. “तुहंर फोटू मं जिनगी झलके ला चाही,” पलनी अन्ना कहिथें. जब वो ह अपन अनुभव ला बताथें. ओकर नजर मं देखे सकत हव के वोला फ़ोटोग्राफ़ी, कहिनी अऊ लोगन मन ले कतक मया हवय. ओकर अपन मछुवारिन दाई के सधारन फोन ले फोटू खिंचत फोटू मोला सबले जियादा सुरता आथे.
मंय अपन पहिली फोटू देवारी बखत अपन परोसी के लेगे रहेंव. वो ह एक ठन पारिवारिक फोटू रहिस, जेन ह बनेच बढ़िया खिंचाय रहिस. ओकर बाद मंय कहिनी अऊ लोगन मन के अनुभव के अधार ले अपन शहर ला कैमरा मं धरे लगें.
फ़ोटोग्राफी सीखे बिना मोला अपन आप ला जाने-समझे के मऊका नई मिले रइतिस.
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पी. पूंकोडी
मछुवारिन
सेरुतुर
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नागपट्टिनम
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तमिलनाडु
मोर बिहाव ला 14 बछर होगे. ओकर बाद ले मंय अपन खुद के गाँव के समंदर के पार मं नई गे हवं. फेर मोर कैमरा ह मोला फिर ले उही समंदर ले भेंट करा दीस. मंय मछरी धरे ले जुरे काम अऊ डोंगा मन ला पेलत समंदर मं ले जाय के संगे संग, समाज मं माइलोगन मन के हिस्सेदारी ला बतावत फोटू खींचेव.
कऊनो ला एक ठन फोटू सेती सिरिफ क्लिक करे सिखाय भारी असान आय, फेर एक झिन फोटोग्राफर ला फोटू के जरिया ले कहिनी कहे के हुनर सिखाय असान बूता नो हे. पलनी हमन ला उही हुनर सिखाथें. वो हमन ला फ़ोटोग्राफी करे के पहिली लोगन मन ले बात करे ला सिखाथें. लोगन मन के फोटू खिंच के मंय नवा मनोबल मसूस करथों.
मंय मछुवारा समाज के अलग अलग बूता ला अपन फोटोग्राफी के बिसय बनांय, जेन मं मछरी बेचे, वोला निमारे अऊ नीलामी करे जइसने रइथे. ये मऊका ह मोला अपन समाज के तऊन माईलोगन मन के जिनगी जिए के तरीका ला नजिक ले देखे मं मदद करिस, जेन मन घूम-घूम के मछरी बेंचथें. वो मन मा मछरी ले भरे वजनी टुकना ला मुड़ मं बोहे घूमे ला परथे.
कुप्पसामी ऊपर मोर फोटू कहिनी ले मोला ओकर जिनगी के बारे मं जाने के मऊका मिलिस के जब वो ह समंदर के सरहद मं मछरी धरत रहिस, तब कइसने श्रीलंकाई नौसेना ह गोली मार दे रहिस. ओकर बाद ले ओकर हाथ गोड़ ला लकवा मार गे अऊ न वो ह बोल सकय.
मंय जब ओकर ले मिले गेंय, त मंय वोला अपन रोज के काम-बूता – जइसने कपड़ा धोवत, बगीचा के साफ सफाई करे बखत धियान ले देखेंव. तब मोला ओकर रोज के दिक्कत के अंदाजा होईस. वो अपनेच हाथ-गोड़ के भरोसा नई करे सकत रहिस, फेर वो ह मोला इसने जतावत रहय जइसने के अपन काम करे ले जियादा ख़ुशी मिलथे. वो ला ये बात के चिंता नई रहिस के ओकर अच्छ्मता बहिर के दुनिया अऊ ओकर बीच मं सबले बड़े ऊंच दीवार रहिस. फेर वो हा ये घलो कहे रहिस के कतको बेर वो ह अपन भीतरी अकेल्लापन मसूस करथें, लगथे के वो ह मर जाय.
मंय सार्डिन धरेइय्या मछुवारा मन के ऊपर फोटू के कड़ी करे रहेंव. सार्डिन मछरी भारी धरे जाथें, येकरे सेती वोला समंदर ले धरे अऊ पार तक लाय, अऊ जाल ले एक एक ठन हेरे के काम भारी मुस्किल भरे आय . मंय ये फोटू मं दिखाय के कोसिस करे रहेंव के वो ला जाल ले एक एक कर हेरे अऊ बरफ के बक्सा मं भरे तक कइसने मरद अऊ माईलोगन मन मिलके एके संग काम करथें.
मछुवारा समाज ले होवत घलो माई फ़ोटोग्राफ़र के रूप मं हमन ला सबले बड़े चुनऊती अइसने सवाल करे जाय हवय, जइसने के ‘ तंय ओकर फोटू काबर खींचत हव? माईलोगन मन फोटोग्राफी जइसने बूता काबर करत हवंय?”
पलनी अन्ना तउन सब्बो मछुवारिन बर बड़े ताक़त आयं, जऊन मन अब अपन पहिचान फ़ोटोग्राफ़र के रूप मं बनाय मं डटे हवंय.
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पलनी स्टूडियो हरेक बछर अइसने दू ठन कार्यशाला करे के इरादा रखथे, जेन मं पढ़ेइय्या लइका मन ला फ़ोटोग्राफ़ी सिखाय जाही. दूनों कार्यशाला मं 10-10 झिन प्रतिभागी शामिल होहीं. कार्यशाला सिरोय के बाद सब्बो प्रतिभागी मन ला छे महिना मं अपन कहिनी बनाय सेती अनुदान घलो देय जाही. कार्यशाला ला संचालित करे अऊ ओकर काम के समीक्षा करे सेती अनुभवी फ़ोटोग्राफ़र अऊ पत्रकार मन ला बलाय जाही. ये फोटू मन ला बाद मं प्रदर्शित घलो करे जाही.
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू