अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस (1 मई) के मौक़े पर, पारी भारत में मज़दूरों की स्थिति पर प्रकाश डालने वाली चार महत्वपूर्ण रपटें लेकर आया है. कामकाजी लोग जिन असमानताओं का सामना करते हैं उन्हें ग्राफ़िक्स के ज़रिए पेश किया गया है. साथ ही, उनकी एकजुटता की बानगी भी इनमें मिलती है
दीपांजलि सिंह, स्वदेशा शर्मा और सिद्धिता सोनावने की भागीदारी वाली पारी लाइब्रेरी टीम, आम अवाम के रोज़मर्रा के जीवन पर केंद्रित पारी के आर्काइव से जुड़े प्रासंगिक दस्तावेज़ों और रपटों को प्रकाशित करती है.
देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.