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Samastipur, Bihar

Sep 22, 2023

मुस्लिम ख़लीफ़ा: बिहार में आल्हा-ऊदल के आख़िरी गवैया

बिहार में मुस्लिम ख़लीफ़ा आल्हा-ऊदल गाने वाली पीढ़ी के आख़िरी गवैये हैं, और खेत-खलिहानों, शादी के आयोजनों और घरेलू कार्यक्रमों में परफ़ॉर्म करते हैं. किसी ज़माने में उन्हें गाने के लिए ख़ूब बुलाया जाता था, लेकिन उनके मुताबिक़ योद्धा भाइयों के इस लगभग 800 साल पुराने महाकाव्य के प्रति लीगों की दिलचस्पी तेज़ी से घटती जा रही है

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Author

Umesh Kumar Ray

उमेश कुमार राय साल 2025 के पारी-तक्षशिला फ़ेलो हैं, और साल 2022 में पारी फ़ेलो रह चुके हैं. वह बिहार के स्वतंत्र पत्रकार हैं और हाशिए के समुदायों से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं.

Editor

Devesh

देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.

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Shaoni Sarkar

शावनी सरकार, कोलकाता की स्वतंत्र पत्रकार हैं.