अरातोंडी गांव के सांकर गली मन मं मीठ, मतेइय्या, महमहावत महक बगरे हवय.

हरेक घर के आगू अंगना मं बांस के सरकी, दरी अऊ भूंइय्या मं पिंयर, हरियर अऊ भुरुवा मऊहा सूखत हवय. ताजा बिने पिंयर अऊ हरियर मऊहा फूल, घाम मं सूखे सेती भुरुवा होगे हवय.

चुनाव नजीक हे अऊ महाराष्ट्र के गोंदिया मं मऊहा के सीजन चलत हे.

मऊहा चइत (अप्रैल) मं, तेंदू पत्ता बइसाख (मई) मं, सार्थिका कैलाश आड़े कहिथे.” हमर इहाँ इही हवय.” हरेक बिहनिया 36 बछर के ये सियान ह गाँव के मन अऊ गोंड जनजाति के दीगर लोगन मन के संग तीर तखार के जंगल मं 4-5 घंटा बिताथे, ऊंच मऊहा रुख ले गिरेइय्या फूल ला बिनथें, जेकर पाना मं अब लाल रंग के होथे. मंझनिया तक ले पारा 41 डिग्री सेल्सियस मं हवय अऊ घाम सतावत हवय.

हरेक मऊहा रूख मं औसतन 4-6 किलो फूल झरथे. अरातोंडी गांव (जेन ला इहाँ के लोगन मन अराकतोंडी घलो कहिथें) के लोगन मन  येला झुउंहा धन प्लास्टिक के बोरी मन मं संकेलथें अऊ घाम मं सूखाय बर घर ले के आथें. एक किलो सूखे मऊहा ले वो मन ला 35-40 रूपिया मिलथे अऊ एक झिन मइनखे रोज के 5-7 किलो बीने सकथे.

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उत्ती विदर्भ के गोंदिया, भंडारा, गढ़चिरौली अऊ चंद्रपुर जिला मन मं आम चुनाव के पहिला चरण मं 19 अप्रैल के वोट परही. जम्मो इलाका मं मरद, महतारी अऊ लइका मन बिहनिया-बिहनिया मऊहा बीने मं लगे हवंय

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मऊहा बीने मने रोज के पांच घंटा लग जाथे. मऊहा बीने सुरु होय के बाद ले वोला चइत के भारी घाम मं बांस के सरकी, दरी अऊ चादर मं बगरा के सूखाय जाथे. ये ह मध्य भारत के लोगन मन बर सलाना आमदनी आय

मऊहा (मधुका लोंगिफोलिया) के रुख मध्य अऊ उत्ती भारत मं आदिवासी लोगन मन के जिनगी मं अलग  सांस्कृतिक, दैवीय अऊ आर्थिक महत्तम रखथे. उत्ती विदर्भ मं गोंदिया जिला के आदिवासी भीतरी इलाका मन मं – जेन मं नक्सली मन ले जूझत गढ़चिरौली जिला घलो सामिल हवय – मऊहा  जीविका के एक ठन महत्तम जरिया आय. साल 2011 के जनगणना के मुताबिक, अनुसूचित जाति   13.3 फीसदी अऊ अनुसूचित जनजाति 16.2 फीसदी आबादी हवय. इहाँ के लोगन मन के दूसर बड़े जीविका महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) कार्यक्रम हवय.

भाठा-भर्री वाले, छोटे खेती करेइय्या गाँव मं, काबर के खेती के काम सिरा जाथे अऊ खेत ला छोड़ बहिर जाय मुस्किल हो जाथे. लाखों लोगन मन चइत मं हरेक दिन अपन खेत धन अर्जुनी-मोरगांव तहसील के तीर-तखार के जंगल मं घंटों मऊहा बीनथें. साल 2022 जिला सामाजिक अऊ आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, गोंदिया मं 51 फीसदी जमीन मं जंगल हवय, येकर करीबन आधा संरक्षित इलाका आय.

मऊहा उपज अऊ आदिवासी जीविका के हालत उपर साल 2019 के एक ठन अध्ययन - मुंबई स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पब्लिक पॉलिसी (एमएसई एंड पीपी) के पहल मं मिलिस के उत्ती विदर्भ इलाका ह करीबन 1.15 लाख मीट्रिक टन (एमटी) मऊहा संकेलथे. जाने-माने अर्थशास्त्री अऊ एमएसईएंडपीपी के पूर्व निदेशक डॉ. नीरज हटेकर कहिथें, गोंदिया जिला के हिस्सेदारी 4,000 मीट्रिक टन ले कुछु जियादा हवय अऊ गढ़चिरौली के हिस्सेदारी राज के कुल उपज के 95 फीसदी हवय.

अध्ययन मं मिलिस के एक किलो मऊहा के मतलब लोगन के घंटा भर के मिहनत आय. चइत मं हजारों परिवार रोज के 5-6 घंटा मऊहा बीने मं बिताथें.

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संकेले मऊहा ला छत्तीसगढ़ के बेपारी मन गाँव मन मं (डेरी) जाके बिसोथें अऊ रइपुर ले जाथें. अराकतोंडी गांव मं परिवार वन-आधारित जीविका के भरोसा मं हवंय जइसने चइत मं मऊहा बीने अऊ बइसाख में तेंदू पत्ता टोरे

परोसी राज छत्तीसगढ़ मऊहा खरीदी के बड़े जगा आय, जेकर ले खास करके दारु बनाय, खाय के सामान बनाय अऊ मवेसी चारा के रूप बऊरे जाथे.

डॉ. हाटेकर कहिथें, “संकेले मऊहा असल उपज ले बनेच कम हवय. कतको कारन हवंय, फेर खास करके ये काम ह मिहनत अऊ बखत लगेइय्या आय.”  वो ह महाराष्ट्र मं मऊहा नीति मं बड़े सुधार के सुझाव दे हवंय, जिहाँ मऊहा ले बने दारु अवैध आय. वो ह ये घलो कहिथे के दाम ला थिर करे, दाम के कड़ी ला व्यवस्थित रखे अऊ बजार मन ला व्यवस्थित करे के ऊपाय ले बड़े पइमाना मं गोंड आदिवासी आबादी ला फायदा मिलही जेन मन येकर भरोसा मं हवंय.

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ये बात के कऊनो घलो संभावना नइ ये के सार्थिका कभू घलो अरविंद पनगढ़िया के लेख ‘डोंट लूज़ स्लीप ओवर इनिक्वालिटी’ ला पढ़े. ये लेख 2 अप्रैल 2024 मं टाइम्स ऑफ इंडिया मं छपे रहिस जेन ह बड़े अंगरेजी अख़बार मन ले एक आय. पनगढ़िया के सार्थिका ले कभू भेंट होय के आस नइ ये.

दूनों के दुनिया जाने के अलग-अलग रद्दा हवय.

पनगढ़िया सायेद भारत के सबले बड़े आमदनी वाले एक फीसदी वर्ग ले हवंय, कुलीन अरबपति लीग मं नइ, फेर प्रभावशाली नीति निर्माता मन के लीग के हवंय.

सार्थिका अऊ ओकर गाँव के लोगन मन देश के सबले गरीब अऊ सबले कमजोर लोगन मन ले हवंय- मतलब सबले निचला 10 फीसदी लोगन मन ले. ओकर घर कतको सुविधा ले वंचित हवय. वो ह कहिथे, सब्बो जरिया ले ओकर घर के महिना के आमदनी 10,000 रूपिया हवय.

दू लइका के महतारी कहिथे के ओकर जिनगी दिन ब दिन कठिन होवत जावत हवय. बढ़त महंगाई अऊ आमदनी के रद्दा बंद होय सेती नींद नइ परत हवय. ओकर तीर-तखार के लोगन मन येकर समर्थन करत मुड़ी हलाय ला लगथें.

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सार्थिका आडे (नीला बंदना)  छोटे किसान आय जेन ह मऊहा अऊ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के भरोसा मं हवय. बीते 10 बछर मं, मनरेगा के मांग सिरिफ बढ़े हवय, अइसने माइलोगन मन के कहना आय जऊन मन मनरेगा मं छै-सात घंटा काम करथें अऊ ये मं पढ़े-लिखे मरद अऊ माईलोगन घलो सामिल हवंय. गांव के दीगर माई लोगन मन के संग (जउनि)

अराकतोंडी के माईलोगन मन कहिथें, हरेक जिनिस महंगा होवत जावत हवय. खाय के तेल, चीनी, साग-भाजी, तेल, बिजली, आय जाय के भाड़ा, कापी किताब, कपड़ा. वो मन के लिस्ट बढ़त जाथे.

सार्थिका के परिवार करा बरसात के भरोसा वाले एक एकड़ ले घलो कम जमीन हवय जेन मं वो मन धान कमाथें.येकर ले वो मन ला करीबन 10 क्विंटल उपज मिल जाथे. येकर ले बछर भर मं सायदे बेंचे लइक बांचथे.

त सार्थिका जइसने आदिवासी काय करथें?

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन उमेद सेती गांव मं सामुदायिक संसाधन प्रतिनिधि अलका मड़ावी के कहना आय, “फागुन ले बइसाख   तक तीन ठन चीज हमर जीविका के आधार आय.”

वो ह लिस्ट गिनावत कहिथे के जंगल के उपज – चइत मं मऊहा, बइसाख मं तेंदू पत्ता, मनरेगा के काम अऊ सरकार डहर ले मिलेइय्या सस्ता अनाज. ओकर मुताबिक “गर ये तीनों चीज त निकार देथन, त हमन सदा दिन बर शहर मं काम सेती चले जाबो, धन इहाँ रहिके भूखं मरबो,” मड़ावी इहां स्वयं सहायता समूह मन के मुखिया आय.

सार्थिका अऊ ओकर गोंड समाज बिहनिया पांच घंटा तीर के जंगल मन मं मऊहा बिनथें, मनरेगा के तहत बनत सड़क पांच ले छै घंटा काम करथें, अऊ संझा के अपन घर के बूता करथें, जइसने  रांधे, कपड़ा धोय, मवेसी पोसे, लइका मन के देखभाल अऊ साफ-सफाई. काम के जगा मं, सार्थिका माटी खनथे अऊ प्लास्टिक के घमेला मं भरथे, अऊ ओकर संगवारी वोला मुड़ मं बोहके, सड़क मं फेंक देथे. मरद लोगन वोला बाद मं सम करथें. वो मन ले हरेक ला खनती ले सड़क तक ऊपर-तरी होय ला परथे.

एक दिन के काम सेती, वो मन के मज़दूरी: रेट कार्ड के मुताबिक 150 रूपिया. सीजन मं मऊहा ले कमई के संग-संग वो मन दिनभर काम करके 250-300 रूपिया कमा लेथें. बइसाख आतेच, वो मन तेंदू पत्ता टोरे जंगल मं चले जाथें.

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अलका मड़ावी (डेरी) राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, उम्मेद सेती गांव मं सामुदायिक संसाधन प्रतिनिधि आंय. सार्थिका (जउनि) जंगल मं मऊहा बीने बखत

दुख के बात ये आय के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ह घेरी-बेरी येला कांग्रेस पार्टी के  'विफलता का जीवित स्मारक' कहिके हँसी उड़ाय के बाद घलो देश के बड़े हिस्सा मं गरीब मन बर मनरेगाच ह एकेच जीविका आय. ओकर शासन के दस बछर मं, मनरेगा के मांग सिरिफ 2024 मं बढ़े हवय, अइसने तऊन माइलोगन मं के कहना आय जेन मन मनरेगा मं काम करथें, अऊ ये काम मं पढ़े-लिखे मरद अऊ माईलोगन घलो सामिल हवंय.

सार्थिका अऊ दीगर माईलोगन मन ला भारत के सबले अमीर मइनखे, मुकेश अंबानी के एक दिन के आमदनी के बराबर होय मं सैकड़ों बछर लाग जाही. अर्थशास्त्री पनगढ़िया ह लिखथे, असमान आमदनी एक ठन अइसने चीज आय जेन मं हमर नींद उड़ जाय ला चाही.

मनरेगा काम के जगा मं पछीना बोहवत 45 बछर के समिता आड़े, जेन ह माना घलो आय, कहिथे, “मोर करा खेत धन कऊनो दीगर काम नइ ये.” “रोज़गार हमी [मनरेगा] सिरिफ अइसने काम आय जेकर ले हमन ला कुछु पइसा मिलथे.” सार्थिका अऊ दूसर लोगन मन “बढ़िया मजूरी अऊ बछर भर काम” के मांग करत हवंय.

समिता आरो देथे के बीते कुछेक बछर मं जंगल के उपज संकेले के मारामारी होगे हवय, काबर के बछर भर बूता नइ रहे सेती जियादा ले जियादा लोगन मन जंगल के भरोसा मं हो जाथें. अरकटोंडी नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान के दक्खिन जंगली इलाका के तीर मं हवय, अऊ येला अब तक ले वन अधिकार अधिनियम के तहत सामुदायिक वन अधिकार नइ मिले हवय.

सार्थिका कहिथे, “फेर ये ह सीजन के चऊथा [आजीविका] बेर जवई आय.”

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सार्थिका अऊ दीगर माईलोगन मन ला भारत के सबले अमीर मइनखे, मुकेश अंबानी के एक दिन के आमदनी के बराबर होय मं सैकड़ों बछर लाग जाही. अर्थशास्त्री पनगढ़िया ह लिखथे, असमान आमदनी एक ठन अइसने चीज आय जेन मं हमर नींद उड़ जाय ला चाही. सार्थिका (जउनि) अऊ दीगर लोगन मन बढ़िया मजूरी अऊ बछर भर काम के मांग करत हवंय

हरेक बछर, कुंवार ले माघ (अक्टूबर ले फरवरी) तक, करीबन आधा गाँव दूर-दराज मं दूसर के खेत, कारखाना धन काम वाले जगा मं काम करे जाय बर अपन घर ला छोड़ देथें.

सार्थिका कहिथे, “मंय अऊ मोर घरवाला ये बछर धान के खेत मं बूता करे बर कर्नाटक के यादगीर गे रहेन. हमर 13 झिन के मरद अऊ माईलोगन मन के एक ठन मंडली रहिस जेन ह एक ठन गाँव मं खेती के जम्मो काम करिस अऊ माघ मं लहूँट आइस.” ये सलाना आमदनी एक ठन बड़े सहारा आय.

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धान के कटोरा अऊ उत्ती विदर्भ के जंगल ले भरपूर जिला - भंडारा, गोंदिया, गढ़चिरौली, चंद्रपुर अऊ नागपुर - कुल पाँच संसदीय क्षेत्र हवंय. वो मन 19 अप्रैल मं साल 2024 के आम चुनाव के पहिली चरण मं वोट डारहीं.

लोगन मन डहर चेत नइ धरे सेती नेता अऊ अफसर मन के ऊपर अराकतोंडी के लोगन मन के भरोसा उठगे हवय. गरीब के जिनगी ला कठिन बनेइय्या मोदी सरकार के 10 बछर के शासन ला लेके गरीब लोगन मन मं गुस्सा साफ झलकत हवय.

सार्थिका कहिथे, “हमर बर कुछु घलो बदले नइ ये. हमन ले रसोई गैस मिलीस, फेर ये ह बनेच महंगा हवय; मजूरी उहिच हवय; अऊ  बछर भर कऊनो थिर काम नइ होवय.”

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अराकतोंडी गांव मं मनरेगा जगा. नेता अऊ अफसर मन के ऊपर अराकतोंडी के लोगन मन के भरोसा उठगे हवय. गरीब के जिनगी ला कठिन बनेइय्या मोदी सरकार के 10 बछर के शासन ला लेके गरीब लोगन मन मं गुस्सा साफ झलकत हवय

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धान के कटोरा अऊ उत्ती विदर्भ के जंगल ले भरपूर जिला - भंडारा, गोंदिया, गढ़चिरौली, चंद्रपुर अऊ नागपुर - कुल पाँच संसदीय क्षेत्र हवंय. वो मन 19 अप्रैल मं साल 2024 के आम चुनाव के पहिली चरण मं वोट डारहीं

भंडारा-गोंदिया सीट ले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) डहर फिर ले चुनाव मं उतारे गे सांसद सुनील मेंढे ऊपर जियादा गुस्सा हवय. खास करके गाँव के लोगन मन के ये बड़े सीट मं कहना आय, “वो ह कभू हमर गांव मं नइ आइस.”

मेंढे के सीधा मुकाबला कांग्रेस के डॉ. प्रशांत पडोले ले हवय.

अराकतोंडी के लोगन मन साल 2021 के धूपकल्ला मं पहिली कोविड-19 लॉकडाउन के बखत रेंगत घर लहूँटे के अपन पीरा ला बिसोरे नइ यें.

वो मन कहिथें के 19 अप्रैल मं वो मन वोट डारे बिहनिया पांच घंटा मऊहा बीने के बाद जाहीं. ओकर मन के कहना आय के मनरेगा काम बंद होय ले वो मन के एक दिन के रोजी मजूरी मार जाही.

वो मन वोट कऊन ला दिहीं?

वो मन साफ ढंग ले नइ बतयेंव, फेर कहिथें, “जुन्ना बखत ह येकर ले बने रहिस.”

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Jaideep Hardikar

जयदीप हार्दिकर, नागपुर स्थित पत्रकार-लेखक हैं और पारी की कोर टीम के सदस्य भी हैं.

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Editor : Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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