বঙ্গোপসাগর উপকূলের মহাবলীপূরম সমুদ্রতটে জেলেরা এক শনিবার ৪টে নাগাদ বৈকালিক অবসরে তাস খেলছেন।

রাত থাকতেই তাঁদের দিন শুরু হয়। সূর্য ওঠার আগেই তাঁরা সমুদ্রে পাড়ি জমান। কয়েক ঘণ্টা মাছ ধরে (মরসুম বিশেষে সময়ের হেরফের হয়), যখন ফিরে আসেন, সাধারণত তখনও সূর্য মাঝ আকাশে পৌঁছয় না। তাঁদের সংগৃহীত মাছ নিয়ে সমুদ্রতটেই ব্যবসায়ীদের নিলাম শুরু করেন। নিলাম শেষে জেলেরা বাড়ি ফিরে, খেয়েদেয়ে, একটু জিরিয়ে নেন। বেলা পড়ে এলে, আবার সৈকতে ফিরে এসে লেগে পড়েন জাল মেরামতির কাজে। তারপর সবাই জটলা করে তাস খেলতে বসেন। শ্রান্ত দিনের শেষে খানিক চনমনে হয়ে ওঠার সময় এখান।

অনুবাদ: অংশুপর্ণা মুস্তাফী

Rahul M.

राहुल एम, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर के रहने वाले एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और साल 2017 में पारी के फ़ेलो रह चुके हैं.

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Editor : Sharmila Joshi

शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.

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Translator : Aunshuparna Mustafi

अंशुपर्णा मुस्ताफी ने कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय से तुलनात्मक साहित्य में पढ़ाई की है. उनकी दिलचस्पी कहानी कहने के नए-नए तरीक़ों, यात्रा लेखन, विभाजन से जुड़ी कथाओं और स्त्री अध्ययन जैसे विषयों में है.

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