“उ लोग कहेला कि ई जगह कचरा आ गन्दगी से भरल बा आ महकत रहेला,” सड़क के दुनु ओर मछरियन के डिब्बा आ विक्रेता लोगन के कतार की ओर इशारा करत खिसियाईल एन. गीता (42) कहेली. “ई कचरा हमनी के धन हवे. ई बदबू हमनी के आजीविका हवे. एके छोड़ के हमनी के कहां जईब जा?” उ पूछेली.

हमनी के लूप रोड पर नोचिक्कुप्पम मछली बाजार में खड़ा बानी जा. ई बाजार मरीना बीच से 2.5 किलोमीटर ले फईलल बा. ‘जे लोग’ शहर के सुन्दरीकरण के नाम पर इहां से विक्रेता लोगन के हटावल चाहता उ लोग कुलीन सांसद आ अधिकारी हवे. गीता जईसन मछुआरन खातिर नोचिक्कुप्पम उनकर ओरु (गांव) हवे. ई ओ लोगन खातिर एगो अइसन जगह हवे जेके सुनामी आ चक्रवात झेलला के बावजूद उ लोग ना छोड़ल.

गीता बाजार में चहल-पहल सुरु होखे से पहिले सबेरे सबेरे आपन स्टाल तैयार करत बाड़ी. पलटा के राखल गईल क्रेट से उ एगो टेबल बनवले बाड़ी जेकरी उपर प्लास्टिक के बोर्ड राखल बा आ उ ओपर पानी छिरकत बाड़ी. उ दुपहर दू बजे ले अपनी स्टाल पर रहिहें. दू दशक से अधिक समय पहिले से उ अपनी बियाह के बादे से एइजा मछरी बेच रहल बाड़ी.

बाकिर लगभग एक साल पहिले, 11 अप्रैल 2023 के उनके आ लूप रोड से संचालित होखे वाला करीब तीन सौ अन्य विक्रेता लोगन के ग्रेटर चेन्नई कारपोरेशन (जीसीसी) से बेदखली के नोटिस मिलल रहे. मद्रास उच्च न्यायालय के एगो आदेश से जीसीसी के एक हफ्ता के भीतर सड़क खाली करवावे के कहल गईल रहे.

“ग्रेटर चेन्नई कारपोरेशन कानून के उचित प्रक्रिया के पालन करत लूप रोड पर हर अतिक्रमण (मछरी विक्रेता, स्टाल, पार्क करल गईल गाड़ी) के हटा दिही. पुलिस ई सुनिश्चित करे खातिर निगम के सहायता प्रदान करी कि सड़क के पूरा हिस्सा फुटपाथ आ अतिक्रमण से मुक्त होखे, यातायात के आसानी से चले दे आ पैदल चले वालन खातिर खाली रहे,” अदालत के आदेश में कहल गईल बा.

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बाएं: नोचिकुप्पम बाजार में बिक्री खातिर तिलपिया , मैकरेल आ थ्रेडफिन संघे गीता. दायें: नोचिकुप्पम बाजार में दिन भर के पकड़ल मछरी छांटत मछुआरा लोग

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बाये: परिसर के भीतर से नया बाजार के एगो हिस्सा जेकरी बीच में कार पार्किंग के जगह बा. दायें: नोचिकुप्पम खंड पर खड़ा खाली 200 गो नाव

मछुआरा समुदाय के नजर में उ लोग पूर्वाकुड़ी यानि एइजा के असली रहवासी हवे लोग. आ शहर लगातार ओ लोगन के जमीन पर कब्जा कईले जाता जवन ऐतिहासिक रूप से ओही लोगन के हवे.

चेन्नई (आ चाहे मद्रास) शहर के निर्माण से बहुत पहिले ई समुद्र तट समुद्र में छोट कट्टुमरम्स (कैटामरान्स) से तनी तनी लागल रहे. मछुआरा लोग आधा रौशनी में धैर्य से बईठे आ हवा के महसूस करत आ सुंघत वांडा-थान्नी के संकेत खातिर धारा पर नजर राखे लोग. ई कावेरी अ कोल्लिडम नदियन के गाद से लदल धारा हवे जवन चेन्नई समुद्र तट के संघे मौसमी रूप से बढ़ेला. ई धारा में एक बेर में ढेर क मछरी आवे सन. अब मछरी भरपूर मात्रा में ना भेंटाली सन बाकिर चेन्नई के मछुआरा लोग बीच पर मछरी बेचेला.

“आज भी मछुआरा लोग वांडा-थान्नी के इंतजार करेला बाकिर शहर के बालू आ कंक्रीट ई याद मिटा देले बा कि चेन्नई एक समय पर मछरी पकड़े वाले कुप्पम (उहे व्यवसाय करे वाला लोगन के बस्ती) लोगन के समूह होखत रहे,” नोचिकुप्पम बाजार से नदी के ओ पार स्थित गो गांव उरुर ओल्कोट के एगो मछुआरा एस. पलायम कहेलन. “लोगन के का ई याद बा?”

समुद्र तट के बाजार मछुआरा लोगन खातिर जीवन रेखा हवे. आ जीसीसी के योजना अनुसार मछरी बाजार के कहीं अउरी भेजल बाकी शहरवासियन खातिर एगो छोट मोट समस्या हो सकेला बाकिर नोचिकुप्पम बाजार में मछरी बेचे वाला मछुआरन खातिर ई आजीविका आ पहचान के सवाल भी बा.

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मरीना बीच के लड़ाई पुरान हवे.

अंग्रेजन से लेके ओकरी बाद के आवे जाये वाला कुल सरकारन के लगे मरीना बीच के सुन्दरीकरण में बतावे लायक योगदान आ कहानी बाटे. एगो लम्बा सैरगाह, किनारे पर बनल लॉन, बढ़िया से मेंटेन कईल पेड़ रुख, टहले खातिर साफ़ रास्ता, स्मार्ट केयोस्क, रैम्प आ बहुत कुछ एकर खासियत बा.

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बाएं: नोचिकुप्पम लूप रोड पर पेट्रोल ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी दायें: नोचिकुप्पम बाजार में बिक्री खातिर राखल ताजा समुद्री झींगा

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बाएं: मछुआरा लोगन के जाल राखे आ आराम करे खातिर बनल अस्थायी शेड आ टेंट. दायें: मरीना बीच पर अपनी जाल से दिन भर के कमाई निकालत मछुआरा लोग

ए बेरी अदालत लूप रोड पर यातायात अव्यवस्था के देख के स्वतः संज्ञान याचिका के माध्यम से मछुआरा समुदाय के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दिहले बा. मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायधीश लोग खुदे अपनी दैनिक अवागमन खातिर ए सड़क के उपयोग करेला. सड़क के किनारे से मछरी के स्टाल के हटावे खातिर बेदखली के आदेश दिहल गईल रहे आ कहल गईल रहे कि सबसे व्यस्त समय के दौरान उ लोग अराजकता फैलावता.

जब जीसीसी आ पुलिस अधिकारी 12 अप्रैल के लूप रोड के पश्चिम की ओर मछरी के स्टाल ध्वस्त करे शुरू कईल लोग त एरिया में भूचाल आ गईल आ क्षेत्र के मछुआरा समुदाय एकाधिक बेर बड़ा पैमाना पर विरोध प्रदर्शन कईल लोग. जीसीसी द्वारा अदालत में वादा कईला के बाद कि उ आधुनिक मछरी बाजार के पूरा भईला तक लूप रोड पर मछुआरन के नियमन करी, विरोध प्रदर्शन रोक दिहल गईल रहे. क्षेत्र में पुलिस के प्रबल उपस्थिति बा.

“चाहे न्यायधीश होखस चाहे चेन्नई कारपोरेशन, ई सब लोग सरकार के हिस्सा बा कि ना? त सरकार ई काहे करतिया? एक ओर उ लोग हमनी के तट के प्रतीक बनावेला आ दूसरी ओर हमनी के आजीविका कमाए से रोकल चाहता,” समुद्र तट पर मछरी बेचे वाली 52 बरिस के एस. सरोजा कहेली.

उ सड़क के दूसरी ओर सरकार द्वारा आवंटित नोचिकुप्पम हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (2009 से 2015 के बीच) के भित्ति चित्र के बात करतारी जवन उनके समुद्र तट से अलग करेला. मार्च 2023 में तमिलनाडु शहरी आवास विकास बोर्ड, St+Art नाम के एगो एनजीओ आ एशियन पेंट्स मिल के समुदाय के आवास के एगो ‘नया रूप देवे के’ पहल कईलस. नेपाल, उड़ीसा, केरल, रूस आ मेक्सिको के कलाकारन के नोचिकुप्पम में 24 घरन के दीवारन पर भित्ति चित्र बनावे खातिर आमंत्रित कईल गईल रहे.

“उ लोग दीवाल पर हमनी के जीवन के चित्र बनावेला आ ओकरी बाद हमनी के क्षेत्र से निकाल देवेला,” इमारतन की ओर देखत के कहेलिन. “फ्री हाउसिंग’ ए इमारतन के नामे भर बा, एइजा कुछु फ्री नईखे. “एगो एजेंट हमके एक अपार्टमेंट खातिर पांच लाख रुपया देवे के कहलस,” नोचिकुप्पम के पुरान मछुआरा पी. कन्नादासन (47) कहेलन. “अगर हमनी के पईसा ना दिहती जा त अपार्टमेंट केहू अउरी के नावे हो जाईत,” उनकर 47 बरिस के मित्र आरसु कहेलन.

चेन्नई तेजी से अधिका से अधिका शहरी क्षेत्र में बदलल जाता. मछुआरन के समुद्र तट से काट के लूप रोड के निर्माण नगर निगम आ मछुआरन के बीच के टकराव बढ़ा रहल बा.

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बाये: नोचिकुप्पम में कन्नादासन. दायें: आरसु (सफ़ेद दाढ़ी) अपनी बेटा नितीश (भूअर टी शर्ट) बाजार में एगो छतरी के छाया में नितीश के दादी संघे कैमरा खातिर पोज देत के

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बाएं: रंजित नोचिकुप्पम बाजार में मछरी बेचाताने. दायें: सरकार द्वारा मछुआरन खातिर आवंटित आवास परिसर पर भित्ति चित्र

मछुआरा लोग अपना के एगो कुप्पम, यानि बस्ती से सम्बंधित मानेला. “अगर पुरुषन के समुद्र आ समुद्र तट पर काम करे के रहे आ महिला लोगन के घर से बहुत दूर काम करे के पड़े त कुप्पम के अर्थ का रहि जाई?” पलायम (60) पुछेलन. हमनी के एक दूसरा से आ समुद्र से जुड़ाव के कुल भावना खो देब जा.” बहुत से परिवारन खातिर बातचीत करे के समय उहे होखेला जब पुरुष लोग अपनी नाव से मछरियन के महिला लोगन के स्टाल तक ट्रांसफर करेला. अइसन ए खातिर होखेला काहें कि पुरुष लोग रात में मछरी पकड़ेला आ दिन में सुतेला जबकि महिला लोग पकड़ाईल मछरी के बेचे खातिर दिन में जायली.

दूसरी ओर सबेरे वाकिंग आ जोगिंग करे वाला लोग ए जगह के मछुआरन के बतावेला. “बहुत सा लोग सबेरे एइजा आवेला,” मरीना बीच पर नियमित रूप से टहले वाला 52 बरिस के चिट्टीबाबू कहेलन. “उ लोग विशेष तौर पर मछरी कीने आवेला... ई उ लोगन (मछुआरन के) पुश्तैनी व्यापार हवे आ उ लोग एइजा बहुत लम्बा समय से रहि रहल बा लोग. ओ लोगन के एइजा से हटावे के कवनो तुक नईखे,” उ कहेलन.

नोचिकुप्पम के 29 बरिस के मछुआरा रंजित कुमार भी एपर सहमत बाड़ें. “अलग अलग तरह के लोग भी एक स्थान के उपयोग कर सकेला. उदाहरण खातिर, टहले वाला लोग 6-8 के बीच आवेला. ओ समय हमनी के समुद्र के लगे रहेनी जा. जब ले हमनी के वापस आवेनी जा, महिला लोग आपन स्टाल लगा लिहले रहेला आ टहले वाला लोग जा चुकल रहेला. हमनी आ टहले वाला लोगन के बीच में कब्बो कवनो दिक्कत ना भईल. ई ख़ाली अधिकारी लोग बा जवन समस्या पैदा कर रहल बा,” उ कहेलन.

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एइजा अलग अलग किसिम के मछरी मिलेली सन. कुछ पानी के प्रजाति छोट मछरी जइसे अर्धचन्द्राकार ग्रंटर (टेरापोन जरबुआ) आ पग्नोज पोनीफिश (डेवेक्सिमेंटम इनसाइडिएटर) एइजा नोचिकुप्पम बाजार से 200-300 रुपिया किलो के भाव से कीनल जा सकेला. इनके गांव से 20 किलोमीटर के दायरा में स्थानीय स्तर पर पकड़ल जाला आ बाजार के दूसरी तरफ फईला दिहल जाला. बाजार के दूसरी तरफ सीर मछरी (स्कॉम्बेरोमोरस कॉमर्सन) निहर अधिक दाम के प्रजाति बेचल जाला जेकर दाम 900-1000 रुपिया प्रति किलो ले होखेला आ बड़ ट्रेवली (स्यूडोकैरैंक्स डेंटेक्स) 500-700 रुपिया प्रति किलो के हिसाब से कीनल जा सकेला. इहंवा के मछुआरा लोग एह किसिम के लोकल नाम से बोलावेला- कीचन, कारपोडी, वंजरम, पारई आउर एह सभ के बेचेला.

सूरज की गर्मी से ख़राब होखे से पहिले मछरियन के बेचे खातिर समय से रेस लागल रहेला आ उत्सुक ग्राहक लोग जल्दी जल्दी ख़राब होखला से पहिले ताजा माल छांटल चाहेला.

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बाएं: नोचिकुप्पम में सार्डीन के आपन पकड़ल मछरी छांटत एगो मछरी विक्रेता. दायें: बाजार में सड़क पर मछरी साफ़ करत मछुआरिन लोग

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बाएं: नोचिकुप्पम में मैकरेल के सुखावल जाता. दायें: फ़्लाउंडर, गोटफिश आ सिल्वर बिडीज सहित मछरियन के अलग अलग प्रकार बेचे खातिर राखल बा

“अगर हम पर्याप्त मछरी ना बेचब त हमनी के बच्चन के फीस के दिही?” गीता पूछेली. उनकर दू गो बच्चा बाड़ें सन. एगो स्कूल जायेला आ एगो कॉलेज में बा. “हम हर दिन मछरी पकड़े जाये खातिर अपनी पति पर निर्भर ना रहि सकेनी. हम रात के 2 बजे उठ जाएनी आ कसिमेदू (नोचिक्कुप्पम से 10 किलोमीटर दूर) जायेनी, मछरी कीनेनी आ एइजा स्टाल लगावे खातिर समय से आ जायेनी. अगर अइसन ना करब त फीस त छोड़ीं, हमने के खाए खातिर भी ना जुरी,” उ कहेली.

तमिलनाडु में समुद्री मछरी पकड़े में लागल 608 गांवन के 10.48 लाख मछुआरन के आबादी में से लगभग आधा महिला लोग बाड़ी सन. आ ई लोग मुख्य रूप से बस्ती के महिला हई जे अस्थायी स्टाल चलावेला. महिला लोगन के कहनाम बा कि आमदनी के एकदम सटीक बतावल त मुश्किल बा बाकिर नोचिकुप्पम में बेचे वाला मछुआरा आ विक्रेता लोग दूर दराज के सरकार द्वारा अनुमोदित बंदरगाह कसिमेदू या अन्य इनडोर बाजारन के तुलना में अपेक्षाकृत बढ़िया जीवन बितावेला.

“सप्ताहांत हमरा खातिर सबसे व्यस्त समय होखेला,” गीता कहेली. हर बिक्री से हम 300 से 500 रुपिया ले कमा लेवेनी. आ स्टाल खोले के समय (8.30-9 बजे सबेरे) से ले के दुपहरिया 1 बजे ले हम लगातार बेचे के काम करेनी बाकिर ई बतावल मुश्किल बा कि हम केतना कमायेनी काहें कि हमके सबेरे मछरी कीने जाये के पड़ेला, आ हम एमे केतना खर्च करेनी ई ए बात पर निर्भर रहेला कि हमके रोज कवनी प्रजाति के मछरी केतना दाम में मिलेला.”

प्रस्तावित इनडोर बाजार में गईला पर आमदनी में गिरावट सबकी खातिर बड़का डर बा. “एइजा के कमाई से हमनी के आपन घर चलावे आ बच्चन के देखभाल करे में सक्षम बानी जा,” नाम ना छपला के शर्त पर एगो मछुवारिन कहेले. “हमरो बेटा कॉलेज जायेला! हम ओके आ बाकी बच्चन के कॉलेज कईसे भेज पाईब अगर हमनी के एगो अइसन बाजार में चल जातानी जा जहां  केहू मछरी कीने नईखे आवत? सरकार एकरो ध्यान राखी?” उ परेशान बाड़ी आ सरकार के शिकायत कईला के नतीजा से डेरात बाड़ी.

आर. उमा (45) ओ महिला लोगन में से बाड़ी जिनके बसंत नगर बस स्टैंड के लगे एगो अन्य मछरी बाजार में जाए खातिर मजबूर कईल गईल रहे. उ कहेली, “नोचिकुप्पम में 300 रुपिया किलो में बिकाए वाली चित्तीदार स्काट मछरी (स्कैटोफैगस आरगस) के बसंत नगर के बाजार में 150 रुपिया से अधिक में ना बेचल जा सकेला. अगर हमनी के ए बाजार में कीमत बढ़ाइब जा त केहू ना कीनी. चारु ओर देखीं, बाजार गन्दा बा आ पकड़ल मछरी बासी हो गईल बाड़ी सन. के एइजा आई आ कीनी? हमनी के समुद्र तट पर ताजा मछरी बेचल नीक लागेला बाकिर अधिकारियन के ई मंजूर नईखे. उ लोग हमनी के ए इनडोर बाजार में ले आईल बा. एकरी वजह से हमनी के दाम घटावे के परी, बासी मछरी बेचे के परी आ कम कमाई से काम चलावे के परी. हमनी के समझेनी जा कि नोचिकुप्पम के महिला लोग समुद्र तट पर बेचे खातिर काहे लड़ता; हमनियो के भी अइसने कईल चाहत रहे.”

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बाएं: चिट्टीबाबू जब मरीना लाइटहाउस क्षेत्र में टहले खातिर निकलेलन त नियमित रूप से बाजार आवेलें. दायें: पुरान मछुआरा कृष्णराज नोचिकुप्पम बाजार के दूसरी जगह ले जाए पर चिंता व्यक्त करेलन

चिट्टीबाबू अक्सर बीच पर मछरी कीनेलन, उनकर कहनाम बा, “हमके मालूम बा कि नोचिकुप्पम बाजार में हमके ताजा मछरी कीने खातिर अधिक पैसा देवे के पड़ेला बाकिर गुणवत्ता के बारे में निश्चित भईला के वजह से ई सही बुझाला.” नोचिकुप्पम के गंदगी आ बदबू के देखत के उ कहेलन, “कोयम्बेडू बाजार (फल, फूल आ सब्जी के बाजार) का हमेशा साफे रहेला? कुल बाजार गंदे रहेला, कम से कम खुलल आसमान के नीचे वाला बेहतर रहेला.”

“समुद्र तट के बाजार महक सकेला बाकिर सूरज के गर्मी कुल सुखा देला आ ओके बहावल जा सकेला. सूरज गंदगी साफ़ कर देला,” सरोजा कहेली.

“कचरा वाला गाड़ी आवेला आ इमारतन से कचरा एकट्ठा करेला बाकिर बाजारन से नाहीं,” नोचिकुप्पम के 75 बरिस के मछुआरा कृष्णराज आर. कहेलन. “ओ लोगन (सरकार) के ई जगह (लूप रोड मार्केट) के भी साफ़ राखे के चाहीं.”

“सरकार अपनी नागरिकन के बहुत सा नागरिक सेवा प्रदान करेले त ए (लूप) सड़क के आसपास के क्षेत्र के भी काहें ना साफ़ कईल जा सकेला? का उ लोग (सरकार) ई कहल चाहता कि ई साफ़ कईल हमनी के काम हवे बाकिर एकर कवनो अउरी उपयोग हमनी के ना कर सकेनी जा?” पलायम पुछेलन.

कन्नादासन कहेलन, “सरकार खाली सम्पन्न लोगन खातिर सोचतिया, टहले खातिर वाकर्स पाथवे, रोप कार्स आ अन्य परियोजना बनावतिया. उ लोग ई करवावे खातिर सरकार के पईसा दे सकेला आ सरकार काम करवावे खातिर बिचौलिया लोगन के पईसा देले.”

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बाएं: नोचिकुप्प्म बीच पर अपनी जाल से सार्डिन निकालत एगो मछुआरा. दायें: कन्नादासन जाल से पकडल एन्कोवी निकालत के

“एगो मछुआरा तब्बे जीवन ठीक से जी सकेला जब उस समुद्र तट के नजदीक हो. अगर आप ओके भीतर की ओर फेंक देब त उ कईसे जीही? बाकिर मछुआरा लोग विरोध करता त ओ लोगन के जेल में डाल दिहल जाता. मध्यमवर्ग के लोग विरोध करेला त कबो कबो सरकार सुन लेवेले. अगर हमनी के जेल गईनी जा त हमनी के परिवार के देखभाल के करी?,” कन्नादासन पुछेलन. “बाकिर ई कुल मछुआरा लोगन के मुद्दा हवे जिनके नागरिक ना बूझल जायेला,” उ कहेलन.

‘अगर ए जगह से ओ लोगन के बदबू आवता त उनके जाए द,” गीता कहेली. “हमनी के कवनो मदद या एहसान ना चाहीं. बस हमनी के परेसान ना कईल जाओ ना सतावल जाओ. हमनी के पईसा, मछरी भण्डारण बक्सा, कर्जा, कुछु ना चाहीं. बस हमनी के अपनी जगह पर रहे दिहल जाओ, एतने बहुत बा,” उ आगे कहेली.

“नोचिकुप्पम में बिकाए वाली ज्यादातर मछरी खाली एइजे से बिकायेला बाकिर कबो कबो हमनी के ओके कसिमेदू से भी मंगावल जाला,” गीता बतावेली. “एसे कवनो फरक ना पड़ेला कि मछरी कहां से आवतिया. हमनी के सब जाने एइजा मछरी बेचेनी जा आ हमनी के हरदम संघे बानी जा. अइसन बुझा सकेला कि हमनी के चिल्लायेनी जा आ एक दूसरा से लड़ेनी जा बाकिर इ कुल एइजा खाली छोट मोट दिक्कत हवे. जब कवनो समस्या होखेला त हमनी के हमेशा विरोध करे खातिर संघे आवेनी जा. हमनी के खाली अपनी मुद्दा खातिर ही ना बल्कि मछुवारन के दूसरो गांवन के मुद्दा खातिर विरोध प्रदर्शन में आपन काम रोक के शामिल होखेनी जा.

लूप रोड के किनारे मछरी पकड़े वाला तीन गो कुप्पम के समुदाय नया बाजार में नया स्टाल पावे के ले के भी अनिश्चित बा. “नया बाजार में 352 स्टाल लगावल जाता,” नोचिकुप्पम फिशिंग सोसाइटी के प्रमुख रंजित स्थिति के बारे में अवगत करावत के कहेलन. “स्टाल ख़ाली नोचिकुप्पम के विक्रेता लोगन के दिहल जाओ त ई पर्याप्त से अधिक होखी. हालांकि सब विक्रेता लोगन के बाजार में स्टाल ना मिली. बाजार के तीन मछुआरा कुप्पम के कुल विक्रेता लोगन के, लूप रोड के संघे – नोचिकुप्पम से पत्तिनापक्कम ले पूरा खंड जेमे करीब 500 विक्रेता लोग बाड़ें, समायोजित करे के चाहत रहल ह. कुल 352 स्टालन के आवंटन के बाद बाकी लोगन के का होई? ए बात पर कवनो स्पष्टता नईखे कि केके केके जगह आवंटित कईल जाई आ बाकी लोगन के कहां जाये के बा,” उ कहेलन.

“हमनी के फोर्ट सेंट जॉर्ज (विधान सभा के स्थान) में आपन मछरी बेचे जाईल जाई. पूरा गांव जाई आ हमनी के ओइजा विरोध प्रदर्शन कईल जाई,” आरसु कहेलन.

कहानी में महिला लोगन के नाम निवेदन पर बदल दिहल गईल बा.

अनुवाद: विमल चन्द्र पाण्डेय

Divya Karnad

दिव्या कर्नाड एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार-प्राप्त मरीन भूगोल शास्त्री और संरक्षणवादी हैं. वे ‘इनसीज़न फिश’ की सह-संस्थापक भी हैं. उन्हें लिखना और रिपोर्टिंग करना प्रिय है.

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मानिनी बंसल एक बेंगलुरु निवासी विज़ुअल कम्युनिकेशन डिज़ाइनर और फ़ोटोग्राफ़र हैं, जो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे डाक्यूमेंट्री फ़ोटोग्राफ़ी भी करती हैं.

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अभिषेक गेराल्ड, चेन्नई में रहने वाले एक मरीन जीववैज्ञानिक हैं. वे ‘फाउंडेशन फॉर इकोलॉजी रिसर्च एडवोकेसी एंड लर्निंग’ और ‘इनसीज़न फिश’ के साथ संरक्षण और सस्टेनेबल सीफूड पर काम करते हैं.

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श्रीगणेश रमण एक मार्केटिंग प्रोफेशनल हैं और फ़ोटोग्राफ़ी में रुचि लेते हैं. वे टेनिस खेलते हैं और अलग-अलग विषयों पर ब्लॉग भी लिखते हैं. ‘इनसीज़न फिश’ में उनका काम पर्यावरण के बारे में सीखने से संबंधित है.

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Editor : Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.

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Translator : Vimal Chandra Pandey

विमल चन्द्र पाण्डेय राष्ट्रीय समाचार एजेंसी से पत्रकारिता की शुरुआत से ही केन्द्रीय सूचना का अधिकार आन्दोलन से जुड़े रहे और पांच साल की पत्रकारिता के बाद नौकरी से इस्तीफा देकर फिल्मों से जुड़े. फ़िलहाल कथा पटकथा लेखन के साथ फिल्मों के निर्देशन और निर्माण से जुड़े हैं. हिंदी अख़बार नवभारत टाइम्स, मुंबई में भोजपुरी स्तम्भ ‘माटी की पाती’ लिखते हैं.

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