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पश्चिमी ओडिशा के बॉक्साइट समृद्ध नियमगिरी पहाड़ डोंगरिया कोंध आदिवासियों का एकमात्र घर हैं

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विवाह समारोह सादगी के साथ आयोजित किए हैं, जिसमें सभी क़रीबी शामिल होते हैं और समुदायों के लोग अलग-अलग कामों की ज़िम्मेदारी उठा लेते हैं. यहां, नज़दीक के गांवों के युवा एक विवाह समारोह (वर्ष 2009 में) में ढाप बजाने के लिए जा रहे हैं, जो यहां का लोकप्रिय वाद्य यंत्र है

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बैंड के सदस्य गीत और संगीत के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते हैं

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ज़्यादातर समुदायों में जहां शादी के लिए महिला की सहमति नहीं ली जाती है, वहीं दूसरी तरफ़ डोंगरिया कोंध समुदाय के लोग दुल्हन की सहमति पर ज़ोर देते हैं. अपनी शादी के लिए, टेलिडी ने लोदो सिकाका को अपना दूल्हा स्वीकार किया है

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समुदाय की महिलाएं टेलिडी के साथ अपने सिर पर पीतल के घड़े रखकर एक बारहमासी पहाड़ी झरने से पानी भरने के लिए जाती हैं. इस पानी से चावल पकाया जाता है, और फिर दुल्हन द्वारा धरणी पेनु (पृथ्वी देवी) को चढ़ाया जाता है

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दुल्हन की युवा सखियां दूल्हे के गांव लखपदार तक नाचते हुए जाती हैं, और अन्य ग्रामीण उन्हें उत्सुकता से देख रहे हैं

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ढाप की थाप पर नाचती आदिवासी लड़कियां

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और नृत्य गति पकड़ने लगा है

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इस बीच, अन्य ग्रामीण शादी की दावत तैयार करने में मदद करते हैं - आमतौर पर चावल, दाल और मीट को लकड़ी की आग में कम तेल और मसाले के साथ पकाया जाता है, और फिर पत्तों की प्लेटों पर परोसा जाता है

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समुदाय के बच्चे दावत शुरू होने का इंतज़ार कर रहे हैं

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और यह छोटी बच्ची दिन भर चले इस आयोजन में बहुत ख़ुश है

अनुवाद: निशांत गुप्ता

Purusottam Thakur

पुरुषोत्तम ठाकुर, साल 2015 के पारी फ़ेलो रह चुके हैं. वह एक पत्रकार व डॉक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकर हैं और फ़िलहाल अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के लिए काम करते हैं और सामाजिक बदलावों से जुड़ी स्टोरी लिखते हैं.

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Translator : Nishant Gupta

निशांत गुप्ता, चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान में सीनियर रिसर्च फ़ेलो हैं.

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