दादू साल्वे हमन ला कहिथें, “ये गीत मन ला कऊनो दीगर ले पढ़वाव, अऊ ओकर बाद मंय फिर ले तुम्हर बर धुन बनाहूँ अऊ गाहूँ.”

70 बछर के उमर मं, अम्बेडकरवादी आंदोलन के ये डोकरा सियान फेर अभू घलो सिपाही जइसने, ऊँच-नीच  ले लड़े अऊ समाजिक बदलाव सुरु करे सेती अपन अवाज देय अऊ अपन हारमोनियम बजाय ला तियार हवंय.

अहमदनगर शहर के ओकर एक खोली के घर मं, अम्बेडकर ला जिनगी भर के संगीतमय श्रद्धांजलि देखे ला मिलथे. अपन गुरु, नामी शाहिर वामनदादा कर्डक के फोटू ला फ्रेम करके दीवार मं लगाय हवय, अलमारी मं हवय ओकर हर पल के संगवारी: ओकर हारमोनियम, तबला अऊ ढोलकी.

दादू साल्वे साठ बछर ले घलो जियादा बखत तक ले भीम गीत गाय के अपन गुजरे बखत ला बताय बइठगे.

साल्वे के जनम 9 जनवरी, 1952 मं महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला के नालेगांव (येला गौतमनगर के नांव ले घलो जाने जाथे) मं होय रहिस. ओकर ददा नाना यादव साल्वे ह सेना मं रहिस अऊ दाई तुलसीबाई ह रोजी-मजूरी करत घर ला संभालय.

In Dadu Salve's home in Ahmednagar is a framed photo of his guru, the legendary Bhim Shahir Wamandada Kardak , and his musical instruments: a harmonium, tabla and dholaki.
PHOTO • Amandeep Singh
Salve was born in Nalegaon in Ahmadnagar district of Maharashtra
PHOTO • Raitesh Ghate

डेरी: अहमदनगर मं दादू साल्वे के घर मं  ओकर गुरु, महान भीम शाहिर वामनदादा कर्डक के ओकर  हारमोनियम, तबला अऊ ढोलकी के संग फ़्रेमवाले फोटू हवय. जउनि: साल्वे के जनम महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला के नालेगांव (येला गौतमनगर के नांव ले घलो जाने जाथे) मं होय रहिस

ओकर ददा जइसने मइनखे जऊन ह अंगरेज राज के सेना मं रहिन, दलित लोगन मन के सोच मं बदलाव लाय मं मदद करिस. महिना मं पइसा अऊ बढ़िया खाय पिये के संग ओकर थिर नौकरी सेती वो ह पढ़े लिखे सकिस जऊन ह वो ला दुनिया ले देखे जाने समझे के आँख-कान दीस. येकर ले ओकर नजरिया बदल गे, अऊ बढ़िया ढंग ले तियार होके अऊ अतियाचार ले लड़े अऊ विरोध करे बर प्रेरित होईस.

दादू के ददा सेना ले रिटायर होय के बाद डाक विभाग मं डाकिया के नऊकरी करे लगीस. वो ह अम्बेडकरवादी आंदोलन मं बढ़-चढ़ के सामिल होवत रहिस, जऊन ह वो बखत मं भारी बढ़त मं रहिस. दादू अपन ददा के भाग लेगे सेती अपन भीतर ले आन्दोलन ला जाने अऊ समझे सकिस.

अपन दाई-ददा ला छोड़ के, दादू ऊपर अपन परिवार के एक झिन अऊ मइनखे के असर परिस, ओकर बबा, यादव साल्वे, जऊन ला कडुबाबा के नांव ले जाने जावत रहिस.

वो ह हमन ला एक झिन लंबा दाढ़ी वाले डोकरा सियान के कहिनी सुनाथें, जेकर ले एक झिन बिदेशी शोधकर्ता ह पूछिस, “तंय अतका लंबा दाढ़ी काबर बढ़ाय हस?” 80 बछर के डोकरा सियान रोये ला धरिस, कइसने करके चुप होईस अऊ अपन कहिनी बताईस.

“बाबासाहेब अम्बेडकर अहमदनगर जिला के दौरा करत रहिन. मंय ओकर ले बिनती करेंव के वो हमर गांव, हरेगांव आवंय, जिहां वो ला देखे बर भारी भीड़ आतुर होके अगोरत रहिस.” फेर बाबासाहेब तीर टेम नई रहिस, येकरे सेती वो ह तऊन डोकरा सियान ले वादा करिस के वो ह दूसर बखत ओकर गांव आहीं. वो मइनखे ह तभे प्रन करिस के वो ह अपन दाढ़ी तभेच कटाही जब बाबासाहेब ओकर गांव मं आ जाहीं.

वो ह कतको बछर ले अगोरत रहय, ओकर दाढ़ी बढ़त गे.1956 मं बाबासाहेब गुजर गें. डोकरा सियान कहिस, “दाढ़ी बढ़त रही. मोर मरे तक ले अइसनेच रिही.” शोधकर्ता एलेनोर ज़ेलियट रहिन, जऊन ह अम्बेडकरवादी आंदोलन के नामी विद्वान रहिन अऊ डोकरा सियान कडुबाबा, दादू साल्वे के बबा रहिस.

*****

दादू के आंखी तब ले नई देखे सकत रहिस जब वो ह पांच दिन के रहिन. कऊनो ओकर दूनो आंखी मं ड्रॉप डाल दीस जेकर ले ओकर आंखी ला भारी नुकसान होईस. कऊनो इलाज काम नई आइस अऊ ओकर बाद ले वो ह कभू देखे नई सकिन. वो ह घरेच तक ले रहगे, स्कूल जाके पढ़े के त कऊनो सवालेच नई रहिस.

वो ह अपन परोस के एकतारी भजन गवेइय्या मंडली मं सामिल हो गे, वो ह लकरी, चमड़ा अऊ धातु ले बने बाजा डिमडी (खंजनी) बजाइस.

“मोला सुरता हवय के कऊनो आके बताइस के बाबासाहेब गुजर गे हवंय. मोला पता नई रहिस के वो ह कऊन रहिस, फेर जब मंय लोगन मन ला रोवत सुनेंव, त समझ गेंव के वो ह कऊनो बड़े मइनखे रहे होही,” दादू सुरता करत कहिथे.

देखव वीडियो: दादू साल्वे ला अपन जिनगी के बारे मं बतावत 'जब मंय पांच दिन के रहेंव तब मोर आंखी के रौशनी चले गे’

बाबासाहेब दीक्षित अहमदनगर मं दत्ता गायन मंदिर नांव के संगीत स्कूल चलावत रहिन, फेर दादू करा फीस भरे के ताकत नई रहिस. वो बखत, रिपब्लिकन पार्टी के  विधायक, आरडी पवार ह ओकर मदद करिन अऊ दादू ह भर्ती होय सकिस. पवार ह वोला एक ठन नवा हारमोनियम बिसो के दिस. दादू ह 1971 मं संगीत विशारद के परीक्षा पास करिस.

ओकर बाद वो ह वो बखत के नामी कव्वाली संगीतकार महमूद कव्वाल निजामी के संग सामिल होगे. वो ह कार्यक्रम मन मं गाय ला सुरु करिस अऊ ये ह दादू के आमदनी के एकेच जरिया रहिस. ओकर बाद वो ह संगमनेर के कॉमरेड दत्ता देशमुख डहर ले सुरु करे गे दीगर मंडली कला पाठक मं सामिल होगे. वो ह एक झिन दीगर कॉमरेड भास्कर जाधव के निर्देशित नाटक वासुदेवचा दौरा सेती घलो कतको गीत लिखीस.

दादू लोककवि (जनकवि) कहेइय्या केशव सुखाअहेर ला घलो सुनत रहिस. अहेर तऊन लइका मन के मंडली के संग गे रहिस जऊन मन नासिक के कालाराम मन्दिर मं जाय के रोक के खिलाफ आन्दोलन करत रहिन. वो ह अपन गीत ले अंबेडकर आन्दोलन ला समर्थन दीस अऊ जब अहेर ह भीमराव कर्डक के जलसा ला सुनिस, त वोला कुछु गीत लिखे के प्रेरना मिलिस.

बाद मं, अहेर ह अपन जम्मो बखत जलसा ला समर्पित कर देवत रहिस अऊ अपन गीत के जरिया ले दलित चेतना ला जगाबत रहिस.

1952 मं, अंबेडकर ह अनुसूचित जाति महासंघ के उम्मीदवार के रूप मं मुंबई ले चुनाव लड़ीस. अहेर ह ‘नव भारत जलसा मंडल’ सुरु करिस, जलसा सेती नवा गीत लिखिस अऊ डॉ. अंबेडकर सेती परचार करिस. दादू साल्वे ह ये मंडल के कार्यक्रम मन ला सुनिस.

अजादी के आसपास के बखत, अहमदनगर वामपंथी आंदोलन के गढ़ रहिस. दादू साल्वे कहिथें, “कतको नेता अक्सर हमर घर आवत रहिन अऊ मोर ददा वो मन के संग काम करत रहिन. वो बखत मं दादासाहेब रुपावते, आर.डी. पवार जइसने अंबेडकरवादी आंदोलन मं भारी लगे रहिन. वो ह अहमदनगर मं आंदोलन के अगुवई करिस.”

Madhavrao Gaikwad and his wife Sumitra collect material around Wamandada Kardak. The couple  have collected more than 5,000 songs written by hand by Wamandada himself. Madhavrao is the one who took Dadu Salve to meet Wamandada
PHOTO • Amandeep Singh

माधवराव गायकवाड़ अऊ अऊ ओकर सुवारी सुमित्रा वामनदादा कर्डक के लिखे गीत ला संकेल के रखत रहिन. ये जोड़ा ह वामनदादा के लिखे 5,000 ले जियादा गीत के संग्रह करे हवंय. माधवराव ह दादू साल्वे ला वामनदादा करा भेंट कराय लेके गे रहिन

दादू ह कतको सार्वजनिक सभा मं हिस्सा लिस, बी.सी. कांबले अऊ दादासाहेब रुपावते के भासन ला सुनिस. बाद मं ये दूनो नेता मं मतभेद होगे जेकर सेती अंबेडकरवादी आंदोलन दू खेमा मं बंट गे. ये राजनीतिक घटना ह कतको गीत ला रचे प्रेरित करिस. दादू कहिथें, “दूनों खेमा कलगी-तुरा मं बढ़िया रहिन( वो गाना जऊन मं एक ठन खेमा सवाल करते धन बयान देथे अऊ दूसर जुवाब धन बयान के विरोध करथे).”

नार म्हातारपणी फसली!

लालजीच्या घरात घुसली!!

ये डोकरी सठिया गे हवय,
अऊ लालजी के घर मं खुसर गे हवय !

ये कहत के दादासाहेब बइहा होगे हवंय अऊ कम्युनिस्ट मन के संग धर ले हवय.

दादासाहेब के खेमा ह जुवाब दीस”

तू पण असली कसली?
पिवळी टिकली लावून बसली!

काय हाल बना ले हवय अपन, भोंदी ला देखव !
अऊ अपन माथा के, वो पिंयर बिंदी ला त देखव !

दादू समझाथें: बी.सी. कांबले ह पार्टी के झंडा ऊपर नीला अशोक चक्र के जगा पिंयर पुन्नी के चंदा लगा देय रहिस. येकर मतलब ये रहिस.

दादासाहेब रूपवटे बी. सी. कांबले के खेमा मं रहिन. बाद मं वो सब्बो कांग्रेस पार्टी मं सामिल हो गीन. एक ठन गीत ले ओकर आलोचन घलो होय रहिस,

अशी होती एक नार गुलजार
अहमदनगर गाव तिचे मशहूर
टोप्या बदलण्याचा छंद तिला फार
काय वर्तमान घडलं म्होरं S....S....S
ध्यान देऊन ऐका सारं

एक झिन मयारू मुटियारिन
नामी अहमदनगर सहर ले आइस
वोला अपन ठिकाना बदले के शौक हवय
जाने ला चाहू के बाद मं काय होईस?
चेत धरव अऊ समझो सब्बो...

दादू  कहिथें, “मंय अंबेडकरवादी आंदोलन के ये कलगी-तुरे ला सुनके बड़े होय हंव.”

Dadu Salve and his wife Devbai manage on the meagre pension given by the state government to folk artists. Despite these hardships, his commitment to the Ambedkarite movement and his music are still the same
PHOTO • Amandeep Singh
Dadu Salve and his wife Devbai manage on the meagre pension given by the state government to folk artists. Despite these hardships, his commitment to the Ambedkarite movement and his music are still the same
PHOTO • Labani Jangi

दादू साल्वे  अऊ ओकर घरवाली  राज सरकार डहर ले लोक कलाकार मन ला देय मामूली पेंशन मं जिनगी गुजारत हवय. अतक मुस्किल दिक्कत के बाद घलो, अम्बेडकरवादी आंदोलन अऊ ओकर संगीत ऊपर ओकर प्रतिबद्धता अभू घलो बने हवय

*****

साल 1970 दादू साल्वे के जिनगी के महत्तम बखत रहिस. वो ह गायक वामनदादा कर्डक ले मिलिस, जऊन ह डॉ. अम्बेडकर के समाजिक, सांस्कृतिक अऊ राजनीतिक आंदोलन ला महाराष्ट्र अऊ ओकर बहिर कोनहा-कोनहा तक ले लेके जावत रहिन. अपन आखिरी साँस तक ले येला करत रहिन.

75 बछर के माधवराव गायकवाड़, वामनदादा कर्डक के लिखे गीत ला संकेल के रखत रहिन. उही ह दादू साल्वे ला वामनदादा करा भेंट कराय लेके गे रहिन. माधवराव अऊ ओकर 61 बछर के सुवारी सुमित्रा ह खुदेच वामनदादा के लिखे 5,000 ले जियादा गीत के संग्रह करे हवंय.

माधवराव कहिथें, “वो ह 1970 मं नगर आय रहिन. वो अंबेडकर के काम अऊ संदेसा ला आगू ले जाय गायन मंडली सुरु करे सेती भारी उछाह मं रहिन. दादू साल्वे अंबेडकर के बारे मं गावत रहिन, फेर ओकर करा भारी बढ़िया गाना नई रहिस. येकरे सेती हमन जेक वामनदादा ले भेंट करेन अऊ कहें, ‘हमन ला तुम्हर लिखे गीत के जरूरत हवय’.”

वामनदादा कहिथें के वो ह असल मं अपन लिखे ला कभू एक जगा संभाल के नई रखे हवे: “मंय लिखथों, गाथों अऊ उहींचे छोड़ देथों.”

माधवराव सुरता करथें के, “अइसने खजना ला नंदावत देख हमन निराश हो गेन. वो ह (वामनदादा) अपन सरी जिनगी अम्बेडकरवादी आंदोलन ला समर्पित कर देय रहिन.”

येकर बाद वो ह ये बूता ला धर लीस. माधवराव ह दादू साल्वे ला तऊन जगा ले जाय ला सुरु करिस जिहां वामनदादा गाय रहिन. “दादू ओकर संग हारमोनियम बजावत रहंय, अऊ जब वो ह गावत रहंय त मंय ओकर गीत ला लिख के रखत रहेंव.ये सीधा सीधा चलत रहय.”

वो ह 5,000 ले जियादा गीत छपवाइस. येकर बाद घलो करीबन 3,00 गाना लिखाय अंधियार मं परे हवंय. “पइसा-कौड़ी के दिक्कत सेती मंय छपवाय नई सकेंव. फेर दादू साल्वे सेती मंय अंबेडकरवादी आंदोलन के ये गियान ला बंचा के रखे सकेंव.”

दादू साल्वे ऊपर वामनदादा के काम ह अतक असर करिस के वो ह एक ठन नवा मंडली सुरु करे के फइसला करिन, जऊन ला कला पाठक कहे जाथे. वो ह शंकर तबजी गायकवाड़, संजय नाथ जाधव, रघु गंगाराम साल्वे अऊ मिलिंद शिंदे ला एक जगा मं लाइन. मंडली ला भीम संदेस गायन पार्टी कहे जावत रहिस, जेकर अरथ आय अंबेडकर के संदेसा ला बगरेइय्या संगीत मंडली.

वो ह एक ठन मिशन ला पूरा करे सेती गाईस अऊ येकरे सेती ओकर प्रदर्शन बगेर कऊनो लाग-लपेट के रहिस.

दादू ह ये गीत ला हमर बर गाये रहिन:

ये वीडियो मं, दादू गावत हवंय अऊ अपन गुरु ऊपर अपन मया के बारे मं बोलत हवंय : 'मंय वामनदादा के चेला अंव’

उभ्या विश्वास ह्या सांगू तुझा संदेश भिमराया
तुझ्या तत्वाकडे वळवू आता हा देश भिमराया || धृ ||
जळूनी विश्व उजळीले असा तू भक्त भूमीचा
आम्ही चढवीला आता तुझा गणवेश भिमराया || १ ||
मनुने माणसाला माणसाचा द्वेष शिकविला
तयाचा ना ठेवू आता लवलेश भिमराया || २ ||
दिला तू मंत्र बुद्धाचा पवित्र बंधुप्रेमाचा
आणू समता हरू दीनांचे क्लेश भिमराया || ३ ||
कुणी होऊ इथे बघती पुन्हा सुलतान ह्या भूचे
तयासी झुंजते राहू आणुनी त्वेष भिमराया || ४ ||
कुणाच्या रागलोभाची आम्हाला ना तमा काही
खऱ्यास्तव आज पत्करला तयांचा रोष भिमराया || ५ ||
करील उत्कर्ष सर्वांचा अशा ह्या लोकशाहीचा
सदा कोटी मुखांनी ह्या करू जयघोष भिमराया || ६ ||
कुणाच्या कच्छपी लागून तुझा वामन खुळा होता
तयाला दाखवित राहू तयाचे दोष भिमराया || ७ ||

अपन ये संदेशा ला जग भर मं पहुंचाय ला देव, ओ भीमराया
तऊन सब्बो ला तोर नियम-धरम मं ढरे देव, ओ भीमराया ||1||
ओ माटी के लाल, तंय अपन ला जरा के जग ला कर देय अइसने उज्जर
इहाँ हमन तोर पाछू चलत पहिरे चेला के वर्दी-फरिया, ओ भीमराया ||2||
मनु ह हमन ला दूसर मइनखे ले घिन करे के पाठ पढ़ाइस
हमन वोला अब मिटाय के लेथन प्रन, ओ भीमराया||3||
तंय हमन ला पाठ पढ़ायेव बुद्ध के सिच्छा भाईचारा
मनखे-मनखे एके सब्बो, हेरबो गरीब के पीरा, ओ भीमराया ||4||
जुगत लगावत कुछु लोगन मन फिर ले राज करे के
झोंक देबो सब्बो ताकत हमन लड़ेके, ओ भीमराया ||5||
वो मन सराहें धन बगियायेंव, नई ये हमन ला परवाह
सत ला बताय हमन उतारू, वोकर रिस ला पिबो, ओ भीमराया ||6||
का वामन (कर्डक) वोमन के बात मं मुरख बन रहिस फंसेइय्या?
हमन वो मन ला दिखावत रहिबो दरपन, ओ भीमराया ||7||

दादू ला जब घलो प्रदर्सन सेती बले जावत रहिस, वो ह वामनदादा के गीत गावय.लोगन मन ओकर मंडली, कला पाठक ला तीज तिहार मं, छठी अऊ मरे-हजे मं अम्बेडकरवादी गीत गाय ले बलावेंय.

दादू जइसने लोगन मन अम्बेडकरवादी आंदोलन मं योगदान देय सेती गाय रहिन. गायन मंडली ला कऊनो पइसा के आस नई रहिस. लोगन मन मान रखत माई कलाकार ला एक ठन नरियर अऊ जम्मो कलाकार ला चाहा पियायेंव. बस अतकेच. दादू कहिथें, “मंय गाय सकत रहेंव, येकरे सेती मंय येला ये आंदोलन मं अपन योगदान बर चुनेंव. मंय वामनदादा के विरासत ला आगू बढ़ाय के कोशिश करत हवंव.”

*****

देखव वीडियो: दादू ला अंबेडकर के बारे में गावत, के ओकर शिक्षा ह समाज ला कइसने बदल दीस: ये तोर जनम रहिस, ओ भीम

वामनदादा महाराष्ट्र के कतको गायक के गुरु आंय, फेर दादू सेती ओकर जिनगी मं खास जगा हवय. सूरदास, दादू सेती अपन गीत ला बचा के रखे के एकेच तरीका वोला सुने अऊ सुरता करे रहिस. वो ह 2,000 ले जियादा गाना जानथें. अऊ सिरिफ गायेच नई, फेर वो गाना के बारे मं सब्बो कुछु –जब ये ह लिखे गे रहिस, येकर मतलब, मूल धुन... दादू सब्बो कुछु बता सकथें. वो ह वामनदादा के जात विरोधी गीत के धुन घलो बनाइस, जून ह महाराष्ट्र मं चरों डहर गाय जाथे.

संगीत विशारद, दादू वामनदादा ले एक कदम आगे रहिन – वो एक कविता धन गीत के धुन, लय, ताल अऊ मीटर के तकनीक जनत रहिन. वो अक्सर अपन गुरु के संग ये ला लेके चर्चा करत रहय: वो ह ओकर गुजरे के बाद कतको गीत के धुन बनाईन अऊ कुछेक जुन्ना धुन ला फिर ले बनाय घलो रहिन.

हमन ला सुनाय सेती वो ह पहिली वामनदादा के मूल रचना अऊ ओकर बाद ओकर धुन गाइस अऊ हमन ला फेरफार ला बताइस.

भीमा तुझ्या मताचे जरी पाच लोक असते
तलवारीचे तयांच्या न्यारेच टोक असते

ओ भीम! भलेच पांच झिन रहिन तोर ले राजी
वो मनके हथियारघर दीगर ले होही भारी

वो ह वामनदादा के अतक भरोसा के संगी रहिस के ओकर गुरु ह वो ला अपन मऊत के बारे मं घलो एक ठन गीत दे रहिस.

राहील विश्व सारे, जाईन मी उद्याला
निर्वाण गौतमाचे, पाहीन मी उद्याला

दुनिया चलत रिही, फेर मंय चले जाहूँ
अऊ मंय गौतम के निर्वाण के साक्षी रिहूँ

दादू ह येला अपन गुरतुर धुन मं बनाके अपन जलसा मं बजाइस.

*****

संगीत ह दादू के जिनगी अऊ राजनीति के अभिन्न हिस्सा आय.

वो ह अइसने बखत मं गाईंन जब अंबेडकर ऊपर मनभावन लोकगीत अऊ गीत जोर पकड़े रहिस. भीमराव कर्दक, लोककवि अर्जुन भालेराव, बलढाना के केदार भाई, पुणे के राजानंद गडपायले, श्रवण यशवंते अऊ वामनदादा कर्डकये मनभावन गीत के उस्ताद रहिन.

दादू ह येकर मन के कतको गीत ला धुन अऊ अवाज दीस अऊ संगीत के ये खजाना ला धरके गाँव-देहात मं किंदरत रहय. अंबेडकर के गुजरे के बाद जन्मे पीढ़ी ह ये गीत के जरिया ले ओकर जिनगी, ओकर काम अऊ ओकर संदेसा ला जानिन. दादू ह ये पीढ़ी के मंझा मं आंदोलन ला आगू बढ़ाय अऊ ओकर प्रतिबद्धता बनाय मं महत्तम भूमका निभाइन.

कतको कवि खेत मं मिहनत करेइय्या किसान के लड़ई अऊ मान-सम्मान के जिनगी सेती जूझत दलित मन के लड़ई ला अपन भाखा मं पिरोइन. वो मन तथागत बुद्ध, कबीर, जोतिबा फुले अऊ डॉ. अंबेडकर के जिनगी के संदेसा ला बतेइय्या गीत लिखे के कोशिश करिन. जऊन मन-पढ़े लिखे नई सकत रहिन, वो मन बर ये गीतेच ह ओकर सिच्छा रहिस. दादू साल्वे ह येला जियादा ले जियादा लोगन मन तक ले पहुंचाय बर अपन संगीत अऊ हारमोनियम के सहारा लिन. ये गीत ह लोगन मन के अंतरात्मा के गीत बन गे.

ये गीत मन के संदेशा अऊ शाहिर मन के असरदार ढंग ले बताय ह जात विरोधी आंदोलन ला देहात इलाका मं बगराय मं मदद करिस. ये गीत अंबेडकर के आंदोलन के सकारात्मक जीवन शक्ति आंय अऊ दादू समानता के ये लड़ई मं अपन आप ला एक ठन नानकन सिपाही मानथें.

देखव:  विद्वान महबूब शेख ला 'दादू साल्वे के अवाज़ अऊ नजरिया' के बारे में बोलत

वो ह कभू घलो गाके पइसा कमाय के नई सोचिस. ओकर बर ये ओकर मिशन रहिस. फेर आज 72 बछर के उमर मं ओकर जोश अऊ उछाह नंदा गे हवय. साल 2005 के होय एक ठन अलहन मं ओकर एके ठन बेटा के गुजर जाय के बाद वो ह बेटा बहू अऊ तीन झिन पोता पोती के देखभाल करिस. बाद मं जब बेटा बहू दूसर बिहाव करे के फइसला करिस त दादू ह ओकन साध के मां रखिस. वो अपन घरवाली देवबाई ये नान कन घर मं आके रहे लगीन. देवबाई 65 बछर के हवंय, बीमार परके खटिया धर ले हवंय. राज सरकार डहर ले लोक कलाकार मन ला देय मामूली पेंशन मं ये जोड़ा जिनगी गुजारत हवय. अतक मुस्किल दिक्कत के बाद घलो, अम्बेडकरवादी आंदोलन अऊ ओकर संगीत ऊपर ओकर प्रतिबद्धता अभू घलो ऊहिच हवय.

दादू ला गीत मन मं ये बखत के लहर मंजूर नई ये. आज के कलाकार मन ये गीत मन ला बेंचे सेती रखे हवंय. वो अपन बिदागी (पइसा) अऊ नाम ला देखथें. “ये ह भारी पीरा देथे,” वो ह उदास होके कहिथें.

हमन ले कतको जऊन मन दादू साल्वे ला अऊ ओकर जाने-चिन्हे गीत ला सुरता करथन अऊ वो ला अपन हारमोनियम मं बजावत देखथन, जब वो ह अंबेडकर अऊ वामनदादा के बारे मं बात करथें, त हमर मन मं आस भर देथें अऊ हमन ला निरासा ले उबरे मं मदद करथें.

शाहिर मन के बोल अऊ अपन धुन के जरिया ले, दादू ह तऊन नव चेतना ला सुरु करिस जऊन ला अंबेडकर ह लाय रहिस. बाद के बछर मं ये दलित शाहिर ह कतको दीगर समाजिक बुराई ले जूझे हवय. अनियाव अऊ पहिली ले रखे खराब सोच ले जूझिस. दादू साल्वे के अवाज हरेक जगा गूँजत हवय.

हमन जइसनेच ओकर ले भेंट-घाट के आखिर मं आथन, दादू थके जइसने लागथें अऊ अपन बिस्तरा मं चले जाथें. जब मंय कऊनो नवा गाना के बारे मं पूछथों, त ओकर कान खड़े हो जाथे अऊ कहिथें, “कऊनो ला ये गीत पढ़े सेती बलावव, अऊ मंय वोला फिर ले तुम्हर बर बनाहूँ अऊ गाहूँ.”

अम्बेडकरवादी आंदोलन के ये सिपाही अभू घलो ऊंच-नीच ले लड़े अऊ समाज मं सब्बो दिन के बदलाव लाय सेती अपन अवाज अऊ हारमोनियम ला लेके तियार हवंय.


मूल मराठी मं लिखाय ये कहिनी के अंगरेजी अनुवाद मेधा काले करे हवंय

ये वीडियो पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के सहयोग ले इंडिया फाउंडेशन फॉर द आर्ट्स के ओकर अभिलेखागार अऊ संग्रहालय कार्यक्रम के तहत चले एक ठन परियोजना 'प्रभावशाली शाहिर, मराठवाड़ा ले कथा' नांव के संग्रह के हिस्सा आय. येला गोएथे-इंस्टीट्यूट/मैक्स मुलर भवन, नई दिल्ली ले घलो सहयोग मिले हवय

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Keshav Waghmare

केशव वाघमारे, महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के एक लेखक और शोधकर्ता हैं. वह साल 2012 में गठित ‘दलित आदिवासी अधिकार आंदोलन (डीएएए)’ के संस्थापक सदस्य हैं और कई वर्षों से मराठवाड़ा में रहने वाले समुदायों का दस्तावेज़ीकरण कर रहे हैं.

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Editor : Medha Kale

मेधा काले पुणे में रहती हैं और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर काम करती रही हैं. वह पारी के लिए मराठी एडिटर के तौर पर काम कर रही हैं.

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Illustration : Labani Jangi

लाबनी जंगी साल 2020 की पारी फ़ेलो हैं. वह पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले की एक कुशल पेंटर हैं, और उन्होंने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल की है. लाबनी, कोलकाता के 'सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़' से मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर पीएचडी लिख रही हैं.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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