ब्यूटी कहिथें, “तुमन इहाँ बनेच जल्दी आ गेव. इतवार के दिन वो मन (ग्राहेक) संझा 4 बजे के पहिली नई आवेंय. येकरे सेती मंय ये बखत इहाँ हवंव, काबर मंय हारमोनियम बजाय ला सिखत हवंव.”

ये जगा चतुर्भुज स्थान आय, अऊ येकर पहिचान बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के मुसहरी ब्लाक के एक बनेच जुन्ना बेसवाखाना के रूप मं करे जाथे. ठीक 10 बजे के बाद, मंय अऊ वो भेंट होय हवन. ओकर ग्राहेक संझा के ओकर ले मिले ला आथें. ये धंधा बखत वो ह ब्यूटी नांव ला बऊरथें. ब्यूटी 19 बछर के धंधावाली आंय, अऊ बीते 5 बछर ले ये काम मं हवंय. वो ह तीन महिना के गरभ ले घलो हवंय.

वो ये हालत मं घलो काम करत हवंय. वो ह हारमोनियम बजाय ला घलो सिखत हवंय, काबर “अम्मी [ओकर दाई] कहिथे के संगीत ले मोर लइका ऊपर बढ़िया असर परही.”

ओकर अंगुरी मन हारमोनियम मं चलत हवंय. ब्यूटी कहिथें, “ये मोर दूसर लइका होही, पहिली ले मोर दू बछर के बेटा हवय.”

हमन जऊन खोली मं भेंट होवत रहेन, तेकर करीबन आधा हिस्सा, भुइंया मं रखाय एक ठन बनेच बड़े अकन गद्दा ह पगोर लेय रहिस, जेकर पाछू के दीवार ऊपर 6 गुना 4 फीट के आइना लगे हवय. इही खोली मं ब्यूटी अपन काम घलो करथे. खोली के अकार सायद 15 गुना 25 फीट हवय. गद्दा ला कुसन अऊ तकिया ले सजाय गेय हवय. जेकर ले ग्राहेक ह बइठ धन सुत के सुस्तावत मुजरा देख सकय. मुजरा नृत्य कला के रूप आय अऊ माने जाथे के भारत मं राज महाराजा के समे मं सुरु होय रहिस. ये घलो कहे जाथे के चतुर्भुज स्थान घलो मुगल काल ले पहिली हवय. इहाँ रहेइय्या सब्बो नोनी अऊ माईलोगन बर मुजरा सीखे अऊ करे जरूरी आय. ब्यूटी ला घलो आथे.

All the sex workers in the brothel are required to know and perform mujra; Beauty is also learning to play the harmonium
PHOTO • Jigyasa Mishra

चतुर्भुज स्थान मं सब्बो धंधावाली मन बर मुजरा सीखे अऊ करे जरूरी आय; ब्यूटी घलो हारमोनियम बजाय सीखत हवय

इहाँ के रद्दा मुजफ्फरपुर के माई बजार ले होके जाथे. दुकानदार अऊ रिक्सावाला रद्दा बताय मं मदद करथें, हर कऊनो जानथे के ‘बेसुवाखाना’ कऊन मेर हवय. चतुर्भुज स्थान के तीर-तखार मं सड़क के दूनो छोर मं 2 ले 3 मंजिला एके जइसने दिखत कतको घर हवंय. ये घर के आगू अलग-अलग उमर के माइलोगन मन ठाढ़े हवंय, वो मन ले कुछु मन कुर्सी मं बइठे ग्राहेक ला अगोरत हवंय. चमकीला अऊ बनेच कसे कपड़ा पहिरे, भारी मेकअप अऊ बनेच बनावटी साहस के संग, वो मन रद्दा ले गुजरत हरेक मइनखे ऊपर भारी नजर मारत हवंय.

फेर, ब्यूटी बताथें के हमन वो दिन इहाँ के जतक माइलोगन मन ला देखत हवन, वो बेसुवाखाना के धंधावाली मन के कुल संख्या के सिरिफ 5 फीसदी होहीं. ब्यूटी कहिथें, “देखव, हरेक मइनखे कस हमन घलो हफ्ता मं एक दिन छुट्टी ले लेथन, फेर, हमर सेती ये सिरिफ आधा दिन के छुट्टी होथे. हमन संझा 4-5 बजे तक ले काम मं आ जाथन अऊ रतिहा के 9 बजे तक ले रहिथन. बाकि दिन मं बिहनिया 9 बजे ले रत के 9 बजे तक ले काम करथन.”

*****

कऊनो सरकारी आंकड़ा नई ये, फेर करीबन आधा कोस मं बगरे चतुर्भुज स्थान मं धंधावाली मन के कुल संख्या 2,500 ले जियादा हो सकत हवय. ब्यूटी अऊ दीगर माईलोगन मन, जऊन मन ले इहाँ गोठियावत हवंव, कहिथें के हमन जऊन गली मं रहिथन उहां करीबन 200 माईलोगन मन ये काम मं लगे हवंय. इहाँ के काम करेइय्या मं करीबन 10 कम दू कोरी माईलोगन मन बहिर ले आथें, ब्यूटी तऊन बाहरी मंडली ले हवंय जऊन मन मुजफ्फरपुर सहर मं कऊनो अऊ जगा मं रहिथें.

ब्यूटी अऊ दीगर माईलोगन मन हमन ला बताथें के चतुर्भुज स्थान मं अधिकतर घर तऊन माईलोगन मन के हवंय जऊन मन तीन पीढ़ी धन ओकर ले जियादा बखत ले धंधा करत हवंय. जइसने अमीरा, जेकर दाई, काकी, अऊ दादी ले वो ला ये काम मिले रहिस. 31 बछर के अमीरा कहिथें, इहाँ अइसने काम होथे. हमर उलट बाकी (धंधा वाली) मन जुन्ना धंधावाली मन ले भाड़ा मं घर लेय हवंय अऊ सिरिफ काम बर इहाँ आथें. हमर सेती त इही हमर घर आय. बहिर ले अवेइय्या माईलोगन मन झोपड़ पट्टी ले धन रिक्सा चलेइय्या धन घर के बूता करेईय्या मजूर परिवार ले घलो आथें. कुछेक ला त इहाँ [तस्करी धन अगवा करके] लाय गे हवय.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग डहर ले छपे एक शोध पत्र के मुताबिक, अगवा, गरीबी अऊ पहिली ले धंधा मं सामिल परिवार मं जन्मे कुछु अइसने कारन हवंय जेकरे सेती माईलोगन मन ये धंधा मं आथें. येकर ले ये घलो पता चलथे के मरद मन के माईलोगन मन ला समाजिक अऊ आर्थिक ढंग ले अपन काबू मं रखे घलो जरूरी कारन मन ले एक आय.

Most of the houses in Chaturbhuj Sthan are owned by women who have been in the business for generations; some of the sex workers reside in the locality, others, like Beauty, come in from elsewhere in the city
PHOTO • Jigyasa Mishra
Most of the houses in Chaturbhuj Sthan are owned by women who have been in the business for generations; some of the sex workers reside in the locality, others, like Beauty, come in from elsewhere in the city
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चतुर्भुज स्थान मं अधिकतर घर तऊन माईलोगन मन के हवंय जऊन कतको पीढ़ी ले ये धंधा मं हवंय; कुछु धंधा वाली इही इलाका मं रहिथें, अऊ ब्यूटी जइसने बाकी धंधा वाली सहर के दूसर इलाका ले काम करे बर आथें

का ब्यूटी के दाई-ददा ला ओकर ये काम के बारे मं मालूम हवय ?

जुवाब मं वो ह कहिथे, हव, बिलकुल, हर कऊनो जानथे. मंय अपन दाई के सेतीच ये लइका (गरभ) ला रखे हवंव. मंय ओकर ले कहे रहेंव के मोर गरभपात करवा दे. बिन ददा के एक लइका ला पाले-पोसे बहुते आय, फेर वो ह (दाई) कहिस के हमर धरम मं अइसने करे [गरभपात] पाप आय.

इहाँ कतको नोनी मन के उमर ब्यूटी ले घलो कमती हवय अऊ गरभ घलो धरे हवंय धन ओकर लइका हवंय.

कतको शोध करेइय्या मन के कहना आय के कम उमर के जवान नोनी मन मं गरभ ला कमती करे ह, संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य मं सामिल यौन और प्रजनन के सेहत ले जुरे उद्देश्य के महत्तम हिस्सा आय. खास करके एसडीजी 3 अऊ 5 ‘बढ़िया स्वास्थ्य अऊ सेहत’ अऊ ‘लैंगिक समानता’ के बात करथें. वो मन ला आस हवय के ये लक्ष्य ह बछर 2025 तक हासिल कर लेय जाही, जेकर सिरिफ 40 महिना बांचे हवंय. फेर जमीनी हालत भयंकर हवय.

एचआईवी/एड्स ऊपर नजर रखेइय्या संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम ह अपन प्रमुख जनसंख्या एटलस मं अंदाजा लगाय हवय के साल 2016 मं भारत मं करीबन 657,800 मईलोगन  मन देह बेपार ले जुरे रहिन. फेर, नेशनल नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स (एनएनएसडब्लू) डहर ले अगस्त 2020 मं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ला सौंपे हाल के रिपोर्ट मं मोटा मोटी अनुमान लगाय गेय हवय के देस मं धंधावाली मन के संख्या करीबन 1.2 मिलियन हवय. येमन ले 6.8 लाख (यूएनएआईडीएस के बताय आंकड़ा) धंधावाली दर्ज करे गे हवय. जऊन मन सवास्थ्य अऊ परिवार कल्याण मंत्रालय के सेवा लेवत हवंय. साल 1997 मं सुरु होय एनएनएसडब्लू, भारत मं माइलोगन, किन्नर अऊ मरद बेसुवा के हक के मांग करेइय्या देह-बेपार के अगुवई वाले संगठन के एक ठन राष्ट्रीय नेटवर्क आय.

Each house has an outer room with a big mattress for clients to sit and watch the mujra; there is another room (right) for performing intimate dances
PHOTO • Jigyasa Mishra
Each house has an outer room with a big mattress for clients to sit and watch the mujra; there is another room (right) for performing intimate dances
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हरेक घर मं एक ठन बहिर के खोली हवय, जिहां ग्राहेक के बइठे अऊ मुजरा देखे सेती बड़े गद्दा रखाय रथे : जउनि कोती खास निजी नाच सेती एक ठन अऊ खोली हवय

ब्यूटी के उमर के एक ठन टूरा हमर खोली मं खुसरथे, हमर बात ला सुनथे, फिर वो घलो गोठियाय ला सुरु हो जाथे. वो ह बताथे, “मंय राहुल अंव. मंय इहाँ बनेच नान उमर ले काम करत हवंव. मंय ब्यूटी अऊ कुछेक दूसर नोनी मन ला ग्राहेक लाके देय मं मदद करथों.” येकर बाद वो ह चुप हो जाथे, अपन बारे मं अऊ कुछु जानकारी नई देवय, अऊ मोला ब्यूटी संग गोठ-बात करे ला देथे.

ब्यूटी ह कहिथे, “मंय अपन बेटा, दाई, दू बड़े भइया, अऊ ददा के संग रहिथों. मंय पांचवी कच्छा तक ले इस्कूल गेंय, फेर इस्कूल छूट गे. मोला इस्कूल कभू पसंद नई आइस. मोर ददा के तीर के सहर मं ठेला हवय [सिगरेट, माचिस, चाय, पान, अऊ दीगर समान बेंचे के] अऊ कुछु नई. मोर बिहाव नई होय हवय.”

ब्यूटी ह खिलखिलाके हँसत कहिथे, “मोर पहिली लइका के ददा उही मरद हवय जेकर ले मंय मया करथों. वो घलो मोला मया करथे. कम से कम कहिथे त इहीच. वो ह मोर परमानेंट ग्राहेक मन ले एक आय.” इहाँ कतको माईलोगन मन रोज के अऊ लंबा बखत ले अवेइय्या ग्राहेक मन ला 'परमानेंट' कहिथें. कभू-कभू, वो मन वोला ‘पार्टनर’ कहिथें. ब्यूटी ह संतोष धरे कहिथे, “देखव, मंय मोर पहिली लइका के तियारी करे रहेंव, न त ये बखत करेंव. फेर, वो ह मोला कहे रहिस, येकरे सेती दूनो बखत लइका नई गिरायेंव. वो ह कहे रहिस के लइका के जम्मो खरचा उठाही, अऊ अपन वायदा घलो पूरा करिस. ये बेर घलो, मोर अस्पताल के खरचा के खियाल उही रखत हवय.”

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के मुताबिक़, भारत मं ब्यूटी जइसने, 15-19 उमर के 8 फीसदी माईलोगन गरभ ले हवंय. इही उमर के करीबन 5 फीसदी माइलोगन कम से कम एक लइका ला जनम देय हवंय अऊ 3 फीसदी माइलोगन मन पहिली बेर गरभ धरे हवंय.

राहुल कहिथें इहाँ के बनेच धंधावाली अपन ‘परमानेंट’ ग्राहेक के संग कऊनो किसिम के गरभ निरोधक अपनाय ले बचथें. गरभ होय ले, वो ला गिरवा देथें धन ब्यूटी जइसने जनम करथें. ये सब्बो तऊन सब्बो मरद मन ला खुस करे सेती रहिथे, जेकर संग वो सामिल हवंय, जेकर ले वो मन के संग लंबा बखत तक ले संबंध बने रहय.

Beauty talks to her 'permanent' client: 'My first child was not planned. Nor was this pregnancy... But I continued because he asked me to'
PHOTO • Jigyasa Mishra

ब्यूटी अपन परमानेंट ग्राहेक ले बात करत हवय: ‘मंय पहिली लइका के तियारी नई करे रहेंव, न त ये गरभ के तियारी करे रहेंव... फेर, मंय लइका नई गिरायेंव, काबर वो ह मोला अइसने करे ला कहे रहिस’

राहुल कहिथे, “अधिकतर ग्राहेक कंडोम लेके नई आवंय. फिर हमन ला भागे ला परथे अऊ वो ला दूकान ले लाके देय ला परथे. फेर, कतको पईंत ये टूरी मन अपन परमानेंट पार्टनर के संग बिन सुरच्छा के आगू बढ़े राजी हो जाथें. ये मामला मं, हमन दखल नई देवन.”

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस डहर ले छपे एक रिपोर्ट मं कहे गे हवय के देश भर मं मरद मन के डहर ले जनम रोके के तरीका अपनाय बहुते कम हवय. 2015-2016 साल मं मरद नसबंदी अऊ कंडोम अपनाय ह कुल मिलाके सिरिफ 6 फीसदी रहिस अऊ ये ह 1990 के दसक के मंझा ले थम गे हवय. 2015-2016 साल मं गर्भनिरोध के कऊनो तरीका अपनाय मं माईलोगन मन के संख्या बिहार मं 23 फीसदी रहिस, त आंध्रप्रदेश मं 70 फीसदी तक ले रहिस.

ब्यूटी अपन पार्टनर के बारे बताथें, "हमन मं करीबन चार बछर ले मया हवय. फेर, वो ह हालेच मं अपन परिवार के जोर-जबर ले बिहाव करे हवय. वो ह मोर इजाजत ले अइसने करिस. मंय राजी रहेंव. मंय काबर नई होंव? मंय बिहाव के लइक नई हवंव अऊ वो हा कभू कहे घलो नई रहिस के मोर ले बिहाव करही. जब तक ले मोर लइका मन के जिनगी बने गुजरही, मंय अइसनेच बने हवंव.”

ब्यूटी बताथें, “फेर मंय हरेक तीन महिना मं जाँच करवाथों. मंय सरकारी अस्पताल जाय ले बचथों अऊ निजी क्लिनिक मं जाथों. हालेच मं, मंय दूसर बेर गरभ होय के बाद जम्मो जरूरी जाँच (एचआईवी समेत) करवायेंव अऊ अब सब्बो कुछु बने हवय. सरकारी अस्पताल मं वो मन हमन ले बने बेवहार नई करंय, बद्तमीज़ी ले गोठियाथें अऊ हमन ला दूसर दरजा के मनखे समझथें.”

*****

राहुल ह एक झिन मइनखे ले बात करे बर फेरका करा जाथे. वो ह लहूँट के कहिथे, “मोला ये महिना के भाड़ा देय सेती मकान-मालिक ले हफ्ता भर के मुहलत चाहे रहिस. वो ह भाड़ा मांगत रहिस. हमन 15,000 रुपिया महिना भाड़ा मं ये जगा ला लेगे हवन.” जइसने के राहुल ह फिर बताईस, चतुर्भुज स्थान मं अधिकतर घर धंधावाली मन के हवंय, जऊन मन बनेच बखत ले हवंय धन जऊन मन ला पिछला पीढ़ी ले घर मिले हवय.

The younger women here learn the mujra from the older generation; a smaller inside room (right) serves as the bedroom
PHOTO • Jigyasa Mishra
The younger women here learn the mujra from the older generation; a smaller inside room (right) serves as the bedroom
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इहाँ के जवान माईलोगन मन अपन उमर होय संगवारिन ले मुजरा सीखथें, भीतर के एक नानकन (जउनि) सुते के खोली जइसने उपयोग होथे

वो मन ले (जुन्ना पीढ़ी) ले अधिकतर अब खुद ये काम मं नई हवंय अऊ वो मन दलाल, जवान धंधावाली मन ला अपन जगा भाड़ा मं दे देय हवंय. कभू-कभू, वो मन के जम्मो मंडली ला जगा दे देय जाथे. वो मन तरी के जगा ला भाड़ा मं देथें अऊ पहिली धन दूसर मंजिल मं खुदेच रहिथें. राहुल कहिथें, “फेर, वो मन ले कुछु मन अपन अवेईय्या पीढ़ी ला, अपन बेटी मन ला, भतीजी धन पोती मन ला ये बूता सौंप देय हवंय अऊ अभू घलो उही घर मं रहिथें.”

एनएनएसडब्ल्यू के मुताबिक, देह धंधा करेईय्या (मरद, माइलोगन अऊ किन्नर) मन के एक बड़े हिस्सा घर ले काम करथे अऊ ग्राहेक ला फोन ले, खुदेच धन दलाल ले बलाथे. चतुर्भुज स्थान के कतको घर ले काम के बरग मं आथें.

इहाँ के सब्बो घर एक जइसने दिखथें. माई मुहटा मं लकरी ले बने तख्ती मं नांव लिखाय के संग लोहा के ग्रिल लगे हवय. ये मं ये घर मालिक के नांव धन उहाँ रहेइय्या माई माईलोगन के नांव होथे. नांव के संग ओकर ओहदा लिखाय रथे – जइसने के नर्तकी एवं गायिका (डांसर अऊ सिंगर). अऊ येकर खाल्हे मं वो मन के प्रदर्सन के टेम घलो लिखे होथे – आमतऊर ले बिहनिया 9 बजे ले रात 9 बजे तक. कुछेक मं ‘बिहनिया 11 बजे ले रात 11 बजे तक’ लिखाय मिलथे. उहीं, कुछेक मं बस अतका लिखे रहिथे के ‘रात 11 बजे तक.’

अधिकतर एके जइसने दिखत ये घर मन मं एक तल्ला मं 2-3 खोली हवंय. जइसने के ब्यूटी के घर मं हवय, हरेक बइठका मं एक बड़े गद्दा ह अधिकतर जगा घेर लेथे, अऊ ओकर पाछू दीवार मं एक बड़े अकन आइना लगे रहिथे. बांचे जगा ह मुजरा सेती आय. ये जगा खास तऊर ले गीत अऊ संगीत करे सेती आय. इहाँ के जवान माइलोगन मन जुन्ना पीढ़ी के माइलोगन मन ले मुजरा सीखथें; कभू-कभू देखके अऊ कभू-कभू बताय ले. एक ठन नानकन खोली घलो हवय, सायेद 10x12 अकार के होही .ये ह सुते के खोली जइसने उपयोग करे जाथे. इहाँ एक ठन नानकन रंधनीखोली घलो हवय.

राहुल कहिथे, “हमन कुछेक डोकरा सियान ग्राहेक मन ले एक मुजरा करे के 80,000 तक ले मांगे हवन.” ये पइसा धन जोड़तोड़ करके जऊनो कुछु पइसा मिलथे, वो ह तबला, सारंगी, अऊ हारमोनियम बजेइय्या हमर तीन उस्ताद मन मं बंट जाथे, अऊ नर्तकी अऊ दलाल मन मं बंट जाथे,” फेर अतक बड़े रकम मिले दुब्भर आय, अऊ अब त ये ह सुरता के सिरिफ हिस्सा भर आय.

The entrance to a brothel in Chaturbhuj Sthan
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चतुर्भुज स्थान मं एक बेसुवाखाना के मुहटा

का ये मुस्किल बखत मं ब्यूटी के भरपूर कमई होय सकत हवय? जुवाब मं वो ह कहिथें, ‘जऊन दिन किस्मत साथ दे दीस त, हव, फेर अधिकतर दिन मन मं नई. बीते बछर हमर बर भारी खराब रहिस. इहाँ तक के हमर सबले रोज के ग्राहेक घलो ये बखत आय ले बचत रहिन. अऊ जऊन मन आंय, वो मन कमती पइसा दीन’

काय ये मुस्किल बखत मं ब्यूटी के भरपूर कमई होय सकत हवय?

जुवाब मं वो ह कहिथें, “जऊन दिन किस्मत साथ दे दीस त, हव, फेर अधिकतर दिन मन मं नई. बीते बछर हमर बर भारी खराब रहिस. इहाँ तक के हमर सबले रोज के ग्राहेक घलो ये बखत आय ले बचत रहिन. अऊ जऊन मन आंय, वो मन कमती पइसा दीन. फेर, हमर करा ये (पइसा) रखे ला छोड़ कऊने चारा नई ये, वो मन जऊन कुछु घलो दे देवंय, भले ये ह खतरा होवय के वो मन ले कऊनो कोरोना संक्रमित हो सकथे. ये ला गुनव: गर ये भीड़-भाड़ वाले इलाका मं गर कऊनो एके मइनखे वायरस ले संक्रमित हो जाथे, त सब्बो के जान जोखिम मं पर जाही.”

ब्यूटी के कहना आय के वो ह भरत मं कोरोनावायरस के दूसर लहर आय के पहिली तक 25,000 ले 30,000 रूपिया कमा लेवत रहिस, फेर अब मुस्किल ले 5,000 कमा पाथें. दूसर लहर के बाद लगे लॉकडाउन ह वो मनके अऊ इहाँ के दिग्गर धंधावाली मन के मुस्किल जिनगी ला अऊ घलो जियादा मुस्किल बना दे हवय. वायरस के डर घलो बनेच बड़े हवय.

*****

चतुर्भुज स्थान के माईलोगन मं बीते बछर मार्च महिना मं केंद्र सरकार के घोसित प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण योजना के फायदा नई उठाय सकत हवंय. ये पैकेज के तहत 20 करोड़ माईलोगन मन ला तीन महिना सेती 500 रूपिया मिलही. फेर, येकर सेती वो मन करा जन धन खाता होय जरूरी रहिस. देह बेपार के जगा मं जतक लोगन ले मंय बात करेंव वो माइलोगन मन करा जन-धन खाता नई रहिस. वइसे बात ये घलो हवय, जइसने के ब्यूटी ह पूछथें: मैडम, हमन 500 रूपिया मं काय कर लेय रहितेन?

एनएनएसडब्ल्यू के मुताबिक, वोटर आईडी, आधार अऊ राशन कार्ड धन जाति प्रमाण-पत्र जइसने पहचान-पत्र हासिल करे मं, धंधावाली मन ला कतको दिक्कत के सामना के ला परथे , येकर छोड़, जाति प्रमाण-पत्र बनवे सेती जरूरी कागज घलो दिखाय वोकर मन बर संभव नई होय. वो मन ला अक्सर राज सरकार डहर ले मिले रासन अऊ राहत पैकेज ले छोड़ देय जाथे.

Beauty looks for clients on a Sunday morning; she is three-months pregnant and still working
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ब्यूटी इतवार बिहनिया ग्राहेक खोजत हवंय; वो ह तीन महीन के गरभ ले हवंय अऊ अभू घलो काम करत हवंय

ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स के अध्यक्ष अऊ नई दिल्ली मं रहेइय्या कुसुम कहिथें, "जब राजधानी दिल्ली मं घलो सरकार डहर ले कऊनो मदद नई मिलिस, त देश के गांव-देहात के हालत ला सोच सकत हवव, जिहां नीति अऊ लाभ वइसे घलो देर सबेर हबरथे धन कभू पहुंचे नई.” कतको धंधा वाली हवंय, जऊन मन ये महामारी ले बचे सेती सरलग करजा लेगे ला मजबूर हवंय.”

ब्यूटी के हारमोनियम के रियाज के समे सिरोय ला हवय: “नान उमर के ग्राहेक मुजरा देखे ला पसंद नई करय अऊ आते सात सुते के खोली मं जाय ला चाहथें. हमन वो मन ला बताथन के डांस देखे जरूरी आय [जऊन ह आमतउर ले आधा ले घंटा भर चलथे]. भलेच वो मन थोकन बखत देखेंव, गर अइसने नई होही, त हमन टीम सेती अऊ मकान के भाड़ा भरे सेती पइसा कइसने कमाबो? हमन अइसने टूरा मन ले कम से कम 1,000 रूपिया लेगथन.” वो ह बताथे के देह संबंध के दाम अलग हवय. ये ह अधिकतर घंटा पाछू तय होथे. संगे संग, हरेक ग्राहेक के हिसाब ले अलग होथे.”

बिहनिया के 11:40 बजत हवय अऊ ब्यूटी हारमोनियम बंद करके राख देथे. वो अपन हेंडबेग लाथे अऊ वो मेर ले आलू के पराठा निकारथे, वो ह कहिथे, “मोला अपन दवई [मल्टीविटामिन अऊ फोलिक एसिड] खाय ला हवय, येकर सेती बढ़िया होही के मंय कलेवा कर लेवंव. जभे घलो मंय काम मं आथों, मोर दाई मोर सेती रांधथे अऊ डब्बा मं भर देथे.”

तीन महिना के गरभ धरे ब्यूटी ह कहिथे, “मंय आज संझा ग्राहेक आय के आस करत हवंव. फेर, इतवार के संझा पइसा वाला ग्राहेक मिले अतक असान नई ये. मुकाबला भारी बढ़गे हवय.”

पारी अऊ काउंटरमीडिया ट्रस्ट के तरफ ले भारत के गाँव देहात के किशोरी अऊ जवान माइलोगन मन ला धियान रखके करे ये रिपोर्टिंग ह राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट 'पापुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया' डहर ले समर्थित पहल के हिस्सा आय जेकर ले आम मइनखे के बात अऊ ओकर अनुभव ले ये महत्तम फेर कोंटा मं राख देय गेय समाज का हालत के पता लग सकय.

लेख ला फिर ले प्रकाशित करे ला चाहत हवव ? त किरिपा करके [email protected] मं एक cc के संग [email protected] ला लिखव

जिज्ञासा मिश्रा ठाकुर फैमिली फाउंडेशन ले स्वतंत्र पत्रकारिता अनुदान के माध्यम ले सार्वजनिक स्वास्थ्य अऊ नागरिक स्वतंत्रता ऊपर लिखथें.ठाकुर फैमिली फाउंडेशन ह ये रिपोर्ताज के बिसय मं कऊनो संपादकीय नियंत्रण नई करे हवय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Jigyasa Mishra

जिज्ञासा मिश्रा, उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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लाबनी जंगी साल 2020 की पारी फ़ेलो हैं. वह पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले की एक कुशल पेंटर हैं, और उन्होंने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल की है. लाबनी, कोलकाता के 'सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़' से मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर पीएचडी लिख रही हैं.

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पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.

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शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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