दक्षिणी तमिलनाडु के लोकनृत्य ओयिलट्टम को बहुत ही सुंदर ढंग से परफ़ॉर्म किया जाता है. इसे ज़्यादातर पुरुष ही परफ़ॉर्म करते हैं, और नृत्य के दौरान हाथों में रंग-बिरंगे रुमालों को हिलाकर यह नृत्य किया जाता है. आम तौर पर त्योहारों के दौरान परफ़ॉर्म की जाने वाली ग्रामीण नृत्य कला ओयिलट्टम की संगत में तविल (ढोल) बजाए जाते हैं और लोक गीत गाए जाते हैं.

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नर्तक काली और करगट्टम

अनुवाद: नेहा कुलश्रेष्ठ

Aparna Karthikeyan

अपर्णा कार्तिकेयन एक स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, और पारी की सीनियर फ़ेलो हैं. उनकी नॉन-फिक्शन श्रेणी की किताब 'नाइन रुपीज़ एन आवर', तमिलनाडु में लुप्त होती आजीविकाओं का दस्तावेज़ है. उन्होंने बच्चों के लिए पांच किताबें लिखी हैं. अपर्णा, चेन्नई में परिवार और अपने कुत्तों के साथ रहती हैं.

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Translator : Neha Kulshreshtha

नेहा कुलश्रेष्ठ, जर्मनी के गॉटिंगन विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स) में पीएचडी कर रही हैं. उनके शोध का विषय है भारतीय सांकेतिक भाषा, जो भारत के बधिर समुदाय की भाषा है. उन्होंने साल 2016-2017 में पीपल्स लिंग्विस्टिक्स सर्वे ऑफ़ इंडिया के द्वारा निकाली गई किताबों की शृंखला में से एक, भारत की सांकेतिक भाषा(एं) का अंग्रेज़ी से हिंदी में सह-अनुवाद भी किया है.

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