66. गणतंत्र दिवसः ऐतिहासिक किसान परेड की याद में

साल 2021 के गणतंत्र दिवस पर, संविधान और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाला था और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था. यह फ़िल्म कृषि क़ानूनों को निरस्त करने के उनके लंबे संघर्ष को समर्पित है

26 जनवरी, 2022 | आदित्य कपूर

65. ‘क़ानून वापसी के बाद, क्या मेरे भाई की ज़िंदगी भी लौटा पाएगी सरकार?’

साल 2020 के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में शहीद किसानों के तबाह, तहस-नहस हो चुके, और शोकाकुल परिवार ग़ुस्से में हैं. बावजूद इसके कि उनके शब्द अपने अज़ीज़ों को अलविदा कहते हुए हलक़ में दम तोड़ देते थे, अपनों को खो देने के दुःख और उन पर हुए अन्याय के ख़िलाफ़ वह पारी से मुख़ातिब हुए

26 जनवरी, 2022 | आमिर मलिक

64. टिकरीः सत्ता का गुरूर तोड़ घर लौटे, दृढ़ इरादों और गर्व से भरे किसान

11 दिसंबर को, टिकरी के प्रदर्शन स्थल पर किसानों ने अपने तंबू उखाड़े, सामान बांधे, और अपने घर को लौटने के लिए निकल पड़े. एक तरफ़ वे गौरवान्वित और विजयी महसूस कर रहे थे, लेकिन दूसरी ओर उन्हें यह घर छोड़ने का दुख भी था. हालांकि, संघर्ष करते रहने के लिए वे दृढ़ संकल्पित थे

13 दिसंबर, 2021 | संस्कृति तलवार

63. पत्थर के बदले दिल, गोली के बदले रोटी

अपने ऊपर थोपे गए तीन अन्यायपूर्ण कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ देश के किसानों ने अपनी विविधता और एकजुटता के साथ शानदार संघर्ष किया और सरकार को क़ानून निरस्त करने के लिए मजबूर कर दिया. एक कवि इन किसानों को अपनी कविता के ज़रिए सलाम पेश कर रहा है

11 दिसंबर, 2021 | जोशुआ बोधिनेत्र

62. किसान आंदोलनः ‘सेवा से कभी दिल नहीं भर सकता’

कई महीनों तक वे किसान आंदोलन के समर्थन में सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों की सेवा करती रहीं. अब, मोहिनी कौर और साक्षी पन्नू, दिल्ली बॉर्डर से घर लौट रहे किसानों के साथ उनकी सफलता का जश्न मना रही हैं

11 दिसंबर, 2021 | नमिता वाईकर

61. किसान आंदोलनः जश्न का मौक़ा है, पर जारी रहेगी जंग

सिंघु पर लाखों की संख्या में जुटे किसानों ने अपने ऐतिहासिक आंदोलन की वर्षगांठ को प्रभावशाली ढंग से याद किया. उन्होंने कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने पर चर्चा की, एकमुश्त जीत की ख़ुशी मनाई, और आने वाली लड़ाइयों की बात की. बीते बरस की बेबसी बयान करतीं उनकी आंखें भीग-भीग जाती थीं

30 नवंबर, 2021 | आमिर मलिक

60. टिकरी बॉर्डर के किसानः संघर्ष अभी ख़त्म नहीं होने वाला

पश्चिमी दिल्ली में टिकरी बॉर्डर पर स्थित किसानों के विरोधस्थल पर, कृषि क़ानूनों के निरस्त होने की ख़बर को लेकर तमाम लोग चौकन्ने हो गए हैं. इस संघर्ष के दौरान उन्होंने जो क़ीमत चुकाई है और आगे का रास्ता उनके लिए कितना संघर्ष भरा रहने वाला है, वे उसके बारे में पारी से बात कर रहे हैं

23 नवंबर, 2021 | संस्कृति तलवार

59. किसानों की जीत से जम्हूरियत की जीत, हर मोर्चे पर मीडिया की हार

तीनों कृषि क़ानूनों को इसलिए निरस्त नहीं किया गया, क्योंकि प्रधानमंत्री कुछ किसानों को 'फुसलाने' में विफल रहे, बल्कि इसलिए वापस लिया गया है कि किसान अपनी मांग पर टिके रहे; जबकि डरपोक मीडिया उनके संघर्ष और ताक़त को कम आंकती रही

20 नवंबर, 2021 | पी साईनाथ

58. ‘पंजाब: जहां मंडियों के सहारे चलती है जीवन-गाड़ी’

पंजाब के किसानों का कहना है कि पूरे प्रदेश में व्याप्त मंडियों का विशाल और सुलभ नेटवर्क उनके अनुकूल है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व दूसरी अन्य भरोसेमंद प्रक्रियाओं के साथ-साथ व्यापार के लिहाज़ से उन्हें तनिक सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराता है. अब किसानों को इस बात का डर लगातार सता रहा है कि नए कृषि कानूनों के लागू होने का सीधा असर इस नेटवर्क पर पड़ेगा

25 अक्टूबर, 2021 | नोविता सिंह

57. शहीदों की मिट्टी, सिंघु के संघर्ष की मिट्टी

यह एक प्रेरणादायक और भावनात्मक क्षण था, जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर, पंजाब में स्थित इन शहीदों के गांवों से मिट्टी के आठ कलश सिंघु के प्रदर्शनकारी किसानों तक पहुंचे

6 अप्रैल, 2021 | आमिर मलिक

56. सिंघू से सिंगूर तक की यात्रा

तीन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और यूनियनों के समूह द्वारा मार्च के मध्य में पश्चिम बंगाल में सभाएं आयोजित की गईं। यह रिपोर्ट हुगली जिले के सिंगूर में आयोजित सभा पर आधारित है

1 अप्रैल, 2021 | अनुस्तुप रॉय

55. ‘जब तक संभव हुआ हम विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे’

उत्तराखंड और उत्तर-पश्चिमी यूपी के किसान — जिनमें से कई ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया — का कहना है कि राज्य द्वारा चलाई जाने वाली मंडियां, दोषपूर्ण होने के बावजूद, उनके अस्तित्व के लिए ज़रूरी हैं

24 मार्च, 2021 | पार्थ एमएन

54. महिला किसानों के सम्मान में, सिंघु पर महिला दिवस

देश में महिला दिवस के सबसे बड़े उत्सव पर, 8 मार्च, 2021 को महिला किसानों को सम्मानित करने और तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शन में उनकी भूमिका की सराहना करने के लिए हज़ारों महिलाएं सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठा हुईं

11 मार्च, 2021 | आमिर मलिक

53. गीत और नृत्य के माध्यम से किसानों का विरोध प्रदर्शन

जनवरी के अंत में मुंबई के आज़ाद मैदान में किसानों के विरोध प्रदर्शन में, महाराष्ट्र के डहाणू तालुका के आदिवासी समुदायों के धुमसी और तारपा वादकों ने गीत और नृत्य के माध्यम से नए कृषि क़ानूनों का विरोध किया

24 फरवरी, 2021 | ऊर्ना राउत और रिया बहल

52. ‘अगर हम उनके साथ खड़े नहीं होंगे, तो कौन होगा?’

विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद आय का नुक़सान होने के बावजूद, हरियाणा-दिल्ली सीमा पर स्थित सिंघु और उसके आसपास के कई छोटे व्यापारी, दुकानदार, श्रमिक और विक्रेता किसानों के साथ पूरी एकजुटता से खड़े हैं

23 फरवरी, 2021 | अनुस्तुप रॉय

51. किसान आंदोलन में पेटवाड़ की महिलाओं का योगदान

हरियाणा के पेटवाड़ गांव की सोनिया पेटवाड़, शांति देवी और अन्य महिलाएं अपने तरीक़े से किसान आंदोलन का समर्थन कर रही हैं — टिकरी में राशन भेजने के साथ-साथ वे विरोध प्रदर्शनों में भाग भी लेती हैं

17 फरवरी, 2021 | संस्कृति तलवार

50. जंभाली के किसानः हाथ टूटा, हौसला नहीं

नारायण गायकवाड़ हाथ टूटने के बावजूद, किसानों से बात करने और नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने के लिए जनवरी में आज़ाद मैदान पहुंचे। कोल्हापुर के यह किसान कृषि मुद्दों पर भारत भर में कई रैलियों में भाग ले चुके हैं

12 फरवरी, 2021 | संकेत जैन

49. ‘सात बारह के बिना, हम कुछ नहीं कर सकते’

अरुणाबाई और शशिकला — दोनों आदिवासी समुदायों की विधवाएं, और औरंगाबाद जिले में किसान और खेतिहर मज़दूर हैं — नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने और अपनी ज़मीन का मालिकाना हक़ मांगने के लिए मुंबई आईं

8 फरवरी, 2021 | रिया बहल

48. ‘क्या कॉर्पोरेट वाले हमें मुफ्त में खिलाएंगे?’

पीडीएस राशन की कमी, जमाख़ोरी, खाद्य की बढ़ती क़ीमतें — महाराष्ट्र के किसान, जो मुंबई के आज़ाद मैदान में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, वे इन समस्याओं और कृषि क़ानूनों के अन्य संभावित दीर्घकालिक प्रभावों से चिंतित हैं

8 फरवरी, 2021 | ज्योति शिनोली

47. सर्खणी में, सात बारह से लैस एक लंबी लड़ाई

आदिवासी किसान, अनुसाया कुमारे और सरजाबाई आदे अपने भूमि अधिकारों के लिए महाराष्ट्र के सर्खणी गांव में जनवरी से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं; वे तीन नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ मुंबई के धरने में शामिल हुईं

8 फरवरी, 2021 | श्रद्धा अग्रवाल

46. अमीर किसान, वैश्विक साज़िश, स्थानीय मूर्खता

दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के प्रयास विफल होने के बाद, वैश्विक साज़िश की बात करके स्थानीय दमन को उचित ठहराया जा रहा है। क्या आगे किसी और ग्रह का हाथ होने का पता लगाने की कोशिश की जाएगी?

06 फरवरी, 2021 | पी साईनाथ

45. बेंगलुरु में: ‘हमें कॉर्पोरेट मंडियां नहीं चाहिएं’

दिल्ली की ट्रैक्टर परेड का समर्थन करने और कॉर्पोरेट-केंद्रित कृषि नीतियों के ख़िलाफ़ अपना विरोध जताने के लिए, गणतंत्र दिवस पर उत्तर कर्नाटक के किसान ट्रेनों और बसों से बेंगलुरु पहुंचे

03 फरवरी, 2021 | गोकुल जीके और अर्कतापा बासु

44. ‘वे हमारा ही गेहूं हमें तीन गुनी क़ीमत पर बेचते हैं’

महिला किसान और खेतिहर मज़दूर जो अपने भूमि अधिकारों के लिए लड़ रही हैं, नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ मुंबई में विरोध प्रदर्शन कर रही थीं ताकि उन्हें अपनी अन्य फ़सलों को भी एमएसपी से नीचे न बेचना पड़े

1 फ़रवरी, 2021 | संकेत जैन

43. गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर परेड ने लिया नाटकीय मोड़

26 जनवरी को राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाक़ों में दो चीज़ें घटती हुई देखी गईं: नागरिकों की एक भव्य परेड और एक दुखद व निंदनीय तमाशा. लाल किले और आईटीओ पर, अफ़वाहों ने अराजकता फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई

29 जनवरी, 2021 | शालिनी सिंह

42. बंगाल में पैरों के नीचे से खिसकती ज़मीन के लिए महिलाओं का संघर्ष

18 जनवरी को महिला किसान दिवस पर पश्चिम बंगाल के गांवों से किसान और खेतिहर मज़दूर महिलाएं नए कृषि क़ानूनों का विरोध करने और कई अन्य चिंताएं व्यक्त करने के लिए कोलकाता पहुंचीं

29 जनवरी | स्मिता खटोर

41. जीजाबाईः गणतंत्र दिवस पर स्वतंत्रता की मांग

छोटी उम्र में आदिवासी किसानों की चिंताओं के बारे में जानने में मदद करने के लिए 10 साल की नूतन को उसकी दादी, जीजाबाई नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ नासिक से मुंबई तक निकाले गए मार्च में अपने साथ ले आईं

28 जनवरी, 2021 | पार्थ एमएन और रिया बहल

40. ट्रैक्टर रैली में मचा उत्पात छीन नहीं पाया किसान आंदोलन की गरिमा

एक समूह के उत्पात ने, जो कभी उन 32 किसान यूनियनों का हिस्सा नहीं था जो दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, गणतंत्र दिवस के दिन किसानों के अभूतपूर्व, शांतिपूर्ण, और अनुशासित परेड से लोगों का ध्यान हटा दिया

28 जनवरी, 2021 | अनुस्तुप रॉय

39. ‘एक दिन ऐसा आएगा जब कोई किसान नहीं होगा’

कर्नाटक भर के किसानों का कहना है कि नए कृषि क़ानून पूरे भारत के किसानों को प्रभावित करते हैं। उनमें से कई दिल्ली में किसानों की परेड का समर्थन करने के लिए गणतंत्र दिवस पर बेंगलुरु में ट्रैक्टर रैली में शामिल हुए

27 जनवरी, 2021 | तमन्ना नसीर

38. ट्रैक्टर रैली विभाजितः ‘वो हमारे लोग नहीं थे’

टिकरी से किसानों के ट्रैक्टरों का काफ़िला शांतिपूर्वक तरीक़े से आगे बढ़ रहा था, तभी एक छोटा समूह उससे अलग हो गया, जिसने नांगलोई चौक पर अराजकता पैदा कर दी और नागरिकों के एक अभूतपूर्व तथा अनुशासित गणतंत्र दिवस परेड को बाधित कर दिया

27 जनवरी, 2021 | संस्कृति तलवार

36. ‘हम अभी भी ज़मीन के मालिक नहीं हैं’

नासिक की आदिवासी किसान विधवाओं- भीमा टंडाले, सुमन बोंबाले और लक्ष्मी गायकवाड़ के लिए भूमि अधिकार चिंता का मुख्य विषय होने के बावजूद वे नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए मुंबई आई हैं

26 जनवरी, 2011 | पार्थ एमएन

34. ‘हमने पहले भी मार्च किया है, आगे भी करेंगे’

दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन होने वाले आंदोलन का समर्थन करने के लिए हज़ारों किसान मुंबई पहुंच रहे हैं. नासिक ज़िले की विजयबाई गांगुर्डे और ताराबाई जाधव जैसी तमाम खेतिहर मज़दूरों ने पैसे उधार लेकर प्रोटेस्ट मार्च में हिस्सा लिया

26 जनवरी, 2021 | श्रद्धा अग्रवाल

32. सिंघु बॉर्डरः किसानों की सेवा करके एकजुटता की मिसाल क़ायम करता एक बुज़ुर्ग जोड़ा

धूल, गंदगी, और कभी-कभार होने वाली बारिश से बेपरवाह होकर, दिल्ली का एक जोड़ा, जसविंदर सिंह सैनी और प्रकाश कौर, सिंघु बॉर्डर पर किसानों के गंदे और कीचड़ से सने जूतों की सफ़ाई करते हैं

25 जनवरी, 2021 | आमिर मलिक

31. ‘टिकरी में 50 किमी तक ट्रैक्टरों की लाइन’

26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के लिए टीकरी बॉर्डर पर हज़ारों ट्रैक्टरों की क़तार लग चुकी है। महिला किसान इसकी अगुवाई करेंगी, और सभी योजनाओं पर सावधानी से काम किया जा रहा है

25 जनवरी, 2021 | शिवांगी सक्सेना

30. ‘ट्रैक्टर चलाते समय मुझे लगता है कि मैं उड़ रही हूं’

सरबजीत कौर ट्रैक्टर चलाते हुए पंजाब के अपने गांव से 400 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके किसानों के विरोध स्थल, सिंघु तक पहुंची हैं और अब 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में भाग लेने के लिए तैयार हैं

25 जनवरी, 2021 | स्निग्धा सोनी

29. ‘मैं अपना ट्रैक्टर चलाते हुए दिल्ली ले जाऊंगा’

हरियाणा के कंदरौली गांव के युवा किसान, चीकू ढांडा किसानों के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए पांच बार सिंघु जा चुके हैं। वह फिर जा रहे हैं, इस बार 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में शामिल होने के लिए

25 जनवरी, 2021 | गगनदीप

28. ‘आपने पूरे देश को जगा दिया है’

एक बेहद प्रतिष्ठित पूर्व नौसेना प्रमुख, जो लंबे समय से ख़ुद खेती का कर रहे हैं, कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली और देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हैं

24 जनवरी, 2021 | एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास

27. मुंबईः कृषि रैली का मंच बांधने वाले हाथ

मुंबई के आज़ाद मैदान में, यूपी से आए हुए राम मोहन भी उन मज़दूरों के बीच में हैं (उनके परिवार के भी कई लोग किसान हैं) जो कृषि क़ानूनों का विरोध करने नासिक से आ रही हज़ारों की भीड़ के लिए टेंट कस रहे हैं

24 जनवरी, 2021 | रिया बहल

26. सिंघु में कई शानदार सेवाओं का नेटवर्क

‘पगड़ी लंगर’ से लेकर दर्ज़ी, ट्रकों से जुड़े चार्जिंग पोर्ट और दर्पण, मुफ़्त लॉन्ड्री, मालिश, जूतों की मरम्मत तक — सिंघु में बड़ी संख्या में गैर-किसान भी मौजूद हैं, जो इन सेवाओं के ज़रिए एकजुटता दिखा रहे हैं

23 जनवरी, 2021 | जॉयदीप मित्रा

25. पंजाब के खेतिहर मज़दूर: ‘हमें कीड़ों की तरह देखा जाता है’

पश्चिमी दिल्ली के टिकरी विरोध स्थल पर, 70 वर्षीय तारावंती कौर पंजाब के उन दलित खेतिहर मज़दूरों में से एक हैं, जिनका मानना है कि केंद्र के नए क़ानून उन्हें और ग़रीब कर देंगे

21 जनवरी, 2021 | संस्कृति तलवार

24. किसानों के बुलंद इरादों से रोशन हुई इस बार की लोहड़ी

13 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों ने तीनों कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाकर लोहड़ी मनाई. गौरतलब है कि लोहड़ी, पंजाब और उत्तर भारत के अन्य इलाक़ों का लोकप्रिय त्योहार है

20 जनवरी, 2021 | अनुस्तुप रॉय

23. किसान आंदोलन में महिलाएं: ‘हम दोबारा इतिहास रच रहे हैं’

भारत में महिलाएं कृषि में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं, और इस समय बहुत सारी महिलाएं — किसान और गैर-किसान, युवा और बुज़र्ग, विभिन्न वर्गों और जातियों से संबंध रखने वाली — दिल्ली के आसपास किसानों के विरोध स्थलों पर पूरी दृढ़ता से मौजूद हैं

16 जनवरी, 2021 | श्रद्धा अग्रवाल

22. ‘यह संघर्ष खेतिहर मज़दूरों का भी है’

रेशम और बेअंत कौर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हैं और ऐसा मानती हैं कि यह क़ानून उनके परिवार की ही तरह, बाक़ी असंख्य खेतिहर मज़दूरों की आजीविका एवं खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करेंगे.

16 जनवरी, 2021 | संस्कृति तलवार

21. पंजाब से लेकर सिंघु तकः चित्रकारी द्वारा विरोध

लुधियाना के रहने वाले कला के एक शिक्षक ने किसानों के आंदोलन में अपने योगदान के रूप में सिंघु विरोध स्थल पर एक विशाल कैनवास पर पेंटिंग की है

14 जनवरी, 2021 | अनुस्तुप रॉय

20. ‘कृषि क़ानून अमीर और ग़रीब दोनों किसानों को प्रभावित करते हैं’

शाहजहांपुर में, किसानों के बीच एकजुटता में वर्ग का कोई भेद नज़र नहीं आता, और महाराष्ट्र के आदिवासी किसान — जिनमें से कई के पास छोटे भूखंड हैं — उत्तरी भारत के अपने किसान साथियों की बहुतायत और उदारता से काफ़ी प्रभावित हुए

14 जनवरी, 2021 | पार्थ एमएन

19. सिंघु बॉर्डरः किसानों का आना-जाना, आंदोलन का बढ़ते जाना

हरियाणा-दिल्ली सीमा पर बैठे किसान, हफ़्तों से चले आ रहे विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ अपनी फ़सलों और खेतों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते, इसलिए उन्होंने रिले की तैयारी की है - कुछ किसान थोड़े वक़्त के लिए अपने गांव लौटते हैं, वहीं दूसरे किसान सिंघु सीमा पर उनकी जगह ले लेते हैं

10 जनवरी, 2021 | पार्थ एमएन

17. ‘मेरा ख़ून काफ़ी बह रहा है, यह मुझे लोगों ने बताया...’

सत्तर वर्षीय सरदार संतोख सिंह 27 नवंबर को पंजाब के अपने गांव से जब सिंघु आए, तो उस दिन आंसू गैस का गोला लगने से वह घायल हो गए थे — लेकिन चोट के बावजूद, वह विरोध स्थल पर डटे हुए हैं

9 जनवरी, 2021 | कनिका गुप्ता

15. ‘खेती हमारा धर्म है, हमें लोगों को खिलाना पसंद है’

पंजाब के गुरुदीप सिंह और राजस्थान के बिलावल सिंह शाहजहांपुर के विरोध स्थल पर लंगर चलाते हैं, और कहते हैं कि इस सरकार को भूखे प्रदर्शनकारियों से निपटने की आदत है, इसलिए वे यहां हर किसी का पेट अच्छी तरह भरने को सुनिश्चित कर रहे हैं

2 जनवरी, 2021 | पार्थ एमएन

14. ‘मैं किसानों के मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए गाती हूं’

नासिक जिले की 16 वर्षीय भील आदिवासी खेतिहर मज़दूर और गायक-संगीतकार, सविता गुंजल ने अपने अद्भुत गीतों से महाराष्ट्र के किसानों द्वारा दिल्ली तक के जत्थे में सभी के जोश और संकल्प को बढ़ाए रखा

31 दिसंबर, 2020 | श्रद्धा अग्रवाल

13. किसानों के विरोध प्रदर्शन में मटर छीलता हरफ़तेह सिंह

राजस्थान-हरियाणा सीमा पर 100 लोगों के लिए आलू-मटर की सब्ज़ी बनाने में अपने परिवार की मदद करने के लिए सबसे कम उम्र का एक प्रदर्शनकारी सामने आता है

31 दिसंबर, 2020 | श्रद्धा अग्रवाल

12. किसानों के लिए नई लड़ाई में शामिल हुए युद्ध के नायक

दिल्ली के द्वार पर मौजूद लाखों किसान प्रदर्शनकारियों के बीच सशस्त्र बलों के कई नायक भी हैं, जिनमें से कुछ भारत के लिए लड़े जाने वाले विभिन्न युद्ध में 50 से अधिक पदक जीत चुके हैं

29 दिसंबर, 2020 | आमिर मलिक

11. “हम हंसते, गाते और झूमते हुए दिल्ली पहुंचेंगे”

महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से लगभग 1,000 किसान, जिनमें से अधिकांश आदिवासी हैं — वाहन, टेम्पो, जीप और कारों द्वारा दिल्ली के प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक ख़ूबसूरत और प्रतिबद्ध क़ाफ़िला है

24 दिसंबर, 2020 | श्रद्धा अग्रवाल

9. दिल्ली के द्वार पर किसानों का ‘बेला चाओ’

पिछले महीने से दिल्ली के द्वार पर किसानों और उनके समर्थकों के आंदोलन ने कई आकर्षक कविताओं और गीतों को जन्म दिया है। लेकिन यह गीत निश्चित रूप से पिछले कई वर्षों के सर्वश्रेष्ठ प्रतिरोधी गीतों में से एक है

23 दिसंबर, 2020 | पूजन साहिल और कारवाने मोहब्बत मीडिया टीम

8. ‘अगर किसान मुश्किल में होंगे, तो हमारा पेट कैसे भरेगा’

अपना एक पैर ख़राब होने के बावजूद, पेशे से मछुआरे प्रकाश भगत अपने गांव 'परगांव' के लोगों के लिए खाना बना रहे हैं, जो नासिक से दिल्ली तक चल रहे वाहन मोर्चे में शामिल हैं. यह मोर्चा कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में निकाला गया है.

23 दिसंबर, 2020 | पार्थ एमएन और श्रद्धा अग्रवाल

7. ‘महिला किसानों को नया क़ानून नहीं चाहिए’

भारत में महिलाएं कृषि में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं, लेकिन उन्हें कभी किसान के रूप में मान्यता नहीं दी जाती — पिछले हफ्ते उनमें से कई महिलाएं नए कृषि क़ानूनों को ख़त्म करने के आह्वान का समर्थन करते हुए पुणे में एकत्र हुईं

18 दिसंबर, 2020 | विद्या कुलकर्णी

6. ‘इस सर्दी में, हमारे दिल जलते हुए अंगारे हैं’

किसानों के विरोध स्थल, सिंघू और बुराड़ी के अस्थायी शिविरों में ठहरे प्रदर्शनकारी हर दिन के अंत में लंबी रात गुज़ारने और भाईचारे की भावना तथा नए संकल्प के साथ आगे की लड़ाई लड़ने की तैयारी करते हैं

15 दिसंबर, 2020 | शादाब फ़ारूक़

5. ‘मैं यहां भोजन के लिए आती हूं’

सिंघू बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन ने आसपास के फुटपाथों और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले कई परिवारों को आकर्षित किया है, जो मुख्य रूप से लंगर — मुफ़्त भोजन — के लिए आते हैं और ये सामुदायिक रसोई घर सभी का स्वागत करते हैं

14 दिसंबर, 2020 | कनिका गुप्ता

4. किसान हरजीत सिंह चल नहीं सकते, लेकिन मज़बूती से खड़े हैं

दिल्ली-हरियाणा सीमा के सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान बहुत सी मुश्किलों का सामना करते हुए सैकड़ों किलोमीटर दूर से आए हैं। उन्हीं में से एक हरजीत सिंह भी हैं, जो टूटे कूल्हे और घायल रीढ़ की हड्डी के बावजूद यहां तक पहुंचे हैं

12 दिसंबर, 2020 | आमिर मलिक

3. और आपने सोचा यह सिर्फ़ किसानों के बारे में है?

नए कृषि क़ानून केवल किसानों को ही नहीं, बल्कि सभी नागरिकों को संवैधानिक उपचार से वंचित कर रहे हैं — जो कि 1975-77 के आपातकाल के बाद से अभी तक नहीं देखा गया था। दिल्ली के द्वार पर मौजूद किसान हम सभी के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं

10 दिसंबर, 2020 | पी साईनाथ

2. ‘एपीएमसी से संबंधित क़ानून मौत का वारंट है’

दिल्ली-हरियाणा के विरोध प्रदर्शन में, किसानों की मांगों में तीन नए कृषि क़ानूनों को निरस्त करना शामिल है — और वे कंटीले तार, बैरिकेड्स, अपने स्वयं के नुक़सान, अपमान आदि का सामना करने को तैयार हैं

30 नवंबर, 2020 | आमिर मलिक

1. पालघर में विरोधः ‘हम आज पीछे नहीं हटेंगे’

हरियाणा-दिल्ली में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को अपना समर्थन देने और अपनी 21 मांगों के लेकर, आदिवासी समुदाय के किसान 26 नवंबर को महाराष्ट्र के पालघर जिले में इकट्ठा हुए

28 नवंबर, 2020 | श्रद्धा अग्रवाल
PARI Contributors
PARI Translations, Hindi
Lead Illustration : Labani Jangi

लाबनी जंगी साल 2020 की पारी फ़ेलो हैं. वह पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले की एक कुशल पेंटर हैं, और उन्होंने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल की है. लाबनी, कोलकाता के 'सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़' से मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर पीएचडी लिख रही हैं.

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