तंय जंगल के राजा ला अगोरत झन रहिबे.
शेर मन आवत हवंय, जम्मो गुजरात डहर ले. अऊ वो मन के आय मं कऊनो तकलीफ झिन होय तेकरे सेती इहाँ के सब्बो ला बहिर जाय ला परिस.
अऊ ये ह एक ठन बने बात लगत रहिस. भले मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान के गाँव मन दूरसंदहा रहिन के ये सब कइसने होही.
"शेर मन के आय के बाद, ये इलाका हा जगजाहिर हो जाही. हमन ला गाइड के नऊकरी मिलही. हमन ये जगा मं दुकान अऊ होटल खोले सकत हवन. हमर परिवार उन्नति करही." ये आय 70 बछर के रघुलाल जाटव, जेन ह कुनो पार्क के बहिर आगरा गांव मं हमन ले गोठ बात करत रहिस.
रघुलाल कहिथे, "हमन बने धनहा अपासी वाले जमीन मिलही, हर मऊसम के लइक सड़क, सब्बो गांव बर बिजली अऊ सब्बो सुविधा मन मिलहिं."
वो ह कहिथे, वइसने घलो सरकार ह हमन ला इहीच वायदा करे हवय.
एकरे सेती पाइरा के लोगन मन अऊ 24 ठन गाँव के 1,600 परिवार मन कुनो नेशनल पार्क मं बने अपन घर दुवार खाली कर दीन. ये मन मं खासकर के सहरिया आदिवासी, दलित अऊ पिछड़ा बरग के गरीब मन रहिन. ये मन ला इहाँ ले भारी हड़बड़ी मं निकाले गे रहिस.
ट्रैक्टर मन ला लाय गीस, अऊ कमाय घर छोड़े सेती वनवासी मन के अपन कतको पीढ़ी के जइदाद के ढेरी लाग गे. वो मन ला इस्कूल, बोरिंग, चूंआ अऊ जमीन ला घलो छोड़ दीन जेन ला पुरखा ले कमावत रहिन. इहाँ तक के वो मं अपन मवेसी मं ला घलो छोड़ दीन काबर के ये मन के चारा वो मन के उपरबोझा बनही जेन ह अब तक ले जंगल ले मिल जावत रहिस.
तेईस बछर बीते बाद, वो मन अभू घलो शेर मन ला अगोरत हवंय.
अपन घर के बहिर खटिया मं बइठे रघुलाल कहिथे, “सरकार हा लबारी मर दीस.” वो अब नराज घलो नई ये. राज सरकार के वायदा ला अगोरत अगोरत वो ह थक गे. रघुलाल जइसने हजारों गरीब, कोंटा मं फेंकाय लोगन मन - खुदेच दलित - मन अपन जमीन, अपन घर, अपन जिये के सहारा ला गंवा दीन.
फेर रघुलाल के नुकसान ले कुनो नेशनल पार्क ला घलो कऊनो फायदा नई होईस. शेर के हिस्सा कऊनो ला नई मिलिस. इहाँ तक ले खुदेच शेर मन ला घलो, वो मन कभू नई आइन.
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शेर कभू मध्य, उत्तर अऊ पश्चिम भारत के जंगल मन मं घूमत रहिन. फेर आज, एशियाई शेर (पैंथेरा लियोलियो) सिरिफ गिर के जंगल मं पाय जा सकत हवय. अऊ एकर आसपास के प्रकृति मं सौराष्ट्र प्रायद्वीप के 30,000 वर्ग किलोमीटर ला घेर लेथे. ऊही इलाका के छह फीसद ले घलो कमती – 1,883 वर्ग किमी वो मन के आखरी संरक्षित घर आय. ये तथ्य अइसने आय जेन ह वन्यजीव जीवविज्ञानी अऊ संरक्षणवादी मन के नाड़ी ठंडा कर देथे.
सौराष्ट्र प्रायद्वीप मं 674 एशियाई शेर दरज हवंय. अऊ दुनिया मं आगू रहिके ये मन के संरक्षन करेइय्या एजेंसी IUCN, ह ये मन ला एक लुप्तप्राय प्रजाति के रूप मं सूचीबद्ध करे हवय. कतको बछर ले इहाँ काम करेइय्या वन्यजीव शोधकर्ता डॉ. फैयाज ए खुदसर ह ह फोर के अऊ अभी के खतरा डहर आरो करथे. वो हा कहिथे, "संरक्षण जीवविज्ञान सफ्फा सफ्फा सुझाव देथे के फेर अगर छोटकन अबादी एकच कोती सिमटे हवय, त ये ह किसिम किसिक के ढंग ले नंदाय जाय के खतरा के सामना करथे.
डॉ.खुदसर शेर मन के आगू अवेइय्या कतको खतरा मं के जिकर करथें. ये मं कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के प्रकोप, जंगल के आगि, जलवायु परिवर्तन, उहाँ के बासिंदा मन के बेवहार अऊ बहुतेच कुछु सामिल हवय. ओकर कहना आय के अइसने तरह के खतरा ये नाजुक अबादी ला तेजी ले खतम कर सकत हवय, ये भारत के बर भयानक सपना के तस्वीर आय, काबर शेर के तस्वीर हमर राज के चिन्हा अऊ मुहर मं हावी हवंय.
खुदसर जोर देके कहिथे के शेर मन बर उपरहा घर के रूप मं कुनो के कोई काट नहीं ये, जइसने के वो ह कहिथे, "शेर मं के आनुवंशिक ताकत ला बढ़ावा देय सेती कुछेक गोहड़ी मन ला वो मन के ऐतिहासिक भौगोलिक सरहद मं फिर ले रखना जरूरी आय.”
फेर ये सुझाव ला बहुत पहिली वापिस ले ले गेय रहिस. ये ह 1993-95 के आसपास के बखत रहिस जब वो मं ला इहां लाय के योजना के तियार करे गे रहिस. ये योजना के तहत, कुछेक शेर मन ला गिर ले 1,000 किमी दुरिहा कुनो लाय जाही. भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के डीन डॉ. यादवेंद्र झाला के कहना आय के नौ संभावित जगा के सूचि मं कुनो ला ये योजना सेती सबले जियादा बढ़िया पाय गे रहिस.
डब्ल्यूआईआई ह पर्यावरण, वन अऊ जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) अऊ राज के वन्यजीव विभाग मन के तकनीकी शाखा आय. ये ह सरिस्का, पन्ना मं शेर, बांधवगढ़ मं गौर अऊ सतपुड़ा मं बारासिंघा मन के अबादी बढ़ाय मं महत्तम भूमिका निभाय हवय.
संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. रवि चेल्लम कहिथे, "कुनो के पूरा अकार (6,800 वर्ग किमी के आसपास के जगा), मइनखे मन के सबले कम दखल, कऊनो राजमार्ग के नई होय ले, ये जगा हा एला सबले बढ़िया जगा बना दे हवय.” वो ह ये ताकतवर जानवर मन के 40 बछर ले निगरानी करे हवय.
वो ह कहिथे, दीगर बने चीज मन मं “बहुतेच बढ़िया अऊ किसिम किसिम के रहे के जगा – कांदी के जंगल, बांस, ओद्दा जगा.अऊ बिसाल चंबल के सहायक बारहमासी बोहय्या नदी-नरुआ अऊ किसिम किसिम के सिकार. ये सबू के सेती ये अभयारण्य ला शेर मं ला महमना बनाके ले बर तियार करे गे.
फेर, पहले हजारों लोगन मन ला कुनो अभयारण्य से बहिर निकाले ला परही. जेन मन जंगल ऊपर आसरित रहिन तऊन मन ला मीलों दूर ले जाके बसाय, कुछेक बछर मं करे गे रहिस.
तेईस बछर बाद, हालांकि, शेर मन ला दिखाय ह बाकी हवय.
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कुनो के भीतर बसे 24 गाँव के बासिंदा मन ला दूसर जगा बसाय जाय के पहिला आरो 1998 मं मिले रहिस. जेन बखत इहाँ के जंगल रेंजर मन अभयारण्य ला राष्ट्रीय उद्यान मं बदले के बात करिन जिहां कऊनो मनखे नई होही.
मंगू आदिवासी कहिथे, “हमन कहेन के हमर पुरखा मन ले हमन शेर मन के संग रहत हवन. बाघ अऊ दीगर जानवर मन के संग घलो, फेर हमीच मन ला काबर जाय ला परत हवय?” वो ह 40 बछर के सहरियाआय,अऊ विस्थापित लोगन मन ले एक झिन आय.
1999 के सुरु मं, बासिंदा मन ला बेस्वास मं लेय बगैर वन विभाग ह कुनो सरहद के बहिर के बड़े अकन हिस्सा भूईंया ला सफ्फा करे ला सुरु कर दे रहिस. रुख राई काट दे गीस अऊ जेसीबी मसीन लगा के पाट दे गीस.
जेएस चौहान कहिथे, "बसे ह मनमुआफिक रहिस, मंय खुदेच होके एकर देखरेख करे रहेंव.” वो ह 1999 मं कुनो के जिला वन अधिकारी रहिस. वो अभी मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) अऊ वन्यजीव वार्डन हवंय.
विस्थापन सेती तियार करे बर हरेक परिवार परिवार ला बताय गे रहिस के हर परिवार ला कमाय सेती दू हेक्टेयर अपासी वाले जमीन मिलही. 18 बछर ले जियादा के उम्र के सब्बो लइका सियान एकर हकदार होंही. वो मन ला पइसा घलो मिलही. नवा घर बनाय सेती 38,000 रुपये अऊ समान ले के भाड़ा के 2000 रुपिया दे जाही, ओमन के नवा गाँव मं सब्बो सुविधा के वायदा करे के रहिस.
अऊ फिर पालपुर थाना ला बंद कर दे गीस. 43 बछर के मेराजुद्दीन कहिथे, “एकर ले खतरा के घंटी बजे ला लगिस काबर ये इलाका मं डकैत मन के आसंका हवय.” वो ह वो बखत ये इलाका मं जवान समाजिक कार्यकर्ता रहिस.
एकर बर न तो ये गाँव मन ले कऊनो भाल बिचार करे गे रहिस अऊ न त आवे के कउनो मुआवजा दे गे रहिस. न त जंगल ला खतम करके पाट देय ले होय नुकसान के भरपई करे गे रहिस
अऊ 1999 मं घाम महिना के जइसने सुरु होईस. जइसने वो मं अपन अवेइय्या फसल के तियारी करे लगीन, कुनो के बासिंदा मं ला उहाँ ले हटाय सुरु कर दे गीस. वो मन आगरा अऊ ओकर तीर तखार पहुँचीन अऊ नीला रंग के तिरपाल ले कुरिया बना के रहे लगीन. इहाँ वो मन 2-3 बछर तक ले रहीं.
मेराजुद्दीन कहिथे, “राजस्व विभाग ह सुरू मं जमीन के नवा मालिक मन ला मान्यता नई दे रहिस अऊ एकरे सेती रिकॉर्ड नई दे गे रहिस. स्वास्थ्य, शिक्षा अऊ सिंचाई जइसने दीगर विभाग मन ला काम सुरु करे मं 7-8 बछर लाग गे.” वो ह आधारशिला शिक्षा समिति के सचिव बनीस. ये हा एक ठन गैर-लाभकारी संस्था आय जेन ह आगरा मं विस्थापित लोगन मन सेती एक इस्कूल चलाथे अऊ वो मन के संग काम करथे.
तेईस बछर बाद, पीसीसीएफ चौहान ह स्वीकार करिस के, “गाँव ला ले जाय के काम वन विभाग के नई ये. पुनर्वास सरकार ला ही करे ला परही तभेच विस्थापित मं ला जम्मो सुविधा मिलही. जम्मो विभाग ला लोगन मं तीर जाना चाही, ये हमर फरज आय.” वो हा वायदा पूरा नई करे के सवाल मं कहिथे.
श्योपुर जिला के विजयपुर तहसील के उमरी, अगरा, अरोड़, चेंटीखेड़ा अऊ देवरी गांव में 24 विस्थापित गांव मन के हजारों लोगन के आमद देखे गीस (इहाँ के लोगन मन 28 ठन कहिथें). एकर बर न तो ये गाँव मन ले कऊनो भाल बिचार करे गे रहिस अऊ न त आवे के कउनो मुआवजा दे गे रहिस. न त जंगल ला खतम करके पाट देय ले होय नुकसान के भरपई करे गे रहिस.
राम दयाल जाटव अऊ ओकर परिवार जून 1999 मं आगरा के बहिर पाइराजाटव बस्ती मं चले गीस. कुनो पार्क मं पाइरा के 50 बछर के ये मूल बासिंदा ह अभू तक ले पछतावत हवय.वो ह कहिथे, "फिर ले बसाय ह हमर बर बढ़िया नई रहिस, हमन बहुतेच अकन समस्या के सामना करेन अऊ अभू तक ले करत हवन. आज हमर चूंवा मन मं पानी नईये. हमर खेत ह रुंधाय नई ये. अपात मं इलाज बर खुदेच ला खरचा करे ला परथे अऊ रोजी रोटी घलो मुस्किल होवत जावत हवय. ये ला छोड़ अऊ घलो कतको समस्या मन हवंय. ओकर आवाज ह धीमा हो जाथे जब वो ह कहिथे, “वो मन जानवर मन बर बने करिन फेर हमर सेती कुछु घलो बने नई करिन.”
रघुलाल जाटव कहिथे के हमर पहिचान के नुकसान सबले बड़े रहिस. “23 बछर हो गे हवय अऊ हमन ला जेन वायदा करे गे रहिस, तऊन अभू तक ले नई मिलिस, इहाँ तक के हमर स्वतंत्र ग्राम सभा मं ला घलो इहाँ के लोगन मन मं मेंझार दे गीस.”
एकर खिलाफ रघुलाल अपन पाइरा समेत 24 गाँव के लड़ई लड़त हवय. रघुलाल के मुताबिक, जब 2008 मं नव ग्राम पंचइत बनाय गीस त पाइरा ला राजस्व गांव ले खत्म कर दे गे रहिस. वो बखत एकर बासिंदा मन ला चार ठन बस्ती मं अभी के पंचइत मं सामिल कर दे गीस. “अऊ ये तरीका ले हमन अपन पंचइत ला गँवा देन.”
ये पीरा ला लेके पीसीसीएफ चौहान कहिथे के वो हा ये समस्या ला सुलझाय के कोसिस करिस. वो ह कहिथें, “मंय सरकार के कतको लोगन मन ले मिलके वो मन ला वो मन के पंचइत लहूँटाय के मिले हवंव. मंय वो मन ला (राज विभाग) कहिथों, “तुमन ला अइसने नई करना रहिस, ये बछर घलो मंय कोसिस करे हवंव.”
बगैर अपन पंचइत, ये विस्थापित मन ला अपन समस्या ला बताय बर भारी कानूनी अऊ राजनीतिक लड़ई के सामना करे ला परत हवय.
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मंगू आदिवासी के कहना आय के विस्थापन के बाद: “जंगल हमर बर बंद हो गे. हमन चारा बर कांदी बेचत रहेन फेर अब हमर करा एक ठन गाय रखे के जगा नई ये. चरई, जलावन, गैर-वन उपज, अऊ बहुतेच नुकसान घलो होय हवय.
सामाजिक वैज्ञानिक प्रो. अस्मिता काबरा ये ला ताना मरत कहिथे, “लोगन मन ला अपन घर छोड़े ला मजबूर करे गे काबर वन विभाग ह शेर मन के आय ले वो मन के मवेसी के होइय्या नुकसान के संसो करत रहिस. फेर आखिर मं मवेशी मन ला छोड़ दे गीस काबर बहिर मं ओकर मन बर कोई चारा नई रहिस.”
खेती बर जंगल सफ्फा होय के सेती लकरी हमर ले अऊ दुरिहा चले गे. 23 बछर के गुरूजी अऊ अहरवानी के बासिंदा केदार आदिवासी कहिथे, “अब हमेन ला जलावन लकरी लेगे बर 10-12 कोस जाय ला परथे. हमर करा खाय के हवय फेर एला रांधे बर जलावन लकरी नई ये.” वो हा विस्थापित सहरिया आदिवासी मन ले एक आय जेन ला एक गाँव मं बसाय गे हवय.
50 बछर के गीता, अऊ 60 बछर के हरजनिया, तब जवान रहिन अऊ बिहाव के बाद अभयारण्य मं रहे बर श्योपुर के कराहल तहसील के अपन घर छोड़ दे रहिन. गीता कहिथे, “अब हमन ला लकरी लेगे बर डोंगरी मन मं जाय ला परही. ये मा पूरा दिन लाग जाथे अऊ अक्सर करके वन विभाग हमन ला रोक देथे. एकरे सेती हमन ला सब सोच समझ के करे ला परथे.”
प्रो. काबरा सुरता करत बताथे के काम निपटाय के हड़बड़ी मं वन विभाग ह कतको कीमती रुख-राई मन ला बुलडोजर ले गिरा दीस. "जैव विविधता के नुकसान के गिनती कभू करे नई गीस," ये सामाजिक वैज्ञानिक कहिथे जेन ह अपन पीएचडी कुनो अऊ ओकर तीर तखार के विस्थापन, गरीबी अऊ कमाय खाय के सुरक्छा पर रहिस. वोला बड़े रूप मं ये इलाका के सबले प्रमुख संरक्षण विस्थापन विशेषज्ञ माने जाथे.
गोंद अऊ राल संकेले बर चीर अऊ दीगर रुख मन के नुकसान एक बड़े झटका आय. इहाँ के बजार मं चीरगोंद 200 रुपिया किलो बिकथे, अऊ बनेच अकन परिवार मन 4-5 किलो राल संकेल लेथें. केदार कहिथे, “किसिम किसिम के गोंद राल, तेंदू पत्ता जेकर ले बीड़ी बनथे भरपूर होवत रहय अऊ भेल, चार, महुआ, शहद अऊ कांदा जइसन फल घलो. ये सब हमन ला खाय अऊ पहिरे के देवत रहिन. हमन 5 किलो चऊर एक किलो गोंद के बदला मं देवत रहेन.”
अब केदार के मां कुंगाई आदिवासी जइसने कतको लोगन मन, जेन मन करा अहरवानी मं सिरिफ बरसा के सहारा के खेत हवय, तऊन मन कमाय खाय बर हर बछर मुरैना अऊ आगरा सहर कोती जाय ला मजबूर हवंय. वो मं साल के कुछेक महिना सड़क इमारत मजूर के रूप मं बूता करथें. 50 बछर के कुंगाई कहिथे, “जब हमन ला इहाँ खेती के कऊनो काम बूता नई मिली त हमन 10-20 झिन एक संग मिलके जाथन.”
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प्रधान मंत्री मोदी ह 15 अगस्त, 2021 मं लाल किला ले अपन स्वतंत्रता दिवस के भाषण मं 'प्रोजेक्ट लायन' के घोसना करिस. ये ह "देश में एशियाई शेर मन के भविस्य ला संभाल के राखही. "
प्रधान मंत्री मोदी जब 2013 बछर मं गुजरात के मुख्यमंत्री रहिस तब सुप्रीम कोर्ट ह पर्यावरण, वन अऊ जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ला शेर मन ला भेजे जाय के आदेस देय रहिस. अदालत ह कहिस, "आज ले 6 महीने के भीतर." अइसन हो जाना चाही. अऊ सायद एकरे सेती लाल किला ले देय भासन मं कहे गे रहिस. मतलब ये के देस मं एशियाई शेर मन के भविस्यत ला सम्भाले बर, न तो तब अऊ न तो अब आदेश के पालन करे मं गुजरात सरकार विफल हवय जेकर सफाई देय के कउनो जवाब नई ये.
गुजरात वन विभाग के वेबसाइट घलो कऊनो स्थानान्तरण मं कलेचुप हवय, अऊ 2019 मं MoEFCC के प्रेस विज्ञप्ति मं एकर सेती रकम के घोसना करे गे हवय. एशियाई शेर संरक्षण परियोजना सेती 97.85 करोड़, फेर सिरिफ गुजरात के जिकर करे गे हवय.
दिल्ली के एक ठन संगठन डहर ले 2006 मं दायर जनहित याचिका के जुवाब मं सुप्रीम कोर्ट के फइसला के बाद ले 15 अप्रैल, 2022 ला नौवां बछर के रूप मं चिन्हारी करे गे हवय. जनहित याचिका मं "कुनो के एशियाई शेर मन के फकर करे के कुछेक बात बताय सेती गुजरात सरकार ला निर्देस देय के मांग करे गे रहिस.”
डब्ल्यूआईआई के डॉ. झाला कहिथे, "सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फइसला के बाद, कुनो मं शेर मन के बंस मं इजाफा के निगरानी सेती एक ठन विशेषज्ञ समिति बनाय गीस. फेर बीते अढाई बछर मं विशेषज्ञ समिति के कऊनो बईठका नई होय हवय. अऊ गुजरात ह कार्य योजना ला स्वीकार नई करे हवय.”
येला छोड़, कुनो ला ये बछर अफ्रीकी चीता मन ला लाय के रखे के जगा के रूप मं नामित कर गे हवय. ऊही सुप्रीम कोर्ट के फइसला के बाद घलो, "अफ्रीकी चीता मन ला कुनो मं रखे के MoEFCC के आदेश कानून के नजर मं ठहर नहीं सकय अऊ येला रद्द करे जाथे."
प्रोजेक्ट लायन ऊपर 2020 के एक ठन रिपोर्ट के मुताबिक संरक्षणवादी मन के सख्त चेतावनी पहिले ले सच होवत हवय. डब्ल्यूआईआई अऊ गुजरात, मध्य प्रदेश अऊ राजस्थान सरकार मन के मिले रिपोर्ट के हालत ला लेके बहुत संसो करत हवय. ये ह कहिथे के "गिर मं हालेच मं बेबेसियोसिस अऊ सीडीवी (कैनाइन डिस्टेंपर वायरस) ले बीते दू बछर मं कम से कम 60 ले जियादा शेर मन के मऊत हो चुके हवय."
वन्यजीव जीवविज्ञानी, डॉ. रवि चेल्लम कहिथें," सिरिफ मइनखे के घमंड ह जगा बदले ला रोकत हवय.” वो ह जगा बदले के फइसला लेय बर सबले बड़े अदालत के वन पीठ के विशेषज्ञ वैज्ञानिक सलाहकार के रूप मं कम करे रहिस. एक संरक्षण वैज्ञानिक औ मेटास्ट्रिंग फाउंडेशन के सीईओ, डॉ. चेल्लम ह शेर मन के जगा बदले के निगरानी करत रहिस अऊ येला अगोरत रहिस.
डॉ. चेलम जेन ह जैव विविधता सहयोग के सदस्य घलो आय कहिथे, “शेर भारी खतरा के बखत ले गुजरे हवंय अऊ अब वो मन के अबादी बढ़ गे हवय. फेर ये मं ला सम्भाले बर तुमन कभू बेफिकर नई रहे सकव. खास करके नंदावत जावत प्रजाति मन के संग काबर के खतरा हमेसा बने रथे. ये हा सनातन सतर्कता के विज्ञान आय.
मइनखे ला भगा दीन फेर शेर नई आइस !
मंगू आदिवासी कुनो मं अपन घर गंवाय के मजाक उड़ाथे फेर ओकर अवाज मं हँसी नई ये. वो हा सरकार ले अपन वायदा पूरा करे धन वोला ओकर जगा लहूँटाय के मांग करत एक ठन विरोध प्रदर्शन मं मुड़ी मं मार खाके टांका घलो लगवाइस, “कतको खेप हमन सोचंय के हमन लहूँट जाबो.”
15 अगस्त, 2008 मं उचित मुआवजा सेती सरकार ले सूजी कोचे जइसने विरोध आखिरी कोसिस रहिस. रघुलाल कहिथे, तब हमन तय करे रहेन के हमन ला जउन जमीन दे गे हवय तेन ला छोड़ देबो अऊ हमन हमर जुन्ना जमीन वापिस चाहत रहेन. हमन जानत रहेन के एक कानून रहिस जेन हा हमन ला विस्थापन के 10 बछर के भीतर लहूँटे के इजाजत देवत रहिस.
ये मऊका खोय के बाद घलो रघुलाल हार नई माने हवय अऊ हालत ला ठीक करे बर अपन समय अऊ पइसा खरच करे हवय. वो हा कतको घाओ जिला अऊ तसील दफ्तर जा चुके हवय.वो हा भोपाल मं चुनाव आयोग तक ले अपन पंचइत के पैरवी करे गे रहिस. फेर ओकर झोली मं कुछु नई आय हवय.
राजनीतिक अवाज नई होय सेती विस्थापित मन ला नजरअंदाज करे अऊ चुप कराय ह सुभीता हो गे हवय. पैरा निवासी राम दयाल कहिथे, “कऊनो हमन ले ये घलो नई पूछिस के हमन कइसने हवन. गर कउनो समस्या धन कुछु हवय का, इहाँ कऊनो नई आवय. हमन वन दफ्तर मं जाथन,त उहाँ कऊनो अफसर नई मिलय. जब हमर ओकर ले भेंट हो जाथे त हमन ला आस देथें के वो मं तुरते हमर काम करहीं. फेर कुछु नई करिन, होगे 23 बछर.”
जिल्द फोटू: जोड़ा मं अपन परिवार के जुन्ना घर के तीर बइठे सुल्तान जाटव,जेन ह अब ये नई ये.
ये रिपोर्टर ह सौरभ चौधरी ला ये लेख के शोध करे अऊ अनुवाद के संग मदद सेती अभार जतावत हवय.
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू