प्रीति यादव कहिथे, “ये नान कन गांठ, हाड़ा जइसने” कड़ा हो गे हवय.

बछर भर ले जियादा बखत हो गे हवय, जब जुलाई 2020 मं वोला पता चलिस के ओकर जउनि छाती मं चना बरोबर गांठ पनपत हवय; अऊ ये बात ला घलो करीबन बछर भर होय ला हवय, जब पटना के कैंसर इंस्टीट्यूट के ऑन्कोलॉजिस्ट ह वोला बायोप्सी कराय अऊ छाती के आपरेसन ले हेरवाय ला कहे रहिस.

फेर प्रीति कभू अस्पताल लहूंट के नई गीस.

प्रीति अपन परिवार के संग घर के टाइल लगे परछी मं भुरुवा रंग के प्लास्टिक के कुर्सी मं बइठे हवंय, घर के अंगना मं फूल-पऊधा लगे हवय. वो ह कहिथे, “करवा लेंगे.”

धीरे ले कहाय ओकर शब्द हलाकान होय के बोझा ले लदाय रहिस. ओकर नजिक के एक घर के कम से कम चार लोगन मन हाल के बछर मं कैंसर ले मर गे रहिन, अऊ बिहार के सारण ज़िले के सोनपुर ब्लॉक के ओकर गांव मं, मार्च 2020 मं आय कोविड-19 महामारी ले कुछेक बछर मं कैंसर के कतको मामला घलो दर्ज करे गे हवंय. (ओकर कहे मुताबिक गाँव के नाम बताय नई जावत हवय अऊ ओकर असल नांव घलो लिखे गे नई ये.)

आपरेसन करके गांठ ला कब हेरवाय हवय, ये 24 बछर के प्रीति के अकेल्ला फइसला नई ये. ओकर घर के मन बनेच जल्दी ओकर बिहाव सेती दूल्हा खोज ले हवं, जऊन ह बगल के गाँव के बासिंदा अऊ सशस्त्र बल के जवान आय. वो ह कहिथें, “हमन बिहाव के बाद घलो आपरेसन करवा सकत हवन, सही कहंय ना? डॉक्टर ह कहे हवय के लइका होय के बाद गांठ ह अपन आप खतम होय के आस हवय.”

फेर काय दूल्हा के घरवाला मन ला गांठ, अवेइय्या आपरेसन, अऊ परिवार मं होय कैंसर के कतको मामला के बारे मं बताहीं? ये सवाल के जुवाब मं वो ह कहिथें, उही त समझ मं नई आवत हवय.” येकरे सेती ओकर आपरेसन अब तक ले अटके हवय.

Preeti Kumari: it’s been over a year since she discovered the growth in her breast, but she has not returned to the hospital
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प्रीति कुमारी : छाती मं गांठ होय के पता लगे बछर भर ले जियादा बखत हो चुके हवय फेर वो ह दुबारा अस्पताल नई गीस

साल 2019 मं भूविज्ञान मं बीएससी करेइय्या प्रीति सेती, गांठ होय के पता लगे के बाद के बखत ह अकेलापन ले भारी भर दे हवय. नवंबर, 2016 मं ओकर ददा ले आखिरी पड़ाव के किडनी के कैंसर हो गे रहिस, जेकर कुछु महिना बीते वो ह गुजर गे. दिल के बीमारी ले जुरे सरी सुविधा वाले अस्पताल मं साल 2013 ले चलत इलाज के बाद घलो, बीते जनवरी मं दिल के दऊरा परे ले ओकर दाई गुजर गे रहिस. दूनो अपन उमर के 50 वें दसक मं रहिन. प्रीति कहिथें, “मंय बिल्कुले अकेल्ला पर गे हवंव. गर मोर दाई जियंत रतिस त मोर दिक्कत ला समझतिस.”

ओकर दाई के गुजरे के ठीक पहिली, नई दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) के जाँच मं खुलासा होय रहिस के ओकर परिवार मं कैंसर के मामला मन के कारन ओकर घर के पानी ले जुरे हो सकथे. प्रीति कहिथे, “उहाँ के डॉक्टर मन दाई के दिमागी तनाव के बारे मं पूछे रहिन. जब हमन वो मन ला अपन परिवार मं होय मऊत के बारे मं बतायेन, त वो मन ये बारे मं कतको सवाल करिन के हमन कइसने पानी पिथन. कुछेक बछर ले अइसने होवत हवय के हमर बोरिंग ले निकरे पानी, आधा घंटा मं पिंयर हो जाथे.”

कतको रपट के मुताबिक बिहार, भारत के तऊन सात राज मन ले एक आय जिहां भूजल मं आर्सेनिक अतक जियादा मिले हवय के वो हा खतरा के निसान ला पार कर चुके हवय. बिहार ला छोड़ दीगर छे राज मं असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, अऊ पश्चिम बंगाल हवंय. बिहार मं, प्रीति के जिला सारण समेत 18 जिला के 57 ब्लाक मं केंद्रीय भूजल बोर्ड ह भूजल मं आर्सेनिक के भारी मात्रा पाय रहिस, जऊन ह एक लीटर मं 0.05 मिलीग्राम ले जियादा रहिस. ये मात्रा 10 माइक्रोग्राम ले जियादा नई होय ला चाही. टास्क फ़ोर्स अऊ राज सरकार के एजेंसी मन के  सार बात के अधार ले साल 2010 मं ये दूनो रपट तियार करे गे रहिन.

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प्रीति सिरिफ 2 धन 3 बछर के रहिस, जब ओकर सबले बड़े दीदी गुजर के रहिस. वो ह कहिथे, “ओकर पेट ह हरेक टेम भारी पिरावत रहय.ददा ह वोला कतको दवाखाना मं ले के गीस, फेर वोला बचाय नई सकिस.” वो बखत ले दाई ह बनेच तनाव मं रहे लगिस.

ओकर बाद कका के साल 2009 मं अऊ काकी के साल 20 12 मं मऊत हो गे. वो सब्बो एके संग बड़े अकन घर मं रहत रहिन. दूनो ला ब्लड कैंसर होय रहिस, अऊ डॉक्टर मन बताय रहिन के वो मन इलाज करवाय ला बनेच ढेरिया दीन.

साल 2013 मं, उही कका के बेटा अऊ प्रीति के 36 बछर के चचेरा भाई के घलो मऊत हो गे, जेकर वैशाली ज़िला ले लगे हाजीपुर मं इलाज चलत रहिस.वोला घलो ब्लड कैंसर रहिस.

बछरों-बछर बीमारी अऊ मऊत के सामना करे ले बिखराय परिवार के जिम्मेवारी के बोझा ला प्रीति ह धर लीस. वो ह कहिथे, “जब मंय कच्छा 10 मं रहेंव, तब मोला लंबा समे तक ले घर ला सम्भाले ला परत रहिस, काबर के मोर दाई अऊ ओकर बाद मोर ददा, दूनो बीमार हो गे रहिन. एक अइसने बखत आइस, जब हरेक बछर ककरो न ककरो के परान चले गीस. धन कऊनो भारी बीमार पर जावत रहिस.”

Coping with cancer in Bihar's Saran district
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बिहार के सारण जिला मं कैंसर ले निबटे के कोसिस चलत हवय

फेर काय दूल्हा के घरवाला मन ला गांठ, अवेइय्या आपरेसन, अऊ परिवार मं होय कैंसर के कतको मामला के बारे मं बताहीं? ये सवाल के जुवाब मं वो ह कहिथें, ‘उही त समझ मं नई आवत हवय’ येकरे सेती ओकर आपरेसन अब तक ले अटके हवय

एक बड़े अऊ संयुक्त ज़मींदार परिवार के रसोई संभालत ओकर पढ़ई छुट गे. जब ओकर दू भाई मन ले एक झिन के बिहाव होइस, त ओकर घरवाली के आ जाय ले प्रीति ला रांधे, सफाई करे, अऊ बिमरहा मन के देखभाल करे के बूता ह थोकन हरू होईस. परिवार के दिक्कत तब अऊ बढ़गे, जब ओकर चचेरा भाई के घरवाली ला सांप ह काट लिस अऊ वो ह करीबन मरते-मरत बांचिस. येकर बाद, साल 2019 मं खेत मं होय एक ठन अलहन मं प्रीति के एक भाई के आंखी मं भारी चोट लग गे अऊ वोकर कुछेक महिना तक ले सरलग देखभाल करे ला परिस.

अपन दाई-ददा के गुजरे के बाद, प्रीति भारी निरास होय लगिस. वो ह कहिथे, "मायूसी थी...बहुत टेंशन था तब.” जब ओकर मन ह बने होय ला धरिस, त वोला अपन गांठ के पता चलिस.

गाँव के दीगर लोगन मन जइसने, ये परिवार घलो बोरिंग के पानी ला बिन छाने धन उबाले बऊरत रहिस. करीबन 120-150 फीट गहिर, 20 बछर जुन्ना ये बोरिंग, वो मन के जरूरत के पानी के जरिया रहे हवय – साफ-सफई, नहाय, पिये, रांधे बर. प्रीति कहिथे, “ददा के गुजरे के बाद, हमन पिये अऊ रांधे सेती आरओ फिल्टर के पानी बऊरत हवन.” तब तक ले कतको अध्ययन ले ये बात उजागर हो चुके रहिस के भूजल मं मिले आर्सेनिक ह जहर जइसने काम करत हवय, अऊ जिला के लोगन मन ला ये प्रदूसन अऊ एकर खतरा के बारे मं पता चले सुरु हो गे रहिस. आरओ प्यूरिफ़िकेशन सिस्टम, बेर के बेर रखरखाव के संग, पीये के पानी ले आर्सेनिक ला छाने मं कुछू हद तक ले सफल रहे हवय.

विश्व स्वास्थ्य संगठन, साल 1958 के सुरु ले ये डहर आरो करत रहे हवय के आर्सेनिक वाले गन्दा पानी के लंबा बखत तक ले बऊरे ले पानी मं जहर के मात्रा धन आर्सेनिकोसिस होते, जेकर ले चमड़ी, पेसाब थैली, किडनी धन फेफड़ा के कैंसर होय के खतरा रहिथे; अऊ संगे संग चमड़ी मं धब्बा जइसने बीमारी, हथेली अऊ तलुवा मं कड़ा दाग बने ले चमड़ी के कतको बीमारी के खतरा बने रहिथे. डब्ल्यूएचओ ह ये डहर घलो आरो करे हवय के गंदा पानी बऊरे ले सक्कर, ब्लड प्रेशर, अऊ जनम करे के जुरे कतको दिक्कत घलो झेले ला पर सकत हवय.

2017 अऊ 2019 के मंझा मं पटना के एक निजी चैरिटेबल ट्रस्ट, महावीर कैंसर संस्थान अऊ रिसर्च सेंटर ह अपन ओपीडी मं बगेर कऊनो क्रम धन नियम, धन अधार ले चुने 2,000 कैंसर मरीज के खून के नमूना लिस, अऊ पाइस के कार्सिनोमा मरिज मन के खून मं एसेनिक के स्तर जियादा रहिस. एक भू-स्थानिक मैप ले उजागर होथे के गंगा पार के मैदानी इलाका मं कैंसर के प्रकार अऊ जनसांख्यिकी के संग, खून मं आर्सेनिक के मात्रा के मामला के सीधा संबंध हवय.

ये शोध मं कतको शोध-पत्र के सह-लेखक अऊ संस्थान के एक झिन वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार कहिथें, “खून मं आर्सेनिक के जियादा मात्रा वाले अधिकतर कैंसर मरीज, गंगा नदी के तीर के जिला [ये मं सारण घलो शामिल हवय] के रहिन, वो मन के खून मं आर्सेनिक के बढ़े मात्रा ले सीधा पता चलथे के आर्सेनिक, कैंसर के साधन बनत हवय, खास करके कार्सिनोमा के.”

'Even if I leave for a few days, people will know, it’s a small village. If I go away to Patna for surgery, even for a few days, everybody is going to find out'

'गर मंय कुछेक दिन सेती इहाँ ले चले जावंव, तब ले घलो लोगन मन ला पता चल जाही, ये हा नान अकन गाँव आय. गर आपरेसन सेती कुछेक दिन बर पटना घलो चले जाथों, त सबला पता चल जाही’

ये अध्ययन के जनवरी 2021 के रिपोर्ट के मुताबिक, हमर संस्था ह साल 2019 मं 15,000 ले जियादा कैंसर के मामला दरज करे रहिस. महामारी विज्ञान के आंकड़ा ले पता चलथे के रपट के अधिकतर कैंसर मामला तऊन सहर धन कस्बा ले आय रहिन जऊन मन गंगा के तीर बसे हवंय. कैंसर के सबले जियादा मामला बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, मुंगेर, बेगूसराय, भागलपुर ज़िला मन मं मिले रहिन."

एक डहर जिहां सारण जिला के अपन गाँव मं रहेइय्या प्रीति के परिवार ह, घर के मरद अऊ माइलोगन, दूनो ला कैंसर सेती गंवाय हवय, उहिंचे दूसर डहर अब प्रीति ला डॉक्टर (ऑन्कोलॉजिस्ट) करा जाय मं कतको दिक्कत झेले ला पर सकत हवय. कैंसर ला समाज मं कलंक जइसने देखे जाथे, खासकर के नोनी मन के मामला मं, जइसने के प्रीति के एक झिन भाई कहिथे, “गांव के लोगन मन बात बनाथें... परिवार ला चेत होय के रहे ला परही.”

प्रीति कहिथे, 'गर मंय कुछेक दिन सेती इहाँ ले चले जावंव, तब ले घलो लोगन मन ला पता चल जाही, ये हा नान अकन गाँव आय.गर आपरेसन सेती कुछेक दिन बर पटना घलो चले जाथों, त सबला पता चल जाही. काश, हमन ला सुरु ले पता रहिस के पानी मं कैंसर हवय ’

वो ला आस हवय के वोला मयारू घरवाला मिल जाही अऊ ये बात ला ले के घलो संसो करत हवय के ये गांठ ओकर खुसी मं आर काटे सकत हवय.

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"काय वो ह अपन दुदु पियाय सकहिं ?”

रमुनी देवी यादव के मन मं ये सवाल किंदरत हवय, जब वो ह करीबन 20 बछर के एक झिन माई लोगन ला देखत हवय, जेकर बिहाव सिरिफ छे महिना पहिले होय रहिस अऊ वो ह पटना के एक ठन अस्पताल के वार्ड मं ओकर बिस्तरा ले कुछेक दुरिहा सुते हवय. वो ह 2015 के धुपकल्ला रहिस. 58 बछर के रमुनी देवी पूछथें, कम से कम मोर दुद के आपरेसन बनेच उमर बीते बाद होय रतिस.मोर चरों बेटा के जवान होय के बनेच बखत बाद मोला छाती के कैंसर होईस, फेर जवान नोनी मन ला ये ह कइसने हो जावत हवय?

प्रीति के गांव ले करीबन 46 कोस दुरिहा बक्सर जिला के सिमरी ब्लाक के बड़का राजपुर गाँव मं, रमुनी यादव तीर करीबन 50 बीघा (करीबन 17 एकड़) जमीन हवय अऊ वो ह उहाँ के राजनीती मं दमखम रखथें. दुद मं कैंसर ला हराय के छे बछर बाद, रमुनी देवी ह राजपुर कलां पंचइत (जऊन मं ओकर गांव आथे) के मुखिया पद के चुनाव लादे ला सोंचे हवंय. गर कोरोना सेती होय देरी के बाद ये बछर के आखिर मं चुनाव होईस त.

Ramuni Devi Yadav: 'When a mother gets cancer, every single thing [at home] is affected, nor just the mother’s health'
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रमुनी देवि यादव: ‘जब एक महतारी ला कैंसर होथे त ओकर असर सिरिफ तऊन महतारी के सेहत ऊपर नइच फेर हर चीज (घर) मं परथे’

रमुनी सिरिफ भोजपुरी कहिथें, फेर ओकर बेटा अऊ घरवाला उमाशंकर यादव ओकर सेती दुभासिया के काम कर देथें. उमाशंकर के कहना आय के बड़का राजपुर गांव मं कैंसर के बनेच अकन ममला हवंय. केंद्रीय भूजल बोर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक़, जऊन 18 जिला के 57 ब्लाक के भूजल मं आर्सेनिक के मात्रा बनेच जियादा हवय, वो मं बक्सर जिला घलो सामिल हवय.

अपन खेत के चरों डहर घूमत, जिहां ये सीजन मं मालदा आमा अऊ कटहर लड़े हवंय. रमुनी कहिथें के आखिर आपरेसन होय तक अऊ रेडिएशन इलाज सुरु होय तक, ओकर घर के मन वोला पता नई चले दीन के ओकर हालत कतक खराब रहिस.

वो ह उत्तर प्रदेश के बनारस जिला मं होय पहिले आपरेसन, जऊन ह सफल नई होय रहिस ला सुरता करत कहिथें, “सुरु मं, हमन ला पताइच नई रहिस के ये काय आय अऊ जागरूकता के कमी सेती बनेच हलाकान होय ला परिस.” बनारस मं यादव परिवार के रिस्तेदारी रहिस. पहिली आपरेसन मं गांठ ला हेर दे गे रहिस, फेर वो ह फिर ले पनपे लगिस अऊ दिन ब दिन बढ़त जावत रहिस, जेकर ले भारी पीरावय. उही बछर, 2014 मं बनारस के उही अस्पताल मं फिर गीन अऊ दुबारा आपरेसन करे गीस.

उमाशंकर कहिथें, “फेर हमन जब गाँव के डॉक्टर करा पट्टी बदलवाय गेन, त वो ह कहिस के ये घाव खतरनाक लगत हवय.” यादव परिवार ह दू अऊ अस्पताल गीन, फिर 2015 मं कऊनो ह वो मन ला पटना के महावीर कैंसर संस्थान जाय ला कहिस.

रमुनी कहिथें के महिनो तक ले अस्पताल के चक्कर मारे अऊ गांव ले घेरी-बेरी बहिर जाय ले वो मन के परिवार ह भारी छितिर-भीतिर हो गीस. वो ह कहिथे, जब एक महतारी ला कैंसर होथे त ओकर असर सिरिफ तऊन महतारी के सेहत ऊपर नइच फेर हर चीज (घर) मं परथे. वो बखत मोर सिरिफ एकेच बहूरिया रहिस, अऊ वो ह भारी मुस्किल ले घर सम्भाले सकत रहिस, बाकी तीनों बेटा के बिहाव बाद मं होइस.”

ओकर बेटा मन घलो चमड़ी के बीमारी हो गे रहिस, जेकर सेती वो अब बोरिंग के गन्दा पानी ला जिम्मेवार मानथें. ओकर घर मं 100-150 फीट के गहिर बोरिंग करीबन 25 बछर जुन्ना आय. रमुनी के कीमोथेरेपी, सर्जरी, अऊ रेडिएशन थेरेपी होय सेती, घर मं हमेसा भागम भाग के हालत रहय. ओकर एक बेटा अपन सीमा सुरक्षा बल के तइनाती सेती बक्सर आवत-जावत रहय. ओकर एक अऊ बेटा, बगल के गाँव मं टीचर रहिस, जऊन ला करत ओकर दिन के जियादा बखत उहीं बीत जाय, घर के लोगन मन ला खेती सम्भाले ला परय.

रमुनी कहिथें, “मोर आखिरी आपरेसन के बाद, मंय ये नव बिहाये माईलोगन ला अस्पताल के अपन वार्ड मं देखंय. मंय ओकर तीर गेंय, वो ला अपन चिन्हा देखायेंव अऊ कहेंव के चिंता के बात नई ये. वो ला घलो छाती के कैंसर रहिस, अऊ मोला ये देख के भारी उछाह होइस के ओकर घरवाला भारी बढ़िया देखभाल करत रहिस; फेर, ओकर बिहाव ला बस कुछेक महिनाच होय रहिस. डॉक्टर ह बाद मं हमन ला बताइस के वो लइका ला दुदु पियाय सकही. मोला ये सुनके भारी खुसी लागिस.”

Ramuni Devi and Umashankar Yadav at the filtration plant on their farmland; shops selling RO-purified water have also sprung up
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रमुनी देवी अऊ उमाशंकर यादव अपन खेत मं लगे फिल्ट्रेशन प्लांट मं, आरओ के पानी बेचेइय्या दुकान घलो खुले ला लगे हवंय

ओकर बेटा शिवजीत के कहना आय के बड़का राजपुर मं भूजल बनेच जियादा गंदा हवय. वो ह कहिथें, “हमन ला सेहत अऊ पानी के संबंध के गम तब तक ले नई होईस जब तक ले हमर दाई बनेच बीमार नई परिस. फेर इहाँ के पानी के रंग अजीब हवय. साल 2007 धन ओकर आसपास तक ले सब्बो कुछु ठीक रहिस, फेर ओकर बाद हमन देखेन के पानी के रंग पियंर होवत जावत हवय. अब हमन भूजल के पानी सिरिफ नहाय धोय सेती बऊरथन.”

रांधे अऊ पिये सेती, वो मन कुछेक संगठन मन के डहर ले दान मं मिले एक ठन फ़िल्ट्रेशन प्लांट के पानी बऊरथें. येकर पानी ला करीबन 250 परिवार मन घलो बऊरथें, फेर येला सितंबर 2020 मं (यादव परिवार के ज़मीन मं) लगाय गीस, फेर कतको रपट मन मं बताय गे हवय के इहाँ के भूजल कम से कम साल 1999 लेइच गंदा रहिस.

फ़िल्ट्रेशन प्लांट बनेच जियादा काम के साबित नई होय हवय. गांव के लोगन मन के कहना हवय के धूपकल्ला मं येकर पानी भारी गरम हो जाथे. शिवजीत कहिथें, दुकान मन मं 20-30 रूपिया मं, 20 लीटर के प्लास्टिक जार मं आरओ के पानी बेंचे के चलन घलो तीर-तखार के गांव मं भारी बढ़े हवय, फेर कऊनो नई जानय के ये पानी मं आर्सेनिक हवय धन नई.

अध्ययन ले पता चलथे के उत्तरी अऊ पूर्वी भारत मं नंदिया तीर मं बसे अधिकतर आर्सेनिक के असर वाले मैदानी इलाका मन ले गुजरेइय्या नंदिया मन हिमालय ले निकरथें. गंगा के पार बने इलाका मन मं जहरीला प्रदूसन के पाछू भू-गर्भीय कारन मन हवंय. उथला जगा मं ऑक्सीकरन सेती आर्सेनोपाइराइट जइसने खनिज ले आर्सेनिक निकरथे. अध्ययन के मुताबिक, खेती सेती भूजल जियादा बऊरे सेती जलस्तर कम होय ह कुछेक गांव के प्रदूसन ले जुरे हो सकत हवय, ये कतको दीगर कारन डहर घलो आरो करथें.

येकर पहिली, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ले जुरे एसके आचार्य अऊ दीगर विशेषज्ञ मन साल 1999 मं नेचर मैगज़ीन मं छपे एक ठन लेख मं लिखे रहिन, “हमर हिसाब ले तलछटी आर्सेनिक के कतको अऊ संभावित जरिया हवंय, जऊन मं राजमहल बेसिन मं गोंडवाना कोयला के परत मन [प्रति मिलियन मं आर्सेनिक के 200 पार्ट्स (पीपीएम), दार्जिलिंग के हिमालय शृंखला मन मं सल्फ़ाइड के चट्टान (ये मं 0.8 तक ले आर्सेनिक होथे), अऊ गंगा के उद्गम जगा के तीर के दीगर स्त्रोत सामिल हवंय.”

अध्ययन ले पता चलथे के उथला अऊ बनेच गहिर चूंवा के पानी मं आर्सेनिक कम मिलथे, फेर 80 ले 200 फीट गहिर तक के स्रोत मन मं प्रदूसन देखे गे हवय. डॉ कुमार के कहना हवय के ये बत गांव के लोगन मन के आनुभव ले साफ जुरथे. जिहां ओकर संस्थान बड़े स्तर मं अध्ययन सेती पानी के नमूना के जाँच परख करत रहिथे. बरसात के पानी अऊ उथला–गहिर खुदवाय चूंवा मन के पानी मं आर्सेनिक कम धन बिल्कुले घलो प्रदूसित नई होवय, फेर धूपकल्ला मं कतको घर के बोरिंग के पानी के रंग फीका परे लागथे अऊ बदल जाथे.

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Kiran Devi, who lost her husband in 2016, has hardened and discoloured spots on her palms, a sign of arsenic poisoning. 'I know it’s the water...' she says
PHOTO • Kavitha Iyer
Kiran Devi, who lost her husband in 2016, has hardened and discoloured spots on her palms, a sign of arsenic poisoning. 'I know it’s the water...' she says
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किरण देवी के घरवाला 2016 मं गुजर गे. ओकर हथेली मन मं कड़ा अऊ फीका रंग के जगा बन गे हवंय, जऊन ह पानी मं आर्सेनिक डहर आरो करथें. वो ह कहिथें, ‘मोला पता हवय के ये पानी के सेती हवय...’

बक्सर ज़िला के बड़का राजपुर ले करीबन एक कोस भंडार दिग मं 340 घर के गांव बसे हवय, तिलक राय का हट्टा. इहां के अधिकतर परिवार मन करा जमीन नई ये. इहाँ कुछेक के घर के बहिर लगे बोरिंग मं भारी गंदा पानी आथे.

महावीर कैंसर संस्थान के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. कुमार कहिथें, साल 2013-14 मं, संस्थान के एक अध्ययन मं ये गांव के भूजल मं आर्सेनिक के जियादा मात्रा मिले रहिस खासकरके तिलक राय का हट्टा के बुड़ती इलाका मन मं. गांव के लोगन मन मं आर्सेनिकोसिस के समान्य लच्छन “बनेच अकन” मिले रहिस: 28 फीसदी के हथेली मन मं अऊ तलवा मं हाइपरकेराटोसिस (घाव) रहिस, 31 फीसदी ला चमड़ी मं दाग-धब्बा रहिस, 57 फीसदी ला गुर्दा ले जुरे दिक्कत रहिन, 86 फीसदी ला गैस, अऊ 9 फीसदी माईलोगन मं बेबखत महवारी के दिक्कत ले जूझत रहिन.

किरण देवी के घरवाला ये गाँव के बिच्छू का डेरा के नांव ले जाने जाय, कच्चा घर मन के अलग मंडली मं रहत रहिस. वो ह बताथें, “कतको महिना तक ले पेट पीरा झेले के बाद साल 2016 मं गुजरगे.” घर के मन वो ला सिमरी अऊ बक्सर के कतको डॉक्टर मन करा लेके गीन, अऊ ओकर अलग-अलग इलाज घलो चलिस. 50 बछर ले जियादा उमर के किरण ह कहिथें, “वो मन कहिन के ये टीबी धन गुर्दा के कैंसर आय.” ओकर करा जमीन के थोकन तुकड़ा हवय, फेर ओकर घरवाला के आमदनी के जरिया रोजी मजूरी रहिस.

साल 2018 ले, किरण देवी के हथेली मन कड़ा अऊ फीका रंग के जगा बन गे हवय, जऊन ह पानी मं आर्सेनिक में मिले होय के आरो करथें. "मोला पता हवय के ये पानी के असर आय, फेर गर मंय अपन बोरिंग के पानी नई बऊरहूं, त पानी लेगे कऊन मेर जाहूं?” वो मन के बोरिंग ओकर घर के ठीक बहिर, एक ठन नानकन बारी के पार लगे हवय, जिहां एक ठन बइला जुगाली करत हवय.

वो ह कहिथे जब बरसात के महिना नई होवय, (नवंबर से मई) त पानी ह भारी खराब हो जाथे, अऊ ये ह पनियर चाहा जइसने दिखथे. वो ह कहिथे, “हमन खाय सेती मरत हवन. मंय डॉक्टर धन जाँच सेती पटना कइसे जाय सकथों?” ओकर हथेली मन भारी खजवाथें, अऊ जब वो ह सरफ ला छुथे धन कोठा ले गोबर उठाथे, त वो मं जलन घलो होथे.

रमुनी कहिथें, “माइलोगन अऊ पानी के भारी गहिर रिस्ता हवय, काबर ये दूनो के सहारा मं घर के जम्मो काम होथे. येकरे सेती, गर पानी खराब हवय, त जाहिर हे माईलोगन ऊपर येकर सबले जियादा असर परही.” उमाशंकर कहिथें के कैंसर ला समाजिक कलंक जइसने देखे जाथे, येकरे सेती बनेच अकन लोगन मन, खास करके माईलोगन मं इलाज ले हिचकथें अऊ फेर बनेच बेरा हो जाथे.

रमुनी ला छाती कैंसर होय के पता चले के तुरते बाद, गांव के आंगनबाड़ी ह पानी के किसिम ला लेके लोगन मन ला जागरूक करे के मुहिम चलाइस. रमुनी मुखिया चुने जाय ले ये डहर अऊ जियादा काम करे के योजना बनावत हवय. वो ह कहिथे, “हरेक अपन घर सेती आरओ के पानी बिसोय नई सकय अऊ सब्बो माईलोगन सुभीता ले अस्पताल नई जाय सकंय. हमन ला ये मुस्किल ला दूर करे के दूसर तरीका घलो खोजत रहिबो.”

पारी अऊ काउंटरमीडिया ट्रस्ट के तरफ ले भारत के गाँव देहात के किशोरी अऊ जवान माइलोगन मन ला धियान रखके करे ये रिपोर्टिंग ह राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट ' पापुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ' डहर ले समर्थित पहल के हिस्सा आय जेकर ले आम मइनखे के बात अऊ ओकर अनुभव ले ये महत्तम फेर कोंटा मं राख देय गेय समाज का हालत के पता लग सकय .

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अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Kavitha Iyer

कविता अय्यर, पिछले 20 सालों से पत्रकारिता कर रही हैं. उन्होंने 'लैंडस्केप्स ऑफ़ लॉस: द स्टोरी ऑफ़ ऐन इंडियन' नामक किताब भी लिखी है, जो 'हार्पर कॉलिन्स' पब्लिकेशन से साल 2021 में प्रकाशित हुई है.

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प्रियंका बोरार न्यू मीडिया की कलाकार हैं, जो अर्थ और अभिव्यक्ति के नए रूपों की खोज करने के लिए तकनीक के साथ प्रयोग कर रही हैं. वह सीखने और खेलने के लिए, अनुभवों को डिज़ाइन करती हैं. साथ ही, इंटरैक्टिव मीडिया के साथ अपना हाथ आज़माती हैं, और क़लम तथा कागज़ के पारंपरिक माध्यम के साथ भी सहज महसूस करती हैं व अपनी कला दिखाती हैं.

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Editor and Series Editor : Sharmila Joshi

शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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