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Palamu, Jharkhand

Apr 05, 2025

यहां पानी की भी जाति होती है…

झारखंड के पलामू में हर कोई गांव के हैंडपंप इस्तेमाल नहीं कर सकता है. ख़ासकर मुसहर दलितों को इन सरकारी नलों को छूने भी नहीं दिया जाता. लेकिन ये समस्या केवल पानी तक ही सीमित नहीं है. सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली राशन सुविधाओं और नौकरियों तक पहुंच भी बड़ी चुनौती है

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Author

Ashwini Kumar Shukla

अश्विनी कुमार शुक्ला, झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार हैं, और नई दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (2018-2019) से स्नातक कर चुके हैं. वह साल 2023 के पारी-एमएमएफ़ फ़ेलो हैं.

Editor

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

Translator

Pratima

प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.