दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा विस्तार के कारण कई भूमिगत पाइपलाइनों और सीवर लाइनों को उखाड़ दिया गया है. यहां रहने वाले ज़्यादातर दिहाड़ी मज़दूर हैं, जो पीने के पानी के लिए हर रोज़ 100 रुपए तक ख़र्च करने को मजबूर हैं
नित्या चौबे, दिल्ली की फ्रीलांस मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट हैं. वह महिला स्वास्थ्य, दिल्ली शहर, पर्यावरण, कला और संस्कृति से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग करती हैं.
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Editor
Kavitha Iyer
कविता अय्यर, पिछले 20 सालों से पत्रकारिता कर रही हैं. उन्होंने 'लैंडस्केप्स ऑफ़ लॉस: द स्टोरी ऑफ़ ऐन इंडियन' नामक किताब भी लिखी है, जो 'हार्पर कॉलिन्स' पब्लिकेशन से साल 2021 में प्रकाशित हुई है.
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Translator
Pratima
प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.