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Howrah, West Bengal

Dec 15, 2023

‘हम शिल्पकारों की पीठ पर चढ़कर खेला गया है पोलो’

रंजीत माल, हावड़ा ज़िले के देउलपुर के एकमात्र व्यक्ति हैं जो बांस की गांठ से पोलो गेंद बना सकते हैं. यह ऐसा हुनर है जिसकी प्रासंगिकता ख़त्म हो चुकी है, क्योंकि मशीन से बनी फ़ाइबर ग्लास गेंदों ने इनकी जगह ले ली है. मगर जिस शिल्प ने उन्हें चार दशकों तक रोज़ी-रोटी दी, उसकी याद और तजुर्बा उनके साथ अभी तक बना हुआ है

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Author

Shruti Sharma

श्रुति शर्मा, एमएमएफ़-पारी फ़ेलो (2022-23) हैं. वह कोलकाता के सामाजिक विज्ञान अध्ययन केंद्र से भारत में खेलकूद के सामान के विनिर्माण के सामाजिक इतिहास पर पीएचडी कर रही हैं.

Editor

Dipanjali Singh

दीपांजलि सिंह, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में सहायक संपादक हैं. वह पारी लाइब्रेरी के लिए दस्तावेज़ों का शोध करती हैं और उन्हें सहेजने का काम भी करती हैं.

Translator

Ajay Sharma

अजय शर्मा एक स्वतंत्र लेखक, संपादक, मीडिया प्रोड्यूसर और अनुवादक हैं.