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Yavatmal, Maharashtra

Jun 14, 2024

यवतमाल में आजीविका के चलते भाषा से टूटता नाता

महाराष्ट्र के इस ज़िले में कपास की खेती करने वाले कोलाम आदिवासियों की भाषा विलुप्त होने के क़गार पर है. पारी का विलुप्तप्राय भाषा प्रोजेक्ट (ईएलपी) विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समुदायों (पीवीटीजी) के जीवन, उनकी आजीविका और उनकी भाषा पर मंडरा रहे ख़तरों पर बारीक नज़र डालता है

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Author

Ritu Sharma

ऋतु शर्मा, पारी की लुप्तप्राय भाषाओं की संपादक हैं. उन्होंने भाषा विज्ञान में परास्नातक की पढ़ाई है, और भारत में बोली जाने वाली भाषाओं को संरक्षित और पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्यरत हैं.

Editor

Sanviti Iyer

संविति अय्यर, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर कंटेंट कोऑर्डिनेटर कार्यरत हैं. वह छात्रों के साथ भी काम करती हैं, और ग्रामीण भारत की समस्याओं को दर्ज करने में उनकी मदद करती हैं.

Editor

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

Translator

Devesh

देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.