पारी ने कच्छ महिला विकास संगठन (केएमवीएस) के सहयोग से कच्छ के लोकसंगीत पर आधारित यह मल्टीमीडिया संग्रह तैयार किया है. संग्रह में रिकॉर्ड किए गए 341 गीतों में प्रेम, लालसा, बिछोह, शादी, भक्ति, मातृभूमि, लैंगिक जागरूकता, लोकतांत्रिक अधिकारों की अभिव्यक्ति मिलती है, तथा बिंबों, भाषाओं और संगीत के ज़रिए इस इलाक़े की विविधता का पता चलता है. गुजरात के क़रीब 305 गायकों व संगीतकारों के एक ग़ैरपेशेवर समूह ने विभिन्न वाद्यों और संगीत-प्रारूपों के माध्यम से इस संग्रह में अपना योगदान दिया है, और कच्छ की विलुप्त होती वाचिक परंपराओं को हमारे सामने पेश करते हैं, जो किसी ज़माने में काफ़ी समृद्ध हुआ करती थी. यह काफ़ी महत्वपूर्ण हो गया है कि इनके संरक्षण के प्रयास किए जाएं, क्योंकि वे अब ढलान की ओर हैं और उनकी आवाज़ रेगिस्तानी दलदल में खोती जा रही है