kantha-more-than-just-a-running-stitch-hi

North 24 Parganas , West Bengal

Dec 09, 2025

‘कांथा कोई मामूली सिलाई का काम भर नहीं है’

पश्चिम बंगाल में कांथा हस्तकला से जुड़ी महिलाएं सुई की अपनी बारीक कारीगरी से इस शिल्प के अतीत और भविष्य की यात्राएं तय करती हैं

Student Reporter

Nikita Bose

Photo Editor

Binaifer Bharucha

Translator

Prabhat Milind

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Student Reporter

Nikita Bose

निकिता बोस अशोक विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और इतिहास की चौथे वर्ष की छात्रा हैं. वे कोलकाता, पश्चिम बंगाल से हैं और पहचान से जुड़े प्रश्नों को बातचीत, कहानियों और विवरणों के माध्यम से खोजने में रुचि रखती हैं. उन्होंने 2024 की गर्मियों में पारी में इंटर्नशिप की.

Editor

Dipanjali Singh

दीपांजलि सिंह, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं. वह पारी लाइब्रेरी के लिए दस्तावेज़ों का शोध करती हैं और उन्हें सहेजने का काम भी करती हैं.

Photo Editor

Binaifer Bharucha

बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.