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Satara, Maharashtra

Jan 18, 2024

‘अब वो कास नहीं रहा’

स्थानीय प्रजातियों की वनस्पतियों और जीव-जंतुओं से भरे-पूरे पश्चिमी घाट का कास पठार लगभग 1,600 हेक्टेयर में फैला भूभाग है, जो प्राकृतिक-सौन्दर्य की दृष्टि से अप्रतिम है, लेकिन पर्यटकों की अनियंत्रित भीड़ के कारण इसकी अत्यंत नाज़ुक पारिस्थितिकी पर गंभीर ख़तरे मंडराने लगे हैं

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Author

Jyoti

ज्योति, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया की सीनियर रिपोर्टर हैं; वह पहले ‘मी मराठी’ और ‘महाराष्ट्र1’ जैसे न्यूज़ चैनलों के साथ काम कर चुकी हैं.

Editor

Siddhita Sonavane

सिद्धिता सोनावने एक पत्रकार हैं और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर कंटेंट एडिटर कार्यरत हैं. उन्होंने अपनी मास्टर्स डिग्री साल 2022 में मुम्बई के एसएनडीटी विश्वविद्यालय से पूरी की थी, और अब वहां अंग्रेज़ी विभाग की विज़िटिंग फैकल्टी हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.