भारत में बैडमिंटन की शटलकॉक 1920 के दशक से ही हावड़ा ज़िले के कारीगर बनाते आ रहे हैं. मगर अब सरकारी सहयोग की कमी, कड़ी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और सिंथेटिक शटल की शुरुआत के चलते इस हुनर का भविष्य अधर में लटक गया है
श्रुति शर्मा, एमएमएफ़-पारी फ़ेलो (2022-23) हैं. वह कोलकाता के सामाजिक विज्ञान अध्ययन केंद्र से भारत में खेलकूद के सामान के विनिर्माण के सामाजिक इतिहास पर पीएचडी कर रही हैं.
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Editor
Sarbajaya Bhattacharya
सर्वजया भट्टाचार्य, पारी के लिए बतौर सीनियर असिस्टेंट एडिटर काम करती हैं. वह एक अनुभवी बांग्ला अनुवादक हैं. कोलकाता की रहने वाली सर्वजया शहर के इतिहास और यात्रा साहित्य में दिलचस्पी रखती हैं.
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Translator
Ajay Sharma
अजय शर्मा एक स्वतंत्र लेखक, संपादक, मीडिया प्रोड्यूसर और अनुवादक हैं.