बदलते दौर में अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ते पंजाब के ठठेरे
धातुओं का काम करने वाले ठठेरा समुदाय के शिल्पकार लगभग सभी प्रकार के अलौह बर्तनों की मरम्मत करते हैं. इसके लिए वे केवल हाथ के औज़ारों का उपयोग करते हैं, लेकिन रसोईघरों में स्टील के बने बर्तनों की बढ़ती लोकप्रियता ने इस कारीगरी को गंभीर चुनौतियां दी हैं, जिसके कारण इनकी मांग में लगातार गिरावट आई है
अर्शदीप अर्शी, चंडीगढ़ की स्वतंत्र पत्रकार व अनुवादक हैं, और न्यूज़ 18 व हिन्दुस्तान टाइम्स के लिए काम कर चुकी हैं. उन्होंने पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.फ़िल किया है.
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Editor
Shaoni Sarkar
शावनी सरकार, कोलकाता की स्वतंत्र पत्रकार हैं.
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Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.