नागालैंड: मुश्किलों की डोरी से ज़िंदगी की चादर बुनतीं महिला बुनकर
चखेसांग जनजाति की महिलाओं के बीच बुनाई एक पारंपरिक व्यवसाय है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होता रहा है. लेकिन महिलाएं बताती हैं कि उन्हें मज़दूरी बेहद कम मिलती है और मशीन से बने उत्पादों से भी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है
मोआ जामिर (मोआलेम्बा) द मोरंग एक्सप्रेस में असोसिएट एडिटर हैं. वह पत्रकारिता में 10 साल से ज़्यादा का अनुभव रखते हैं और उनकी दिलचस्पी हुकूमत और सार्वजनिक नीति, लोकप्रिय संस्कृति और पर्यावरण जैसे विषयों में रहती है. वह साल 2023 के पारी-एमएमएफ़ फ़ेलो हैं.
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Editor
Sarbajaya Bhattacharya
सर्वजया भट्टाचार्य, पारी के लिए बतौर सीनियर असिस्टेंट एडिटर काम करती हैं. वह एक अनुभवी बांग्ला अनुवादक हैं. कोलकाता की रहने वाली सर्वजया शहर के इतिहास और यात्रा साहित्य में दिलचस्पी रखती हैं.
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Translator
Devesh
देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.