in-manipur-ashes-and-dust-hi

Churachandpur, Manipur

Aug 21, 2023

मणिपुर: राख हो चुकी उम्मीदें, धुआं हो चुकी ज़िंदगी

कुकी और मैतेई दोनों समुदायों के लोग राहत शिविरों में अपने दिन काट रहे हैं. जघन्य हत्याओं की स्मृतियां उनके दिमाग़ में अब तक ताज़ा हैं. अपने भविष्य को लेकर उनके मन में चिंताएं और अनिश्चितताएं हैं

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Author

Parth M.N.

पार्थ एम एन, साल 2017 के पारी फ़ेलो हैं और एक स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर विविध न्यूज़ वेबसाइटों के लिए रिपोर्टिंग करते हैं. उन्हें क्रिकेट खेलना और घूमना पसंद है.

Editor

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.