धनगर चरवाहों द्वारा उपयोग किया जाने वाले एक पारंपरिक स्लिंग बैग (कंधे पर टांगा जाने वाला झोला, जिसे स्थानीय लोग जाली कहते हैं) को बनाने में लगभग 300 फीट सूती धागे और 60 घंटे से अधिक का समय लगता है. हाथ से तैयार किए जाने वाले इस सममितीय झोले को बनाने की कला को कर्नाटक में जीवित रखने की ज़िम्मेदारी अब सिद्दू गावड़े जैसे गिनती के चरवाहों के ऊपर है
संकेत जैन, महाराष्ट्र के कोल्हापुर में रहने वाले पत्रकार हैं. वह पारी के साल 2022 के सीनियर फेलो हैं, और पूर्व में साल 2019 के फेलो रह चुके हैं.
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Binaifer Bharucha
बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.
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प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.