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Udalguri, Assam

Jul 04, 2024

असम: ख़तरे में पड़ गई है गमछा बुनकरों की आजीविका

हथकरघा के कपड़ों का असमिया विरासत और संस्कृति में काफ़ी महत्व रहा है, और पटनी देउरी जैसी महिलाएं त्यौहार के समय मांग बढ़ने पर जमकर बुनाई करती हैं. लेकिन उचित मज़दूरी न मिलने और ऋण तक सीमित पहुंच के चलते इस आजीविका पर ख़तरा मंडराने लगा है

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Devesh

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Author

Mahibul Hoque

महीबुल हक़, असम के एक मल्टीमीडिया पत्रकार और शोधकर्ता हैं. वह साल 2023 के पारी-एमएमएफ़ फ़ेलो हैं.

Editor

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

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Devesh

देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.