सतपति-जब-मछलियां-ही-नहीं-हैं-तो-बेचूं-क्या

Palghar, Maharashtra

Oct 16, 2021

सतपति: 'जब मछलियां ही नहीं हैं, तो बेचूं क्या?'

अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर, महाराष्ट्र के सतपति गांव से आई ये स्टोरी हमें बताती है कि मछलियां पकड़ने के व्यापार में आई गिरावट और नावों की अनुपलब्धता के चलते किस तरह से वहां की मछुआरा औरतें कड़ा संघर्ष कर रही हैं और दूसरे उद्योग-धंधों में काम की तलाश कर रही हैं

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Author

Ishita Patil

इशिता पाटिल, बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज़ में रिसर्च एसोसिएट हैं.

Author

Nitya Rao

नित्या राव, यूके के नॉर्विच में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट एंग्लिया में जेंडर ऐंड डेवेलपमेंट की प्रोफ़ेसर हैं. वह महिलाओं के अधिकारों, रोज़गार, और शिक्षा के क्षेत्र में शोधकर्ता, शिक्षक, और एक्टिविस्ट के तौर पर तीन दशकों से अधिक समय से बड़े पैमाने पर काम करती रही हैं.

Translator

Pratima

प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.