दो साल पहले, 19 अप्रैल 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि गोडावण पक्षियों के प्राकृतिक आवास से गुज़रने वाले हाईटेंशन तारों को भूमिगत कर दिया जाए, ताकि वे पृथ्वी पर अपने अकेले बचे घर में सुरक्षित रह सकें. लेकिन, इस निर्देश के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई. मार्च 2023 में हुई विलुप्तप्राय गोडावण की मौत इन मासूम पक्षियों की निरंतर होती मृत्यु की अगली कड़ी है
प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.
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Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.
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Urja
ऊर्जा, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में 'सीनियर असिस्टेंट एडिटर - वीडियो' के तौर पर काम करती हैं. डाक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकर के रूप में वह शिल्पकलाओं, आजीविका और पर्यावरण से जुड़े मसलों पर काम करने में दिलचस्पी रखती हैं. वह पारी की सोशल मीडिया टीम के साथ भी काम करती हैं.
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Radheshyam Bishnoi
राधेश्याम बिश्नोई राजस्थान की पोकरण तहसील ढोलिया में स्थित एक वन्यजीव फोटोग्राफर और प्रकृतिवादी हैं. वह ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और क्षेत्र में पाए जाने वाले अन्य पक्षियों और जानवरों के लिए ट्रैकिंग और अवैध शिकार के संरक्षण के प्रयासों में शामिल है.
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P. Sainath
पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.