विशिष्ट-दृष्टि-से-बनी-टोकरी

Mamit, Mizoram

Feb 04, 2020

विशिष्ट दृष्टि से बनी टोकरी

मिज़ोरम के राजीव नगर के एक दृष्टिहीन शिल्पकार, देबहाल, स्मरण और स्पर्श से पिछले 50 सालों से आजीविका के लिए जटिल टोकरियां बना रहे हैं, और कहते हैं कि वह अभी बांस का भी घर बना सकते हैं

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Author

Lokesh Chakma

लोकेश चकमा मिज़ोरम के एक डॉक्युमेंट्री फिल्म निर्माता और द 1947 पार्टिशन आर्काइव के फ़ील्ड ऑफ़िसर हैं। उनके पास विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन से पत्रकारिता और जनसंचार की डिग्री है, और वह 2016 में पारी के इनटर्न थे।

Translator

Vasundhra Mankotia

वसुंधरा मनकोटिया ने हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय से जर्नलिज़्म और मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. प्रिंट मीडिया में तीन साल तक सब-एडिटर की भूमिका में काम करने के बाद, वह अब बतौर फ़्रीलांस पत्रकार काम कर रही हैं.