आंगनवाड़ी की नौकरी, घरेलू काम, पानी लाना, जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करना, खेत का काम, फल इकट्ठा करना – और भी बहुत कुछ। फलोदे गांव की लीलाबाई मेमाने ‘कामकाजी महिला’ और ‘बहु-आयामी कार्य’ को फिर से परिभाषित कर रही हैं
मिनाज लत्कर एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, पुणे से जेंडर स्टडीज़ में एमए कर रही हैं। यह लेख पारी के एक प्रशिक्षु (इंटर्न) के रूप में उनके काम का हिस्सा है।
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Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।