मैं-वही-बनूंगी-जो-मैं-बनना-चाहती-हूं

Buldana, Maharashtra

Nov 27, 2020

‘मैं वही बनूंगी जो मैं बनना चाहती हूं’

नाथजोगी ख़ानाबदोश समुदाय में, आज तक कोई भी लड़की कक्षा 10 पास नहीं कर पाई है। लेकिन अपने धुन की पक्की, महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले की जमुना सोलंके ने इस बेड़ी को तोड़ दिया है। पेश है उसकी यह कहानी

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Author

Jamuna Solanke

जमुना सोलंके महाराष्ट्र की जलगांव जमोद तहसील में दी न्यू एरा हाई स्कूल में कक्षा 11 की छात्रा हैं। वह राज्य के बुलढाणा जिले के नव ख गांव में रहती हैं।

Translator

Neha Kulshreshtha

नेहा कुलश्रेष्ठ, जर्मनी के गॉटिंगन विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स) में पीएचडी कर रही हैं. उनके शोध का विषय है भारतीय सांकेतिक भाषा, जो भारत के बधिर समुदाय की भाषा है. उन्होंने साल 2016-2017 में पीपल्स लिंग्विस्टिक्स सर्वे ऑफ़ इंडिया के द्वारा निकाली गई किताबों की शृंखला में से एक, भारत की सांकेतिक भाषा(एं) का अंग्रेज़ी से हिंदी में सह-अनुवाद भी किया है.