मैं-दशकों-से-इस-नरक-में-घुस-रहा-हूं

Coimbatore, Tamil Nadu

Jan 15, 2019

‘मैं दशकों से इस नरक में घुस रहा हूं’

मणि अपने काम और जाति का दंश सहते हुए, लगभग 30 वर्षों से सीवर की सफ़ाई कर रहे हैं. और जब भी वह नंगे बदन कीचड़ और मानव अपशिष्ट के अंदर डुबकी लगाते हैं, उन्हें यही चिंता रहती है कि क्या वह जीवित बाहर निकल पाएंगे

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Author

Bhasha Singh

भाषा सिंह एक स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं, और साल 2017 की पारी फ़ेलो हैं. हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर आधारित उनकी पुस्तक, ‘अदृश्य भारत', (हिंदी) पेंगुइन प्रकाशन द्वारा 2012 में प्रकाशित हुई थी (अंग्रेज़ी में 'अनसीन' नाम से साल 2014 में प्रकाशित). वह उत्तर भारत के कृषि संकट, परमाणु संयंत्रों से जुड़ी राजनीति और ज़मीनी हक़ीक़त, तथा जेंडर, दलितों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर पत्रकारिता करती रही हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।