मैं-एक-साथ-कितने-मोर्चों-पर-लडूं

New Delhi, Delhi

Apr 22, 2019

‘मैं एक साथ कितने मोर्चों पर लडूं?’

सितंबर 2018 में दिल्ली में एक सीवर की सफ़ाई के दौरान अनिल की मृत्यु के बाद, रानी को क़ानूनी रूप से उनकी विवाहित पत्नी न होने के कारण दुख और दंश झेलना पड़ा; अब वह उम्मीद कर रही हैं कि नालों की सफ़ाई के लिए राज्य द्वारा मशीनें मंगवाई जाएंगी

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Author

Bhasha Singh

भाषा सिंह एक स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं, और साल 2017 की पारी फ़ेलो हैं. हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर आधारित उनकी पुस्तक, ‘अदृश्य भारत', (हिंदी) पेंगुइन प्रकाशन द्वारा 2012 में प्रकाशित हुई थी (अंग्रेज़ी में 'अनसीन' नाम से साल 2014 में प्रकाशित). वह उत्तर भारत के कृषि संकट, परमाणु संयंत्रों से जुड़ी राजनीति और ज़मीनी हक़ीक़त, तथा जेंडर, दलितों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर पत्रकारिता करती रही हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।