मेलघाट-में-दाई-परंपरा-की-अंतिम-वाहक

Amravati, Maharashtra

Jan 28, 2022

मेलघाट की आख़िरी पारंपरिक प्रसाविकाएं

महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिज़र्व के आसपास की आदिवासी बस्तियों में, रोपी और चारकू जैसी पारंपरिक दाइयों ने ही दशकों से घर पर बच्चों की डिलीवरी करवाई है. लेकिन, अब दोनों बूढ़ी हो चुकी हैं और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं है

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Sharmila Joshi

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Kavitha Iyer

कविता अय्यर, पिछले 20 सालों से पत्रकारिता कर रही हैं. उन्होंने 'लैंडस्केप्स ऑफ़ लॉस: द स्टोरी ऑफ़ ऐन इंडियन' नामक किताब भी लिखी है, जो 'हार्पर कॉलिन्स' पब्लिकेशन से साल 2021 में प्रकाशित हुई है.

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प्रियंका बोरार न्यू मीडिया की कलाकार हैं, जो अर्थ और अभिव्यक्ति के नए रूपों की खोज करने के लिए तकनीक के साथ प्रयोग कर रही हैं. वह सीखने और खेलने के लिए, अनुभवों को डिज़ाइन करती हैं. साथ ही, इंटरैक्टिव मीडिया के साथ अपना हाथ आज़माती हैं, और क़लम तथा कागज़ के पारंपरिक माध्यम के साथ भी सहज महसूस करती हैं व अपनी कला दिखाती हैं.

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अमित कुमार झा एक अनुवादक हैं, और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है.

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शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.