मुझे-गांव-पसंद-है-लेकिन-यहां-कोई-जीवन-नहीं-बचा-है

Barwani, Madhya Pradesh

Feb 05, 2020

‘मुझे गांव पसंद है, लेकिन यहां कोई जीवन नहीं बचा है’

सुखलाल सुलिया, 83, किसी ज़माने में उपजाऊ रहे मध्य प्रदेश के अपने गांव की ज़िंदगी की ओर नज़र डालते हैं, जब साइकिल एक समृद्धि थी, फसलें भरपूर हुआ करती थीं और मशीनें दुर्लभ थीं। छात्रों द्वारा स्कूलों के लिए पारी की एक स्टोरी

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Author

Nia Chari and Akil Ravi

निया चारी और अकिल रवि सेंटर फॉर लर्निंग, बेंगलुरु में कक्षा 9 के 13 वर्षीय छात्र हैं।

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।