भूस्खलन की वजह से पूरे गांव की सतह एक बराबर हो जाने के हफ़्तों बाद भी महाराष्ट्र के मिरगांव के रहने वाले लोग स्थानीय स्कूल में बसेरा बनाए हुए हैं. ऐसा तीसरी बार हुआ है कि जब उन्हें स्थानांतरित होना पड़ा हो. पहली बार ऐसा कोयना डैम की वजह से हुआ था और अब आलम यह है कि वे इस तरह जगह रहने की जगह बदलते-बदलते थक-हार गए हैं
हृषिकेश पाटिल, सावंतवाड़ी स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं और क़ानून की पढ़ाई कर रहे हैं. वह हाशिए पर खड़े वंचित समुदायों पर जलवायु परिवर्तन के असर को अपनी रिपोर्टिंग में कवर करते हैं.
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Surya Prakash
सूर्य प्रकाश एक कवि और अनुवादक हैं. वह दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में पीएचडी लिख रहे हैं.