महेवा-औरतों-का-सहारा-बनते-मूंज-के-तिनके

Prayagraj, Uttar Pradesh

May 09, 2022

महेवा: औरतों का सहारा बनते मूंज के तिनके

उत्तरप्रदेश के प्रयागराज ज़िले के एक छोटे-से क़स्बे में रहने वाली फ़ातिमा बीबी और आयशा बेगम, मूंज कला के ज़रिए बदलाव की एक कहानी लिख रही हैं

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Reporter

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

Editor

Sangeeta Menon

संगीता मेनन, मुंबई स्थित लेखक, संपादक और कम्युनिकेशन कंसल्टेंट हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.