बिहार के जहानाबाद में शराबबंदी क़ानून के तहत होने वाली गिरफ़्तारियों में सबसे बड़ी संख्या दलितों और पिछड़ों की है. अंतहीन नज़र आती क़ानूनी भागदौड़ के बीच रोज़ीरोटी का नुक़सान झेलते इन समुदायों के लोग इस क़ानून के डर के साए में जीने को मजबूर हैं
उमेश कुमार राय साल 2022 के पारी फेलो हैं. वह बिहार स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं और हाशिए के समुदायों से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं.
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Editor
Devesh
देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.