बेंगलुरु के दर्ज़ियों के लिए समय पर कोई सिलाई नहीं
लॉकडाउन में कोई आय नहीं होने के कारण, अब्दुल सत्तार और बेंगलुरु में कढ़ाई का काम करने वाले अन्य लोग पश्चिम बंगाल के अपने गांव लौटने के लिए बेताब थे। अब, चूंकि गांव में भी कोई काम नहीं है, इसलिए सत्तार शहर वापस आने के लिए बेताब हैं
स्मिता तुमुलुरु, बेंगलुरु की डॉक्यूमेंट्री फ़ोटोग्राफ़र हैं. उन्होंने पूर्व में तमिलनाडु में विकास परियोजनाओं पर लेखन किया है. वह ग्रामीण जीवन की रिपोर्टिंग और उनका दस्तावेज़ीकरण करती हैं.
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Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।