फूल-उस-क़ब्र-पे-जा-कर-मैं-चढ़ाऊं-कैसे

Nadia, West Bengal

May 04, 2021

फूल उस क़ब्र पे जा कर मैं चढ़ाऊं कैसे

यह वह कविता है जो शूल सी चुभती है, पेंटिंग है ऐसी जो भीतर धंस जाती है - और महामारी की मार झेलती ज़िंदगी की एक कहानी है जिस पर मौत के साए मंडरा रहे हैं

Poems and Text

Joshua Bodhinetra

Translator

Devesh

Paintings

Labani Jangi

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Poems and Text

Joshua Bodhinetra

जोशुआ बोधिनेत्र, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के भारतीय भाषाओं से जुड़े कार्यक्रम - पारी'भाषा के कॉन्टेंट मैनेजर हैं. उन्होंने कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी से तुलनात्मक साहित्य में एमफ़िल किया है. वह एक बहुभाषी कवि, अनुवादक, कला-समीक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं.

Paintings

Labani Jangi

लाबनी जंगी साल 2020 की पारी फ़ेलो हैं. वह पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले की एक कुशल पेंटर हैं, और उन्होंने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल की है. लाबनी, कोलकाता के 'सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़' से मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर पीएचडी लिख रही हैं.

Translator

Devesh

देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.