वारंगल में 1940 के दशक में, मल्लू स्वराज्यम के नेतृत्व में लड़ाकों ने गुलेल और राइफलों के साथ, निज़ाम की मिलिशिया (निजी सेना) में दहशत फैला दी थी. मार्च 2022 में अपनी आख़िरी सांस लेने तक, यह स्वतंत्रता सेनानी हर तरह के अन्याय के ख़िलाफ़ विद्रोह का आह्वान करती रही
देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.