नाशिक-बाल-श्रमिक-के-रूप-में-बंधुआ-मज़दूरी-और-एक-बच्ची-की-मौत

Nashik, Maharashtra

Dec 26, 2022

नाशिक: बाल श्रमिक के रूप में बंधुआ मज़दूरी और एक बच्ची की मौत

पारू के मां-बाप परिवार का पेट भरने में अक्षम थे, इसलिए उसको बचपन में ही मज़दूरी करने के लिए भेज दिया गया था. हालांकि, उसकी मौत के चलते महाराष्ट्र के कातकरी समुदाय के 42 अन्य बच्चों का जीवन बचाया जा सका, जिन्हें कठिन श्रम करने के लिए मजबूर किया गया था

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Author

Mamta Pared

ममता परेड (1998-2022) एक पत्रकार थीं और उन्होंने साल 2018 में पारी के साथ इंटर्नशिप की थी. उन्होंने पुणे के आबासाहेब गरवारे महाविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी. वह आदिवासी समुदायों, ख़ासकर अपने वारली समुदाय के जीवन, आजीविका और संघर्षों के बारे में लिखती थीं.

Editor

S. Senthalir

एस. सेंतलिर, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर सहायक संपादक कार्यरत हैं, और साल 2020 में पारी फ़ेलो रह चुकी हैं. वह लैंगिक, जातीय और श्रम से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लिखती रही हैं. इसके अलावा, सेंतलिर यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर में शेवनिंग साउथ एशिया जर्नलिज्म प्रोग्राम के तहत साल 2023 की फ़ेलो हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.