नाम-छीन-लेने-की-साज़िश

Ranchi, Jharkhand

Aug 09, 2022

नाम छीन लेने की साज़िश

भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति का एक बयान कि 'द्रौपदी मेरा मूल नाम नहीं था', इस देश के आदिवासियों, मूल निवासियों की दर्दनाक ऐतिहासिक यादें वापस लाता है. उन्होंने जो पीड़ा व्यक्त की उसे एक कवि के साथ यहां के कई आदिवासियों ने साझा किया है

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Poem and Text

Jacinta Kerketta

उरांव आदिवासी समुदाय से ताल्लुक़ रखने वाली जसिंता केरकेट्टा, झारखंड के ग्रामीण इलाक़े की स्वतंत्र लेखक व रिपोर्टर हैं. वह आदिवासी समुदायों के संघर्षों को बयान करने वाली कवि भी हैं और आदिवासियों के ख़िलाफ़ होने वाले अन्यायों के विरोध में आवाज़ उठाती हैं.

Painting

Labani Jangi

लाबनी जंगी साल 2020 की पारी फ़ेलो हैं. वह पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले की एक कुशल पेंटर हैं, और उन्होंने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल की है. लाबनी, कोलकाता के 'सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़' से मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर पीएचडी लिख रही हैं.

Editor

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.