तहों-में-सिमटती-लिफ़ाफ़ा-बनाने-वालों-की-ज़िंदगी

Ahmedabad, Gujarat

Mar 03, 2023

तहों में सिमटती लिफ़ाफ़ा बनाने वालों की ज़िंदगी

अहमदाबाद के पुराने शहरी इलाक़े में लिफ़ाफ़ा बनाने वाले कारीगर दिन भर व्यस्त रहते हैं. वे काग़ज़ों को काटते हैं, उनके शिकन हटाकर चिकना बनाते हैं और तहें मोड़कर उनको वर्गाकार और आयताकार रूप देते हैं. वे बेहद कम दिहाड़ी और असुविधाजनक स्थितियों में यह काम करते हैं

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Author

Umesh Solanki

उमेश सोलंकी एक फोटोग्राफ़र, वृतचित्र निर्माता और लेखक हैं. उन्होंने पत्रकारिता में परास्नातक किया है और संप्रति अहमदाबाद में रहते हैं. उन्हें यात्रा करना पसंद है और उनके तीन कविता संग्रह, एक औपन्यासिक खंडकाव्य, एक उपन्यास और एक कथेतर आलेखों की पुस्तकें प्रकाशित हैं. उपरोक्त रपट भी उनके कथेतर आलेखों की पुस्तक माटी से ली गई है जो मूलतः गुजराती में लिखी गई है.

Editor

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.

Photo Editor

Binaifer Bharucha

बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.