जिनके मेहनतकश हाथों से बने रसगुल्लों में है ज़िंदगी का स्वाद
असम में बीते बचपन के बदहाली के दिनों में घर से दूर रहकर चरवाहे का काम करने के बाद नोसुमुद्दीन शेख़ ने मेघालय में रसगुल्ले और जलेबी बनाने का छोटा-सा व्यापार खड़ा किया. यहां अतीत में लौटते हुए वह अपनी ज़िंदगी के तमाम उतार-चढ़ाव के बारे में बात करते हैं