जाति-का-दंश-भटेरी-की-मुस्कान-नहीं-छीन-सकता

Mumbai, Maharashtra

Oct 15, 2018

जाति का दंश भटेरी की मुस्कान नहीं छीन सकता

रोहतक से संबंध रखने वाली 90 वर्षीय मुंबईकर भटेरी देवी ने जीवन भर अमानवीय मज़दूरी, जातीय उत्पीड़न, और पारिवारिक त्रासदी सहने के बावजूद अपने भीतर कड़वाहट को जगह नहीं दी, बल्कि उन्होंने ख़ुद को आत्मनिर्भर बनाया और काफ़ी उत्साहित रहती हैं

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Author

Bhasha Singh

भाषा सिंह एक स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं, और साल 2017 की पारी फ़ेलो हैं. हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर आधारित उनकी पुस्तक, ‘अदृश्य भारत', (हिंदी) पेंगुइन प्रकाशन द्वारा 2012 में प्रकाशित हुई थी (अंग्रेज़ी में 'अनसीन' नाम से साल 2014 में प्रकाशित). वह उत्तर भारत के कृषि संकट, परमाणु संयंत्रों से जुड़ी राजनीति और ज़मीनी हक़ीक़त, तथा जेंडर, दलितों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर पत्रकारिता करती रही हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।