ज़मीन-से-एक-भी-आलू-खिसक-नहीं-रहा-है

Kolkata, West Bengal

Nov 16, 2019

‘ज़मीन से एक भी आलू खिसक नहीं रहा है’

हाल ही में कोलकाता की एक रैली में 43 लोग ऐसे थे, जिन्होंने क़र्ज़ और संकट के कारण परिवार के सदस्यों द्वारा आत्महत्याएं देखी थीं – उनमें से अधिकतर आलू के किसान थे, जो अधिशेष उत्पादन, गिरती क़ीमतों, बढ़ती लागतों आदि से प्रभावित थे

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Author

Smita Khator

स्मिता खटोर, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया (पारी) के भारतीय भाषा अनुभाग पारी'भाषा की 'चीफ़ ट्रांसलेशंस एडिटर' के तौर पर काम करती हैं. वह अनुवाद, भाषा व आर्काइव की दुनिया में लंबे समय से सक्रिय रही हैं. वह महिलाओं की समस्याओं व श्रम से जुड़े मुद्दों पर लिखती हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।

Editor

Sharmila Joshi

शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.