उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित गांवों के आदिवासियों और दलितों के पास आजीविका के कुछ ही विकल्प रह गए हैं. वे ट्रेन से विभिन्न शहरों-इलाक़ों में, जलाई जा सकने वाली लकड़ियां बेचने जाते हैं. इस हाड़-तोड़ मेहनत के उन्हें दो-चार सौ रुपए मिल जाते हैं.
अक्षय गुप्ता चित्रकूट धाम (कर्वी) के एक स्वतंत्र फ़ोटो-जर्नलिस्ट हैं, जो अब दिल्ली में रहते हैं.
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Devesh
देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.