जब-हमन-अपन-ला-नंदिया-ले-अलग-कर-लेथन

Narmada, Gujarat

Jul 11, 2022

जब हमन अपन ला नंदिया ले अलग कर लेथन...

देहवली भीली मं लिखे गे पांच ठन कविता मन के कड़ी मं ये तीसर कविता मं, नर्मदा जिला के ये आदिवासी कवि, प्रकृति अऊ मइनखे के मंझा मं बिगड़े नाता के बात करथे अऊ मुख्यधारा ले अलग अहमियत वाले एक ठन दुनिया ला हमर आगू खड़े कर देथे

Poem and Text

Jitendra Vasava

Illustration

Labani Jangi

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Poem and Text

Jitendra Vasava

गुजरात के नर्मदा ज़िला के महुपाड़ा बासिन्दा जितेंद्र वसावा एक कवि आंय, जेन ह देहवली भीली में लिखथे. वो ह आदिवासी साहित्य अकादमी (2014) के संस्थापक अध्यक्ष, अऊ आदिवासी आवाज़ मन ला जगा देके कविता केंद्रित पत्रिका लखारा के संपादक आंय. वो ह आदिवासी मौखिक साहित्य ऊपर चार किताब घलो प्रकाशित करे हवंय. वो ह नर्मदा ज़िला के भील मन के मौखिक लोककथा के सांस्कृतिक अऊ पौराणिक डहर ऊपर शोध करत हवंय. पारी मं प्रकाशित कविता मन ओकर अवेइय्या पहिली कविता संग्रह के हिस्सा आय.

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Labani Jangi

लबानी जंगी 2020 PARI फेलो आय. खुदेच चित्रकारी सीखे लबानी जंगी ह पश्चिम बंगाल के नादिया जिला के रहेइय्या आय. वो ह सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज, कोलकाता मं मजूर मन के पलायन ऊपर पीएचडी करत हवय.

Editor

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पंड्या पारी मं वरिष्ठ संपादक हवंय, वो ह पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग के अगुवई करथें. वो ह वह पारी भाषा टीम के सदस्य घलो आंय अऊ गुजराती मं कहिनी मन के अनुवाद अऊ संपादन करथें. प्रतिष्ठा गुजराती अऊ अंगरेजी के कवयित्री आंय.

Translator

Nirmal Kumar Sahu

निर्मल कुमार साहू पारी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद संपादक आंय. पत्रकार अऊ अनुवादक के रूप मं वो ह छत्तीसगढ़ी अऊ हिंदी दूनों भाखा मं काम करत हवंय. निर्मल ला छत्तीसगढ़ के प्रमुख समाचार पत्र मन मं तीन दसक के अनुभव हवय अऊ वो ह ये बखत देशडिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक हवंय.