जब वित्तीय समावेशन ने और बदतर कर दी मूला की आर्थिक हालत
महीनों तक उत्तरप्रदेश के ददोरा गांव में मनरेगा के लिए काम करने वाली मूला की मज़दूरी ऑनलाइन खातों और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की भूलभुलैया में भटकती रही. इस नई व्यवस्था के कारण ग्रामीण निर्धनों की परेशानियों में भारी बढ़ोतरी हुई है
लखनऊ की रहने वाली पूजा अवस्थी, प्रिंट और ऑनलाइन मीडिया की दुनिया की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, और फ़ोटोग्राफ़र हैं. उन्हें योग करना, ट्रैवेल करना, और हाथ से बनी चीज़ें काफ़ी पसंद हैं.
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Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.